अतुल कुलकर्णी
राज्यपाल द्वारा सरकार गठन के लिए पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के बाद शिवसेना ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली है. जानकारी है कि शिवसेना की इस याचिका को मजबूती देने के लिए ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने राज्यपाल से और दो दिन का समय मांगा था.
इसके पीछे की मंशा ये है कि अदालत में यह दलील दी जा सके कि राज्यपाल को सरकार के गठन के लिए प्रयास करने चाहिए थे. लेकिन, उन्होंने इसकी तैयारी दिखाने वाले दलों को भी पर्याप्त समय नहीं दिया.
इसीलिए राकांपा ने मंगलवार की रात साढ़े आठ बजे तक दी गई अवधि समाप्त होने के पूर्व ही राज्यपाल को पत्र देकर और दो दिन का समय देने की मांग की. शिवसेना की तरह राकांपा की मांग को भी राज्यपाल ने खारिज कर दिया और राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी.
शिवसेना ने दावा किया है कि भाजपा को महाराष्ट्र में भाजपा के अलावा अन्य किसी भी दल की सरकार नहीं चाहिए. इसीलिए राष्ट्रपति शासन लागू करने की जल्दबाजी की गई. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भी कहा कि राज्यपाल को अंतिम विकल्प के रूप में कांग्रेस से सरकार गठन के बारे में पूछना चाहिए था और समय देना चाहिए था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
सूत्रों ने बताया कि राकांपा प्रमुख शरद पवार वाई. बी. चव्हाण सेंटर में बैठकर सभी राजनीतिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं. वे फोन पर अहमद पटेल से भी लगातार संपर्क में हैं. शिवसेना को उच्चतम न्यायालय जाने की सलाह भी उन्होंने ही दी. शिवसेना नेता अनिल परब ने स्वयं कपिल सिब्बल से बात की.
सिब्बल से पवार ने भी बातचीत की. राकांपा ने राज्यपाल से और समय मांगा है, इसकी कोई जानकारी कांग्रेस को नहीं थी. इसलिए कांग्रेस और राकांपा की ओर से अलग-अलग बयान सामने आए. इससे एक बार फिर दोनों पार्टियों में समन्वय का अभाव दिखाई दिया.