महाराष्ट्र: विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद विधायकों को मिलेगी राहत, कई दिनों बाद आज जा सकेंगे घर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 1, 2019 08:19 AM2019-12-01T08:19:12+5:302019-12-01T08:19:12+5:30
मालूम हो कि शनिवार (30 नवबंर) को ठाकरे सरकार ने विधासभा में 169 वोटों से बहुमत परीक्षण को पास किया था।
महाराष्ट्र में आज (01 दिसबंर) शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस अपने विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव करेगा। इसके बाद तीनों दल के विधायकों को राहत मिलेगी और आज वो मुक्त हो पाएंगे। दरअसल, पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र में सियासी रस्साकसी के बीच शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस ने अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त की डर से उन्हें फाइव स्टार होटलों में बंद कर रखा था।
नव भारत टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक विधायकों को आज सभी विधायकों होटल से विधान भवन लाया जाएगा। यहां विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद सभी विधायकों को घर जाने दिया जाएगा। हालांकि विधायकों को शनिवार विधानसभा में ठाकरे सरकार के बहुमत साबित करने के बाद ही उन्हें घर छोड़ दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आज की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद विधायक अपने घर जा सकेगा।
मालूम हो कि शनिवार (30 नवबंर) को ठाकरे सरकार ने विधासभा में 169 वोटों से बहुमत परीक्षण को पास किया था। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच उपमुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर मची खींचतान खत्म होने के आसार हैं। कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष के पद को स्वीकार कर लिया है और अब पार्टी के वरिष्ठ विधायक नाना पटोले का नाम इस पद के लिए आगे बढ़ाया है। पटोले विदर्भ में साकोली विधानसभा सीट से विधायक हैं।
पटोले के मुकाबले के लिए भाजपा ने किशन कथोरे को प्रत्याशी बनाया है। महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुरबाड से पार्टी के विधायक कथोरे इस पद के लिए भाजपा के उम्मीदवार होंगे। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने स्पीकर बनने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. कहा जा रहा था कि कांग्रेस स्पीकर की बजाय उपमुख्यमंत्री के पद पर जोर दे रही है।
अहम मंत्रालयों पर अब तक नहीं बनी सहमति
उद्धव ठाकरे ने गुरु वार को 6 मंत्रियों संग शपथ ली थी। हालांकि अब तक तीनों दलों के बीच मंत्रालयों का बंटवारा नहीं हो सका है। इसी के चलते अभी तक सरकार के विस्तार पर भी फैसला नहीं हो सका है। गृह मंत्रालय, शहरी विकास, रेवेन्यू जैसे अहम मंत्रालयों पर तीनों ही दलों की दावेदारी है और अब तक इस पर सहमति नहीं बनी है।