नई दिल्लीः राजस्थान और पंजाबकांग्रेस में घमासान तेज हो गया है। इस बीच कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 24 जून को पार्टी महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक बुलाई है।
पंजाब और राजस्थान कांग्रेस में आंतरिक कलह को शांत करने के लिये सोनिया गांधी ने फॉर्मूला तैयार कर उन नेताओं को बता दिया है, जो एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल कर पार्टी में गुटबाज़ी को हवा दे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंदर सिंह को कहा गया है कि चुनाव को देखते हुए वह नवजोत सिद्धू को सरकार में शामिल करें ताकि पार्टी में चुनाव से पूर्व किसी फूट से बचा जा सके। सिद्धू को सरकार में जगह देने के साथ साथ संघटन की चुनाव से जुड़ी समितियों में भी अहम ज़िम्मेदारी दी जा सकती है।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट में मनमुटाव
महाराष्ट्र में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले लगातार महाविकास अघाड़ी सरकार पर हमला कर रहे हैं। अकेले चुनाव में जाने की बात कर रहे हैं। महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा की सरकार है। पंजाब में सीएम अमरेंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्ध पर वाकयुद्ध जारी है।
राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में मनमुटाव देखने को मिल रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह 22 जून को राज्य के मुद्दों को लेकर एआईसीसी के पैनल से मुलाकात कर सकते हैं। एआईसीसी के इस पैनल में मल्लिकार्जुन खड़गे, जेपी अग्रवाल और हरीश रावत शामिल हैं।
राजस्थान में सचिन पायलट को दिये प्रस्ताव में उनके समर्थक 6 विधायकों को केबिनेट मंत्री ,दो राज्य मंत्री और सचिन पायलट को राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव की जिम्मेदारी देने की बात कही गयी है ,ऐसे भी संकेत हैं कि सचिन को महासचिव पद के अलावा अन्य महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। दरअसल सचिन ने नेतृत्व को साफ़ कर दिया था कि पहले उनके समर्थक विधायकों को समायोजित किया जाये उसके बाद ही वह कोई ज़िम्मेदारी लेंगे।
गैर भाजपा विपक्षी दलों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नेतृत्व मंज़ूर नहीं है,यह संकेत मिलने के बाद चिंतित कार्यवाहक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की रणनीति बनाने के लिये 24 जून को आपात बैठक बुलाई है।
इस बैठक में पार्टी के महासचिवों ,राज्यों के प्रभारियों,प्रदेश अध्यक्षों और विधानमंडल दल के नेताओं को हिस्सा लेने के लिये महासचिव के सी वेणुगोपाल ने आज सूचना भेज दी है। सूत्र बताते हैं कि शरद पवार के नेतृत्व में होने वाली बैठक में कांग्रेस को अन्य विपक्षी दलों की तर्ज़ पर शामिल करने की बात होगी लेकिन यूपीए की तरह विपक्षी दलों की कमान कांग्रेस को नहीं सौंपी जायेगी ,कांग्रेस नेतृत्व को इस बात के संकेत मिल चुके हैं अतः इससे निपटने के लिये पार्टी की रणनीति क्या हो इस पर 24 जून की बैठक में चर्चा होगी।
बैठक के लिये निर्धारित एजेंडे में इस मुद्दे के अलावा उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों की रणनीति पर भी मंथन होगा। इसके अलावा महंगाई ,बेरोज़गारी ,कोरोना प्रबंधन जैसे मुद्दे भी एजेंडे का हिस्सा हैं।
पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस विपक्षी दलों के संभावित मोर्चे से कांग्रेस को अलग थलग करने की कोशिश के जबाब में क्षेत्रीय दलों से राज्य स्तर पर गठबंधन करने की रणनीति पर विचार कर रही है ताकि इस संभावित गैर भाजपा विपक्षी मोर्चे का कोई असर कांग्रेस पर न पड़े।