कानून में स्नातक हैं और बिजनेस मैनेजमेंट में परास्नातक हैं सीएम फड़नवीस, दूसरी बार ली शपथ, पिता RSS से जुड़े थे

By भाषा | Published: November 23, 2019 04:31 PM2019-11-23T16:31:54+5:302019-11-23T16:31:54+5:30

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कई दिनों से चल रहे जोड़-घटाव और कल देर रात तक जारी गतिविधियों के बीच शनिवार की सुबह वह दूसरी बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए। फड़नवीस 2014 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो दक्षिण मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था।

Maharashtra CM Fadnavis, a graduate in law and is a Masters in Business Management, was sworn in for the second time, father was associated with RSS | कानून में स्नातक हैं और बिजनेस मैनेजमेंट में परास्नातक हैं सीएम फड़नवीस, दूसरी बार ली शपथ, पिता RSS से जुड़े थे

वह 1992 व 1997 में दो बार नागपुर नगर निगम से चुनाव जीते।

Highlightsउनका जन्म और पालन-पोषण नागपुर में हुआ जहां आरएसएस का मुख्यालय है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 के दशक में की।

देवेन्द्र फड़नवीस (49) शनिवार की सुबह जब दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, उस समय राजभवन में ज्यादा लोग मौजूद नहीं थे।

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कई दिनों से चल रहे जोड़-घटाव और कल देर रात तक जारी गतिविधियों के बीच शनिवार की सुबह वह दूसरी बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए। फड़नवीस 2014 में जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो दक्षिण मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में एक भव्य शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था।

उसमें उनकी मां, पत्नी, बेटी और भाजपा के हजारों कार्यकर्ता एवं समर्थक मौजूद थे। निवार की सुबह का यह समारोह आनन-फानन आयोजित हुआ उसमें 2014 जैसी भव्यता नहीं थी। कांग्रेस ने इसे गुपचुप तरीके से आयोजित किया गया समारोह बताया।

महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम 24 अक्टूबर को घोषित किए जाने के बाद फड़नवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने वाले थे, लेकिन सहयोगी दल शिवसेना ने उनकी मंशाओं पर पानी फेर दिया। नागपुर में जन्मे भाजपा नेता ऐसे पहले गैर कांग्रेस मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने राज्य में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है और केवल दूसरे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया है।

288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़कर 105 पर जीत दर्ज की वहीं शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की लेकिन शिवसेना द्वारा मुख्यमंत्री पद आधे- आधे समय के लिए बांटे जाने की मांग पर अड़ने के कारण गठबंधन टूट गया। फड़नवीस नागपुर विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक हैं और बिजनेस मैनेजमेंट में उनके पास परास्नातक की डिग्री है।

उनका जन्म और पालन-पोषण नागपुर में हुआ जहां आरएसएस का मुख्यालय है। उनके पिता गंगाधर फड़नवीस आरएसएस से जुड़े हुए थे और इसलिए वह भी बचपन से ही आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित रहे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 के दशक में की। वह 1992 व 1997 में दो बार नागपुर नगर निगम से चुनाव जीते।

वह नागपुर के सबसे युवा महापौर भी थे और भारत के दूसरे सबसे युवा महापौर रहे। फड़नवीस 1999 से ही राज्य विधानसभा में नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। आरएसएस के साथ जुड़ाव के कारण ही वह महाराष्ट्र की राजनीति में कठिन डगर को पार कर सके। मुख्यमंत्री के तौर पर फड़नवीस का पहला कार्यकाल शांतिपूर्ण रहा।

उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पूरी छूट दी। लोकसभा चुनावों और राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत से फड़नवीस ने अपनी दक्षता साबित की। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल और हर्षवर्द्धन पाटिल के अलावा राकांपा के कई वरिष्ठ नेताओं को भाजपा में शामिल कराया और चुनावों से पहले विपक्षी खेमे को और कमजोर बना दिया।

विधानसभा चुनावों में राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीट हासिल हुई। राजनीतिक पर्यवेक्षक फड़नवीस को धैयवान श्रोता और विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक जानकारी रखने वाले ‘‘काम करने वाले व्यक्ति’’ के तौर पर जानते हैं। उन्हें ऐसे नेता के तौर पर भी जाना जाता है जो लोकप्रिय हैं। उनके पहले पांच वर्ष के कार्यकाल में मराठा आरक्षण, जलयुक्त शिवार जल संरक्षण योजना, नागपुर-मुंबई नॉलेज कोरीडोर, कृषि ऋण माफी और मेट्रो रेल नेटवर्क के विस्तार जैसे कई काम हुए।

मराठा आरक्षण आंदोलन से उनकी सरकार के अस्तित्व पर खतरा आ गया लेकिन फड़नवीस ने प्रदर्शनकारियों से संपर्क साधा और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया ताकि नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को पूरा किया जा सके और कानून लाया जा सके। इसी तरह कृषि कर्ज माफी की रकम बैंकों को देने के बजाए उन्होंने सुनिश्चित किया कि धन सीधे किसानों के खाते में भेजा जाए।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लगातार सरकार पर हमला करने के कारण मुंबई निकाय चुनाव से पहले दोनों सहयोगी दलों के संबंध टूट के कगार पर पहुंच गए थे जिसे देखते हुए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सरकार के गिरने का अनुमान व्यक्त किया था। फड़नवीस ने पिछले महीने कहा, ‘‘राजनीतिक हकीकत से तय होता है कि किस तरह के निर्णय करने की जरूरत है। धैर्य रखना जरूरी है।’’ 

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