महाराष्ट्रः फडनवीस ही होंगे गठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा, शिवसेना के दबाव में नहीं झुकेगा भाजपा आलाकमान
By हरीश गुप्ता | Updated: August 2, 2019 07:47 IST2019-08-02T07:47:17+5:302019-08-02T07:47:17+5:30
भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी की प्रदेश ईकाई को सहयोगी दलों के साथ सीट समझौते से जुड़े सभी पहलुओं पर फैसला लेने की आजादी दे दी है.

महाराष्ट्रः फडनवीस ही होंगे गठबंधन में मुख्यमंत्री का चेहरा, शिवसेना के दबाव में नहीं झुकेगा भाजपा आलाकमान
महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन का मुख्यमंत्री का चेहरा वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ही होंगे. भाजपा आलाकमान ने इस मामले में शिवसेना के आगे किसी भी हाल में नहीं झुकने का फैसला करते हुए शिवसेना और अन्य सहयोगी दलों के सीटों के बंटवारे की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री फडनवीस और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल पर छोड़ दी है. भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी की प्रदेश ईकाई को सहयोगी दलों के साथ सीट समझौते से जुड़े सभी पहलुओं पर फैसला लेने की आजादी दे दी है.
एक सूत्र के मुताबिक समझौता 50-50 प्रतिशत के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट और जीतने की संभावना के आधार पर होगा. शिवसेना से कोई वादा नहीं पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, ''शिवसेना ने हालिया लोकसभा चुनावों में 23 सीटें मांगी थीं और उस पर सहमति बन गई थी. शिवसेना प्रमुख विधानसभा सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा चाहते थे, लेकिन उस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई.''
सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने शिवसेना को सीटों की संख्या को लेकर कोई वादा नहीं किया है. स्वीकारी थी सभी मांगें लोकसभा चुनावों में किसी भी तरह की असहमति के सुरों को टालने के लिए भाजपा ने शिवसेना की सभी मांगें मान ली थीं. लेकिन विधानसभा चुनाव में आलाकमान ने सुरक्षित अंतर रखकर उचित फैसला लेने की आजादी प्रदेश ईकाई को सौंपकर खुद को इस कवायद से दूर रखा है.
सख्त रुख के संकेत भाजपा आलाकमान के रूख से यह साफ हो रहा है कि वह शिवसेना के आगे झुकने वाली नहीं है. शिवसेना ने मुख्यमंत्री के पद को लेकर तेवर दिखाए तो भाजपा अकेले दम चुनाव लड़ने को तैयार दिखती है.
उल्लेखनीय है कि 2014 के विधानसभा चुनावों में 288 सीटों के लिए कोई समझौता नहीं हो पाने के कारण भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. शिवसेना को करारा झटका लगा था जब वह केवल 63 सीट जीत पाई, जबकि भाजपा ने तकरीबन दोगुनी 122 सीटें जीतीं.