मणिपुर हाईकोर्ट ने अपने आदेश को किया संशोधित, मेईती समुदा को 'जनजाति' दर्जा देने में हुई कानूनी गलती
By आकाश चौरसिया | Published: February 22, 2024 06:25 PM2024-02-22T18:25:30+5:302024-02-22T18:32:30+5:30
फैसले के कारण मणिपुर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और सामुदायिक झड़पें हुईं, जिसमें पिछले साल 3 मई से 200 से अधिक लोग मारे गए। अब उच्च न्यायालय ने अब अपने 27 मार्च के फैसले से पैराग्राफ हटा दिया है और कहा है कि यह फैसला "कानून की गलत धारणा" में पारित किया गया था।
नई दिल्ली: मणिपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने 2023 के आदेश को संशोधित किया और कहा मेइती समुदाय को जनजाति का दर्जा देने में कानूनी गलती हुई। 2023 के आदेश में मेइती समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी। इस फैसले के कारण मणिपुर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और सामुदायिक झड़पें हुईं, जिसमें पिछले साल 3 मई से 200 से अधिक लोग मारे गए। अब उच्च न्यायालय ने अब अपने 27 मार्च के फैसले से पैराग्राफ हटा दिया है और कहा है कि यह फैसला "कानून की गलत धारणा" में पारित किया गया था।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गोलमेई गाइफुलशिलु की पीठ ने बार और बेंच के अनुसार एक आदेश में कहा, "पैरा संख्या 17 (3) में दिए गए निर्देश को हटाने की जरूरत है और तदनुसार हटाने का आदेश दिया जाता है।"
27 मार्च के आदेश में ये कहा गया था, जिसे अब हटा लिया गया है। पैराग्राफ में हाईकोर्ट ने कहा, "पहले प्रतिवादी को मीतेई/मेतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं के मामले पर तेजी से, प्राप्ति की तारीख से चार सप्ताह की अवधि के भीतर विचार करना होगा।" रिट याचिका में दिए गए कथनों के संदर्भ में और गुवाहटी उच्च न्यायालय द्वारा 2002 दिनांक 26.05.2003 के डब्ल्यूपी (सी) संख्या 4281 में पारित आदेश की पंक्ति में इस आदेश की एक प्रति से हटाने के आदेश दिया गया है।