अधिक परीक्षण के कारण कोरोना के मामलों में टॉप पर है महाराष्ट्र, कम जांचों के बावजूद दिल्ली-पश्चिम बंगाल ये है हाल, अगले 10 दिन बेहद अहम
By हरीश गुप्ता | Updated: April 21, 2020 06:55 IST2020-04-21T06:55:22+5:302020-04-21T06:55:38+5:30
कोरोना संक्रमण मामलों की तुलना परीक्षण के संदर्भ में करें तो दिल्ली 8 फीसदी के साथ सबसे अधिक है. उसके बाद पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 6.8 फीसदी है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में किए गए परीक्षणों की तुलना में संक्रमित मामलों का आंकड़ा 5.5 फीसदी है.

अधिक परीक्षण के कारण कोरोना के मामलों में टॉप पर है महाराष्ट्र। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक मामलों के कारण महाराष्ट्र सुर्खियों में है. हालांकि जब प्रत्येक राज्य के कोरोना परीक्षण के प्रतिशत के हिसाब से देखें तो यह नंबर वन नहीं है. चौकाने वाली बात यह है कि इस नंबर पर ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल और अरविंद केजरीवाल का दिल्ली आता है.
आधिकारिक स्रोतों के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना संक्रमण मामलों की तुलना परीक्षण के संदर्भ में करें तो दिल्ली 8 फीसदी के साथ सबसे अधिक है. उसके बाद पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 6.8 फीसदी है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में किए गए परीक्षणों की तुलना में संक्रमित मामलों का आंकड़ा 5.5 फीसदी है. उसके बाद 5.4 फीसदी पॉजिटिव केस के साथ महाराष्ट्र का नंबर आता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (एनआईई) के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह 62000 परीक्षण किए गए जो देश में सर्वाधिक है. हालांकि इनमें कोरोना वायरस पीड़ित महज 5.4 फीसदी थे. एनआईए राज्यों में किए गए परीक्षणों पर नजर रखता है. दिल्ली में 22000 परीक्षण किए गए और 8 फीसदी मामलों का पता लगाया गया. पश्चिम बंगाल में केवल 5000 परीक्षण किए गए जबकि पॉजिटिव मामले 6.8 फीसदी पाए गए. यदि इनकी तुलना उत्तर प्रदेश से करें जहां 25000 परीक्षण किए गए, लेकिन पीडि़तों की संख्या केवल 3.4 फीसदी पाई गई.
आश्चर्य की बात है कि देश के अत्यधिक आबादी वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां परीक्षण की संख्या केवल 5000 है. ये केवल पिछले सप्ताह के अंत हुए जबकि केंद्र ने राज्यों को 5 लाख रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण किट की आपूर्ति की, जिनके जरिये महज 30 मिनट में पहला परिणाम सामने आता है. वैसे, ये परीक्षण अभी हाल ही में शुरू किए गए हैं.
दूसरी बात यह है कि आईसीएमआर ने साफ किया है कि कोरोना वायरस के परीक्षण में रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) सटीक मानक है और रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण इसकी जगह नहीं ले सकता है.
आईसीएमआर ने यह भी कहा, ''रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण हमें किसी विशेष क्षेत्र में बीमारी के प्रसार के बारे में जानकारी देता है. इस परीक्षण के जरिये जुटाए गए डाटा का इस्तेमाल संपर्क में आने वाले का पता लगाने में किया जा सकता है.'' हालांकि, इन सूत्रों का कहना है कि सरकार आरटी-पीसीआर के निष्कर्षों को ही तरजीह देगी, जिसकी परीक्षण रिपोर्ट में 48 घंटे लगते हैं.
दिन बेहद अहम, बढ़ सकती संख्या
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकारियों के लिए कोरोना वायरस के प्रसार के बारे में किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अगले 10 दिन बेहद अहम हैं. कुछ राज्यों के इसकी चपेट में आने के लक्षण दिख रहे, जबकि अन्य राज्यों में पॉजिटव मामले बढ़ रहे हैं. अब और परीक्षण होने के साथ ही कोरोना संक्रमितों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है.