नौकरशाही में अफसरों की सीधी भर्ती या पिछले दरवाजे से सीधे नियुक्त किए जाने के मामले में सरकार ने विपक्षी दलों को यह कहते हुए आईना दिखाया है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने 20 से अधिक को सीधे अफसर नियुक्त किया था. इन मामलों का विवरण देते हुए सरकार ने कहा है कि 47 वर्ष पूर्व 1972 में डॉ. मनमोहन सिंह को मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में लाया गया और 1976 में वित्त सचिव बनाया गया.सरकार ने मनमोहन सिंह के साथ ही नौकरशाही में इसी तरह की सीधी भर्ती के कई मामलों का विवरण जारी किया है. इनमें 1979 में आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए मोंटेक सिंह अहलुवालिया,1994 में में पेट्रोलियम सचिव और बाद में 1998 में वित्त सचिव बनाए गए विजय एल. केलकर,1991 में वित्त सचिव बनाए गए विमल जालान,1993 में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाए गए डॉ. शंकर आचार्य का नाम भी शमिल है.इसी तरह सरकार ने बताया कि 2004 में आर्थिक मामलों के विभाग में राकेश मोहन को सचिव और वित्त मंत्रालय में 2007 में अरविंद विरमनी को मुख्य आर्थिक सलाहकार और विद्युत मंत्रालय में राम विनय साहनी को 2002 में सीधा सचिव नियुक्त किया गया. सरकार का यह कदम राज्य सभा में सरकार पर विपक्ष द्वारा किए गए औचित्य के सवालों के बाद उठाया गया.विपक्ष का कहना था कि बिना किसी नियम-प्रक्रिया तय किए 40 अधिकारियों की सीधी भर्तियों का औचित्य क्या है. जिस समय यह मुद्दा उठाया गया उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सदन में मौजूद थे ,लेकिन उन्होने इसका उत्तर देने के लिए पीएमओ के राज्य मंत्री डॉ . जितेन्द्र सिंह को तैनात किया.डॉ. सिंह ने भी विपक्ष के आरोपों का बखूबी जवाब दिया. उनका कहना था कि यह पद्धति दशकों से चली आ रही है.मोदी सरकार ने महज 6-7नियुक्तियां ही की हैं. उन्होने स्पष्ट किया कि पूर्व में जहां बिना किसी तय प्रक्रिया के नियुक्तियां की गईं वहीं मोदी सरकार ने खोज कर सर्वश्रेष्ठ प्ररिभाओं को सेवाओं में शामिल करने के लिए प्रक्रिया को सुचारु बनाया.उनका यह भी कहना था कि पूर्ववर्ती सरकारों ने भी बेहतर इरादों के साथ काम किया. हमने अपने अनुभवों के आधार पर इस प्रक्रिया को और अधिक बेहतर बनाया और भर्ती प्रक्रिया सुधारी.
मोदी सरकार की दो टूक: 1972 में डॉक्टर मनमोहन सिंह की भी हुई थी पिछले दरवाजे से एंट्री
By हरीश गुप्ता | Updated: July 5, 2019 08:03 IST