भोपाल। मजदूरों के पलायन पर मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की सीमा पर अराजक स्थिति और संकट के लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेदार है। अधिकारी ने कहा कि भोपाल से 313 किलोमीटर दक्षिण में बड़वानी जिले में मप्र-महाराष्ट्र सीमा पर बिजासन में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान आदि कई हिस्सों के मजदूर भारी संख्या में महाराष्ट्र से आ रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र से पलायन कर रहे मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों के कारण मध्यप्रदेश की सीमा पर कई दिनों से भीड़ की स्थिति बनी हुई है। लॉकडाउन के बाद भी ट्रकों, मिनी ट्रकों, कारों, टैक्सियों, ऑटो-रिक्शा, बाइक से मजदूर और उनके परिवार के सदस्यों की भीड़ में वृद्धि हुई है। लोगों ने साइकिल से आवाजाही भी शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार काफी समय से राज्य के मजदूरों को सीमा से बसों में उनके गंतव्य तक भेजने की व्यवस्था की है। मंगलवार से यूपी की सीमा पर अन्य राज्यों के मजदूरों को छोड़ने के लिए बेड़े में 100 और बसों को शामिल किया गया है। लेकिन महाराष्ट्र से पलायन कर रहे मजदूरों की बढ़ संख्या से अव्यवस्था फैलती जा रही है। इन मजदूरों ने सरकारी कर्मचारियों पर पथराव भी किया। शुक्रवार को बिजासन की यात्रा पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए, इंदौर संभाग के आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने कहा, "यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है। महाराष्ट्र को ऐसा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, वे गलत स्थानों पर गलत लोगों को छोड़ रहे हैं। पूर्वी एमपी के जिलों जैसे रीवा, सतना आदि के लोगों को भी यहां छोड़ा जा रहा है। यहां तक कि पूर्वी यूपी के लोगों को भी पश्चिमी हिस्से में भेजा जा रहा है। उन्हें ट्रेनों द्वारा भेजा जाना चाहिए। जो हो रहा है वह गलत है। लेकिन हमारे मुख्यमंत्री ने मानवीय आधार पर यह रुख अपनाया है कि वे लंबी दूरी तय कर रहे हैं, इसलिए हमें अपनी बसों का उपयोग करके उन्हें यूपी की सीमा तक भेजना चाहिए। ”
उन्होंने कहा, "हमने अब अन्य राज्यों के लोगों की भीड़ को देखते हुए बसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 200 कर दी है और किसी भी अराजक स्थिति से बचने के लिए सुबह के समय बसें उपलब्ध कराई जा रही हैं।" उन्होंने कहा, ''हम यह भी प्रयास कर रहे हैं कि अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूरों को ऐसी चिलचिलाती गर्मी में नहीं चलना पड़े, लेकिन हमारे पास संसाधनों की अपनी सीमाएं हैं। अगर उन्हें(महाराष्ट्र सरकार) मजदूरों को सीमाओं पर भेजना है तो उन्हें संख्या को सीमित करना चाहिए।”
अधिकारियों के अनुसार, लॉकडाउन 2.0 के बाद, ऐसे मजदूरों की संख्या 20,000 से 25,000 प्रति दिन हो गई है। पिछले 12 दिनों से जिला प्रशासन ने अन्य राज्यों के मजदूरों को बिना किसी परेशानी का सामना किए बिना राज्य में प्रवेश करने की अनुमति दी है। बढ़ती भीड़ के बाद से मजदूरों और सरकारी कर्मचारियों अक्सर टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। 3 मई को हुए पथराव की घटना में तीन पुलिसकर्मी घायल हुए थे।