जेल की राजनीति का आज पलड़ा भारी जरूर है लेकिन..., जेल में बंद मनीष सिसोदिया ने देश के नाम लिखा पत्र, केजरीवाल ने किया शेयर, पढ़ें पूरा खत

By अनिल शर्मा | Published: March 10, 2023 08:28 AM2023-03-10T08:28:43+5:302023-03-10T08:37:50+5:30

मनीष सिसोदिया ने पत्र में लिखा है- भारत की आज की राजनीति में जेल की राजनीति का पलड़ा भारी जरूर है लेकिन आने वाला कल शिक्षा की राजनीति का होगा।

Manish Sisodia wrote a letter to the country from jail arvind Kejriwal shared on twitter | जेल की राजनीति का आज पलड़ा भारी जरूर है लेकिन..., जेल में बंद मनीष सिसोदिया ने देश के नाम लिखा पत्र, केजरीवाल ने किया शेयर, पढ़ें पूरा खत

जेल की राजनीति का आज पलड़ा भारी जरूर है लेकिन..., जेल में बंद मनीष सिसोदिया ने देश के नाम लिखा पत्र, केजरीवाल ने किया शेयर, पढ़ें पूरा खत

Highlightsमनीष सिसोदिया के पत्र को अरविंद केजरीवाल ने साझा करते हुए भाजपा पर हमला बोला है। मनीष सिसोदिया ने पत्र में लिखा- राष्ट्र शिक्षा से आगे बढ़ेगा, जेल भेजने से नहीं।जेल की राजनीति सत्ता में बैठे नेता को और बड़ा और ताकतवर बना रही हैः पत्र में मनीष सिसोदिया

नई दिल्लीः जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने देश के नाम एक खुला पत्र लिखा है जिसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्विटर खाते पर साझा किया है। गौरतलब है कि सीबीआई के बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में आम आदमी पार्टी के नेता को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है।

'शिक्षा की राजनीति' बनाम 'जेल की राजनीति' पर एक खुले पत्र में मनीष सिसोदिया ने लिखा, "सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को जेल भेजकर...सत्ता चलाना, स्कूल-कॉलेज खोलने और चलाने से ज्यादा आसान है। सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि जेल की राजनीति की इसी सुलभ सफलता ने राजनीति में शिक्षा की राजनीति को हाशिए पर कर दिया है। 

 सिसोदिया को सीबीआई के शराब नीति मामले में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था और शुक्रवार को उनकी जमानत पर सुनवाई होगी। सिसोदिया को सीबीआई ने पूछताछ के बाद 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था।

सिसोदिया ने पत्र में लिखा- कुछ दिनों से जेल में हूँ...तो देख पा रहा हूँ कि जब राजनीति में सफलता जेल चलाने से मिल जा रही है तो स्कूल चलाने की राजनीति की जरूरत भला कोई क्यूं महसूस करेगा।  जेल की राजनीति सत्ता में बैठे नेता को और बड़ा और ताकतवर बना रही है। शिक्षा की राजनीति के साथ समस्या यही है कि ये नेता को नहीं देश को बड़ा बनाती है।

इस पत्र को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साझा किया है। केजरीवाल ने लिखा- भाजपा लोगों को जेल में डालने की राजनीति करती है, हम बच्चों को पढ़ाने की राजनीति कर रहे हैं। जेल भेजना आसान है, बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल। राष्ट्र शिक्षा से आगे बढ़ेगा, जेल भेजने से नहीं।


मनीष सिसोदिया का लिखा पत्र यहां पूरा पढ़े-

                                                                                 शिक्षा-राजनीति और जेल

दिल्ली के शिक्षामंत्री के रूप में काम करते हुए बहुत बार ये सवाल मन में उठता रहा कि देश और राज्यों की सत्ता तक पहुंचे नेताओं ने, देश के हरेक बच्चे के लिए शानदार स्कूल और कॉलेज का इंतजाम क्यूं नहीं किया? एक बार अगर पूरे देश में, पूरी राजनीति तन-मन-धन से शिक्षा के काम में जुट गई होती तो आज हमारे देश में हर बच्चे के लिए विकसित देशों की तरह अच्छे से अच्छे स्कूल होते। फिर क्यूँ शिक्षा को सफल राजनीति ने हमेशा हाशिए पर रखा? आज जब कुछ दिनों से जेल में हूँ तो इन सवालों के जवाब खुद मिल रहे हैं। देख पा रहा हूँ कि जब राजनीति में सफलता जेल चलाने से मिल जा रही है तो स्कूल चलाने की राजनीति की जरूरत भला कोई क्यूं महसूस करेगा।

सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को जेल भेजकर या जेल भेजने की धमकी देकर सत्ता चलाना, देश के हरेक बच्चे के लिए शानदार स्कूल कॉलेज खोलने और चलाने से कही  ज्यादा आसान है। उत्तर प्रदेश के हुक्मरानों को एक लोकगायिका का लोकगीत अपने खिलाफ लगा तो पुलिस का नोटिस भेज उसे जेल जाने की धमकी भिजवा दी। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने मोदी जी के नाम मे एक शब्द इधर-उधर कर दिया तो दो राज्यों की पुलिस ने उनको एक खूंखार अपराधी की तरह फिल्मी अन्दाज में जाकर दबोचा। अरविंद केजरीवाल जी का गुनाह तो इतना बड़ा है कि आज मोदी जी की राजनीति के समक्ष एक वैकल्पिक राजनीति ही खड़ी कर दी है। इसके चलते आज केजरीवाल सरकार के दो मंत्री जेल में हैं। तस्वीर एकदम साफ दिख रही है।

 जेल की राजनीति सत्ता में बैठे नेता को और बड़ा और ताकतवर बना रही है। शिक्षा की राजनीति के साथ समस्या यही है कि ये नेता को नहीं देश को बड़ा बनाती है। जब शिक्षा लेकर देश के कमजोर से कमजोर परिवार का बच्चा भी मजबूत नागरिक बनता है तो देश ताकतवर बनता है। अच्छी बात यह है कि इस समय, आजादी के अमृत काल-मंथन के समय देश के सामने जेल की राजनीति और शिक्षा की राजनीति दोनों ही वजूद में है। और देश साफ-साफ देख रहा है कि कौन खुद को बड़ा बनाने की राजनीति कर रहा है और कौन देश को बड़ा बनाने की राजनीति।

यह बात जरूर है कि शिक्षा की राजनीति आसान काम नहीं है। यह कम से कम राजनीतिक सफलता का शॉर्टकट तो बिल्कुल नहीं है। शिक्षा के लिए इतने बच्चों को, माता-पिता को और विशेषकर शिक्षकों, को प्रेरित करना लंबा रास्ता है। जेल की राजनीति में तो जांच ऐजेंसी के चार अधिकारियों को दबाव में लेने भर से काम हो जाता है। शिक्षा की राजनीति में ऐसा नहीं हो सकता। आज जांच एजेंसियों के ऊपर दवाब बनाकर आप चाहे जिसे जेल भिजवा दें, लेकिन शिक्षा की राजनीति में आप एक भी शिक्षक पर दबाव बनाकर, डराकर काम नही करवा सक‌ते। शिक्षर काम करता है सम्मान और प्यार से। आप उसे केवल अपने आचरण और कार्य व्यवहार से अपने अनुसार बेहतर राम करने पर बाध्य कर सकते हैं। वह जांच एजेंसियों की तरह दबाव में आकर आपनी ड्यूटी नहीं बजा सकता। इसीलिए जेल की राजनीति हमारे नेताओं को हमेशा सुगम फलदायी लगी है बनिस्पत शिक्षा की राजनीति के।

जेल की राजनीति की इसी सुलभ सफलता ने राजनीति में शिक्षा की राजनीति को हाशिए पर कर दिया है। लेकिन एक शुभ संकेत यह है कि शिक्षा की राजनीति देश के वोटर के अन्दर सुगबुगाहट ले रही हैं। दिल्ली के शिक्षा मॉडल से प्रभावित होवर पंजाब के वोटर्स ने भी बेहतरीन शिक्षा, अच्छे सरकारी स्कूल और कॉलेज के लिए वोट दिया ही है। इससे भी अच्छी बात यह है कि आज कई गैर बीजेपी, गैर कांग्रेकी राज्य सरकारों ने राजनीति से ऊपर उठकर एक दूसरे के अच्छे कार्यों से सीखने-समझने का सिलसिला शुरू किया है। इसमें भी शिक्षा पर एक दूसरे के अनुभवों और प्रयोगों से सीखना और अपनाना शुरू हो चुका है।

बीजेपी शासित 'राज्यों में सरकारी स्कूल भले ही कबाड़खाने की हालत में हैं लेकिन उनके मुख्यमंत्री भी टी.वी. पर पांच-पांच मिनट के विज्ञापन शिक्षा के बारे में देने पर मजबूर हुए हैं। वे भी जानते है कि एक बार शिक्षा की राजनीति राष्ट्रीय फलक पर आ गई तो जेल की राजनीति ही हाशिए पर नहीं जाएगी जेलें भी बंद होने लगेंगी। 

आज जरूर जेल की राजनीति सफल होती दिख रही है लेकिन भारत का भविष्य स्कूल की राजनीति में है। शिक्षा की राजनीति में है। भारत विश्वगुरु बनेगा तो इसलिए नहीं कि यहां की जेलों में कितनी ताकत है, बल्कि इसके दम पर कि यहां की शिक्षा में कितनी ताकत है। भारत की आज की राजनीति में जेल की राजनीति का पलड़ा भारी जरूर है लेकिन आने वाला कल शिक्षा की राजनीति का होगा।

- मनीष सिसोदिया

Web Title: Manish Sisodia wrote a letter to the country from jail arvind Kejriwal shared on twitter

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