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MP: कमजोर कड़ियों की निगरानी में जुटी बीजेपी-कांग्रेस, विधायकों को नजर में रख रहे हैं दोनों पार्टियों के बड़े नेता

By राजेंद्र पाराशर | Published: July 26, 2019 8:03 PM

मध्यप्रदेश विधानसभा में दंड संशोधन विधेयक के दौरान हुए मतदान में भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा विधेयक के पक्ष में मतदान करने के बाद गर्माए माहौल को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सजग हो गए हैं. 

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ठळक मुद्देमध्य प्रदेश में भाजपा के दो विधायकों के टूटने के बाद राज्य में चल रही उठा-पटक को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल सजग हो गए हैं. दोनों ही दलों विधायकों की निगरानी भी बढ़ी है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रियों को यह जिम्मेदारी दी है तो भाजपा की ओर से सभी संभागों में वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्रियों को इस कार्य में लगा दिया है.

मध्य प्रदेश में भाजपा के दो विधायकों के टूटने के बाद राज्य में चल रही उठा-पटक को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल सजग हो गए हैं. दोनों ही दलों विधायकों की निगरानी भी बढ़ी है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रियों को यह जिम्मेदारी दी है तो भाजपा की ओर से सभी संभागों में वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्रियों को इस कार्य में लगा दिया है.

मध्यप्रदेश विधानसभा में दंड संशोधन विधेयक के दौरान हुए मतदान में भाजपा के दो विधायकों नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा विधेयक के पक्ष में मतदान करने के बाद गर्माए माहौल को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सजग हो गए हैं. 

विशेषकर कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा के बयान (शुरुआत कांग्रेस ने की है, अंत हम करेंगे) को गंभीरता से लिया है. कमलनाथ ने अपने सारे मंत्रियों को इस काम में लगा दिया है कि वे अपने-अपने प्रभार वाले और गृह जिलों के कांग्रेस विधायकों पर नजर रखें. 

इसके अलावा सपा और बसपा एवं निर्दलीय विधायकों पर वे खुद और उनके सहयोगी नेता नजर गढ़ाए हुए हैं. मुख्यमंत्री को इस बात अहसास है कि इस घटना के बाद दिल्ली नेतृत्व के इशारे पर भाजपा द्वारा कांग्रेस के अलावा सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों में सेंधमारी की जाएगी.

वहीं, भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की नाराजगी के बाद प्रदेश संगठन ने भी अपने विधायकों पर निगरानी बढ़ा दी है. विशेषकर वे विधायक जो कांग्रेस से आकर भाजपा मेंं शामिल हुए थे. इन विधायकों को लेकर भाजपा कुछ ज्यादा गंभीर है. भाजपा संगठन ने राज्य के दसों संभागों में वरिष्ठ नेताओं एवं पूर्व मंत्रियों को यह जिम्मेदारी दी है. 

सूत्रों की मानें तो रीवा संभाग में राजेन्द्र शुक्ल, सागर संभाग में भूपेन्द्र सिंह, ग्वालियर-चंबल संभाग में नरोत्तम मिश्रा और अरविंद भदौरिया, जबलपुर संभाग में अजय विश्नोई, उज्जैन संभाग में पारस जैन, इंदौर संभाग में जगदीश देवड़ा के अलावा इन संभागों के वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी दी है कि वे भाजपा विधायकों के अलावा वे विधायक जो मूलत: कांग्रेस के हैं एवं भाजपा में आकर शामिल हुए हैं. 

इन विधायकों पर नजरें रखी जाए. भाजपा के विधायकों के संपर्क में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह को रहने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है. ये दोनों नेता सभी विधायकों से लगातार संपर्क में रहेंगे.

कांग्रेस नेता मान रहे चुप नहीं रहेगी भाजपा

दो विधायकों के टूटने के बाद जब भाजपा हाईकमान नाराज हुआ तो कांग्रेस नेता इस बात को मानने लगे हैं कि अब भाजपा इस मामले को गंभीरता से लेगी और जल्द ही वह कुछ कदम उठा सकती है.वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने भी एलान किया था कि खेल कांग्रेस ने शुरू किया खत्म हम करेंगे. कांग्रेस की घबराहट का कारण दरअसल नरोत्तम मिश्रा का यह बयान भी है. पार्टी नेता मान कर चल रहे हैं कि भाजपा चुप नहीं बैठेगी. कुछ न कुछ जरूर करेगी. इस घटनाक्रम के बाद से कांगे्रस नेताओं द्वारा नरोत्तम मिश्रा के अलावा राज्य के पूर्व मंत्री कैलाश विजवर्गीय पर भी नजरें टिकी हुई हैं.यही वजह है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पार्टी के असंतुष्ट विधायकों को साधने का काम भी शुरु कर दिया है. उन्होंने मंत्रियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि असंतुष्ट विधायकों और सपा एवं बसपा के अलावा निर्दलीय विधायकों के काम प्राथमिकता के आधार पर करें.

टॅग्स :भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेसमध्य प्रदेशशिवमंगल सिंह सुमनकमलनाथ
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