उज्जैन, 27 अगस्त (रिपोर्ट- ब्रजेश परमार): राजाधिराज भगवान श्री महाकालेश्वर भाद्रपद माह के पहले सोमवार को प्रजा को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। भगवान महाकाल नेपांचवी सवारी में अपनी प्रजा को पांच रूपों में दर्शन दिये। सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन करने के बाद भगवान महाकाल की पालकी को नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया। पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी पं.घनश्याम शर्मा द्वारा करवायागया। पांचवी सवारी में रजतजडित पालकी में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर विराजित थे ,पालकी के पीछे हाथी पर मनमहेश, गरूड़ रथ पर श्री शिव तांडव प्रतिमा, नंदी रथ पर श्री उमामहेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट का मुखौटा विराजित थे।
सवारी की पालकी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने पालकी में विराजित श्री चन्द्रमौलेश्वर भगवान को सलामी दी गई।पालकी के आगे घुडसवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकड़ियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थीं। राजाधिराज भगवान महाकाल की सवारी मेंहजारों भक्त भगवान शिव का गुणगान करते हुए तथा विभिन्न भजन मंडलियां झांझ-मंजीरे, डमरू बजाते हुए चल रहे थे। सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों श्रद्धालु पालकी में विराजित श्री चन्द्रमोलेश्वर के दर्शन के लिए खडे थे और दर्शन पाकर स्वयं को धन्य मान रहे थे।
श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारीमहाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट पहुंची जहां पर क्षिप्रा के जल से भगवान श्री चंद्रमोलीश्वर का अभिषेक कर पूजा-अर्चनाकी गई। रामघाट पर पूजा-अर्चना के बाद सवारी अपने निर्धारित मार्ग से होते हुए पुनः श्री महाकाल मंदिर को रवाना हुई। सवारी के साथ जन प्रतिनिधि,समाजसेवी, धर्मपरायण जनता आदि चल रहे थे और भगवान महाकाल के गुणगान करते हुए शिवमय हो रहे थे।