खुद को गांधी परिवार के रबर स्टैंप की छवि से बाहर निकालना खड़गे की अग्निपरीक्षा, उदयपुर घोषणा पत्र को पूरी तरह लागू करना बड़ी चुनौती

By शरद गुप्ता | Published: October 26, 2022 07:09 PM2022-10-26T19:09:15+5:302022-10-26T19:10:21+5:30

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को पार्टी अध्यक्ष का औपचारिक रूप से कार्यभार संभाल लिया और कहा कि पार्टी मौजूदा सरकार की ‘‘झूठ एवं नफरत की व्यवस्था’’ को ध्वस्त करेगी।

Mallikarjun Kharge taken charge president condress remove himself image rubber stamp Gandhi family big challenge implement Udaipur manifesto | खुद को गांधी परिवार के रबर स्टैंप की छवि से बाहर निकालना खड़गे की अग्निपरीक्षा, उदयपुर घोषणा पत्र को पूरी तरह लागू करना बड़ी चुनौती

हिमाचल प्रदेश और गुजरात के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी चुनाव होंगे तथा भाजपा को पराजित करने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपना सर्वस्व दांव पर लगाना होगा।

Highlights24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता कांग्रेस का अध्यक्ष बना है।प्रतिद्वंद्वी 66 वर्षीय शशि थरूर को मात दी थी।137 साल के इतिहास में छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था।

नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी पर लग रहे परिवारवाद के आरोप तो रुक जाएंगे लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को गांधी परिवार के रबर स्टैंप प्रतिनिधि की छवि से बाहर निकाल पाना होगा.

खड़गे ने अपने पहले अध्यक्षीय भाषण में खुद का एक मिल मजदूर का बेटा होना और 1969 में पार्टी के ब्लॉक कमेटी अध्यक्ष के तौर पर राजनीतिक करियर शुरू करने का जिक्र कर यह रेखांकित किया कि कांग्रेस में भी एक साधारण कार्यकर्ता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकता है.

लेकिन उन्हें यह साबित करना होगा कि बतौर अध्यक्ष उनका रिमोट कंट्रोल सोनिया गांधी या राहुल गांधी के पास नहीं है. यही मल्लिकार्जुन खड़गे की अग्निपरीक्षा होगी. साथ ही उदयपुर घोषणापत्र को लागू करने का संकल्प जाहिर कर खड़गे ने पार्टी में आमूलचूल बदलाव लाने के संकेत दिए हैं. इसमें 50 प्रतिशत पदाधिकारी 50 वर्ष से कम आयु के होंगे.

यानी उनकी टीम अनुभव और युवा नेतृत्व का सम्मिश्रण होगी. उदयपुर घोषणा पत्र में एक परिवार में एक टिकट देने का भी संकल्प था. नए लोगों को लगातार बढ़ावा देने के लिए किसी भी व्यक्ति को एक पद पर 5 वर्ष से अधिक न रहने देने का भी प्रस्ताव था. इसमें समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हो रहे हमलों के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प भी था.

उदयपुर घोषणा पत्र में समान राजनीतिक समझ वाली पार्टियों से तालमेल करने के अलावा तीन नए विभागों का गठन कर जनता से जुड़ाव बढ़ाने और चुनाव प्रबंधन बेहतर करने का प्रयास किया गया था. इनमें कार्यकर्ताओं को लगातार प्रशिक्षण भी दिए जाने का प्रस्ताव था.

निष्पक्ष आंतरिक चुनाव की चुनौती

चूंकि पार्टी के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने खड़गे को अपनी टीम गठित करने के लिए अपने पदों से इस्तीफे दे दिए हैं, इसलिए देखना होगा कि खड़गे पदाधिकारियों के लिए भी क्या ऐसा ही निष्पक्ष आंतरिक चुनाव करा पाएंगे जैसा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए आयोजित किया गया.

गांधी परिवार के लिए भी चुनौती

मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सफल हों, यह गांधी परिवार के लिए भी एक चुनौती है. खुद को एक साधारण कार्यकर्ता बता खड़गे से अपनी भूमिका निर्धारित करने का आग्रह करना एक बात है लेकिन पार्टी अध्यक्ष को अपने फैसले लेने के लिए खुली छूट देना एकदम दूसरी. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी खुद को नई भूमिका के लिए कैसे तैयार करते हैं यह देखना भी दिलचस्प होगा.

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