मध्य प्रदेश चुनाव: बागी प्रत्याशियों को मानने के लिए कांग्रेस-बीजेपी ने शुरू किया 'डेमेज कंट्रोल सिस्टम', इन सीटों पड़ेगा असर

By शिवअनुराग पटैरया | Published: November 11, 2018 06:55 PM2018-11-11T18:55:58+5:302018-11-11T18:56:29+5:30

भाजपा और कांग्रेस ने बागी प्रत्याशियों के कारण संभावित नुकसान को टालने के लिए डेमेज कंट्रोल प्रारंभ कर दिया है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बागियों को मनाने के लिए संघ के साथ समन्वित कार्य योजना पर काम कर रहे हैं।

Madhya Pradesh Elections: Congress-BJP start 'Damage Control System' for rebel candidates impact these assembly seats | मध्य प्रदेश चुनाव: बागी प्रत्याशियों को मानने के लिए कांग्रेस-बीजेपी ने शुरू किया 'डेमेज कंट्रोल सिस्टम', इन सीटों पड़ेगा असर

मध्य प्रदेश चुनाव: बागी प्रत्याशियों को मानने के लिए कांग्रेस-बीजेपी ने शुरू किया 'डेमेज कंट्रोल सिस्टम', इन सीटों पड़ेगा असर

Highlightsबागियों और नाराजों को मनाने के लिए दोनों ही बड़े दलों ने शुरू किया डेमेज कंट्रोल सिस्टमबागी खड़े हुए या खड़े करवा दिए गए

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार दोनों ही बड़े दलों भाजपा और कांग्रेस के बागी बड़ी संख्या में मैदान में हैं। बागियों की इस बड़ी संख्या को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी दलों में प्रत्याशियों के साथ ईमानदारी से व्यवहार नहीं किया है या फिर कोई और बात है। यह सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है कि सार्वजनिक तौर पर इस तरह की बातें कहीं जाने लगी हैं कि विभिन्न प्रत्याशियों को उनके आकाओं ने तो कहीं खड़ा नहीं किया है। वैसे रूठों को मनाने और खड़ों को बैठाने का सिलसिला भी दोनों दलों में बड़ी तेजी से चल निकला है।

भाजपा और कांग्रेस ने चलाया बागी प्रत्याशियों के लिए डेमेज कंट्रोल  

भाजपा और कांग्रेस ने बागी प्रत्याशियों के कारण संभावित नुकसान को टालने के लिए डेमेज कंट्रोल प्रारंभ कर दिया है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बागियों को मनाने के लिए संघ के साथ समन्वित कार्य योजना पर काम कर रहे हैं। रूठों को मनाने और बागियों को बैठाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने निकटतम मंत्रियों और राजनीतिक सहयोगियों को भी लगा रखा है। लेकिन अधिकांश स्थानों पर बागी मानते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं। सरताज सिंह के बागी होने की खबरों के साथ ही उन्हें मनाने का जिम्मा खनिज निगम के अध्यक्ष शिव चौबे को सौंपा गया था। वे उन्हें मनाने भी गए थे लेकिन सरताज हैं कि माने नहीं।

सरताज सिंह की बगावत पर भाजपा के ग्वालियर के पूर्व जिलाध्यक्ष और अब राजनीति से किनारा कर चुके राज चड्डा ने तंज भी कसा। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि ‘सरदार जी आपने यह क्या किया, आप तो मेरे लीडर थे, तब से जब पटवा पार्टी के अध्यक्ष और मैं आपका मंत्री। संगठन में आपकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक थी आपकी लोकप्रियता मैंने इटारसी और होशंगाबाद में देखी है। पटवा जी की सभा में जब मैं वहां गया तो मैने कांग्रेस समर्थक आपके फोटो लगाए हुए थे।  आप इस उम्र में फिसलेंगे इसकी आशंका नहीं हैं, माना की आपकी जीत सुनिश्चित थी।

यह भी माना कि पार्टी ने आपके साथ अन्याय किया तो क्या आप अकेले हैं जिनके साथ अन्याय हुआ है जिस ढंग से पार्टी को एक लिमिटेड कंपनी की तरह चलाया जा रहा है 10 में से 9 के साथ अन्याय होना ही है। अरे दुरुस्त करो जो अन्याय कर रहे हैं। अपनी पोस्ट के आखिर में राज चड्डा लिखते हैं कि आप जीत भी जाओगे तो मैं आपको हारा हुआ ही मानूंगा। जीत तो कांग्रेस की हुई जिसने हमारे सर से ताज छीन लिया। आपसे छोटा हूं पर आपको माफ नहीं करूंगा।’ सरताज की तरह ही बागी हुए पूर्व वित्त मंत्री राघवजी भाई ने विदिशा विधानसभा से सपाक्स की तरफ से प्रत्याशी बनकर भाजपा को मुसीबत में डाल दिया है। वे भाजपा के दूसरे तमाम असंतुष्टों के साथ मिलकर अपने पुराने दल भाजपा को कड़ी चुनौैती दे रहे हैं।

शिवराज सिंह मनाने में हुए नाकामयाब

शिव के जरिए शिवराज के द्वारा सरताज को मनाने की कोशिशें भले ही कामयाब न हुई हों लेकिन शिवराज सिंह चौहान बुंदेलखंड के कुछ इलाकों में बगावत को आंशिक रूप से थामने में कामयाब हो गए। उन्होंने छतरपुर जिले के महाराजपुर से प्रत्याशी होने जा रहे पूर्व सांसद जितेंद्र सिंह को नरेंद्र सिंह तोमर के जरिए मनाया, तो बड़ामलहरा से टिकट कटने से नाराज विधायक रेखा यादव को खुद और उमा भारती के जरिए अस्वस्त करग ठंडा किया। इसी तरह उन्होंने टीकमगढ़ से बागी हो गए केके श्रीवास्तव को भी मनाया लेकिन वे उनकी ही सरकार में कृषि मंत्री रहे रामकृष्ण कुसमरिया को नहीं मना पाए। वे दमोह और हटा से प्रत्याशी हैं।  कुसमरिया भाजपा के लिए इसलिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं क्योकि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर घोषणा कर दी है कि वे पार्टी से बागी हुए लोगों के साथ प्रचार अभियान चलाएंगे। मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर से बागी हो गए रमेश सक्सेना को अब तक न शिवराज मना पाए हैं और न संगठन।

सीहोर से रमेश सक्सेना और उनकी पत्नी और बेटे हैं प्रत्याशी

सीहोर से रमेश सक्सेना उनकी पत्नी और बेटे तीनों प्रत्याशी हैं। रमेश सक्सेना को मनाने के लिए तमाम कोशिशें हो रही हैं लेकिन वे निर्दलीय विधायक सुदेश राय के लिए उनका टिकट काटे जाने से इतने नाराज हैं कि पूरे जिले में पार्टी का सिराजा बिखेरने में लगे हैं। मुख्यमंत्री संघ और संगठन बम्होरी से खड़े हुए पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल, भिंड से ताल ठोक रहे विधायक नरेंद्र कुशवाहा, जबलपुर उत्तर से मैदान में उतरे भारतीय जनता युवा मोर्चा के धीरज पटेरिया, बैरसिया से ब्रह्मानंद रत्नाकर को अब नहीं मना पाया है। वैसे भाजपा से जुड़े सूत्रों का मानना है कि ग्वालियर दक्षिण से बागी होकर नामांकन दाखिल करने वाली समीक्षा गुप्ता राजनगर से बागी प्रत्याशी के तौर खड़े हुए घासी पटेल जैसे कुछ लोगों के मैदान से हटने के सकारात्मक संकेत हैं।

कांग्रेस ने लगाया एड़ी चोटी का जोर

बागियों को मनाने के लिए कांग्रेस भी जोर लगा रही है। बागियों को मनाने की मुख्य जवाबदारी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के हाथों में है। उन्होंने भोपाल दक्षिण पश्चिम से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले संजीव सक्सेना को तो मना लिया लेकिन उसके कारण कांग्रेस का साथ दे रहे व्हिसिल ब्लोवर फिसल गए हैं। संजीव सक्सेना के घर जाकर उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी पीसी शर्मा के पक्ष में बैठाने पर व्हिसिल ब्लोवर डा। आनंद राय ने ट्वीट कर कहा कि ऐसी क्या मजबूरी है कि व्यापमं मामले में 6-6 केस हों, जिसने मप्र के युवाओं के सपनों का सौदा कर करोंड़ों की संपत्ति अजिर्त की हो उसे गोद में बिठाकर लाड़ करना पड़ रहा है। आनंद राय ने अपने ट्वीट में दिग्विजय सिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आपके लिए भ्रष्टाचार कभी मुद्दा था ही नहीं। आप लोगों ने हम व्हिसिल ब्लोवर की मेहनत पर पानी फेर दिया।

छतरपुर जिले में नितिन चतुर्वेदी को लगातार बैठाने की बात

वैसे कांग्रेस छतरपुर जिले के राजनगर से बागी हो गए कांग्रेस के पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के बेटे नितिन चतुर्वेदी को बैठाने के लिए लगातार बात कर रही है। इसीलिए  सत्यव्रत चतुर्वेदी को कांग्रेस ने बेटे की बगावत के बाद भी अब अपने स्टार प्रचारकों की सूची से नहीं हटाया है। कांग्रेस से बागी होकर चंबल के सेवड़ा विधानसभा क्षेत्र से खड़े हुए बृजराज सिंह को मना तो लिया पर उन्होंने मानते-मानते जो कह दिया उसने कांग्रेस पार्टी के भीतर चल रही दबाव की राजनीति की बोल खोल दी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मैं  बड़े नेताओं के इशारों पर खड़ा हुआ था और उन्हीं के इशारों पर बैठ रहा हूं। वैसे कांग्रेस अब तक भोपाल मध्य से खड़े हुए बागी साजिद अली, गोंिवंदपुरा भोपाल से नामांकन दाखिल कर चुके रामबाबू शर्मा, इंदौर -1 से बागी प्रत्याशी के तौर पर खड़ी हुई प्रीति अग्निहोत्री और कमलेश खंडेलवाल और इंदौर-2 से चिंटू चौकसे और इंदौर -5 से खड़े हुए छोटे यादव को नहीं मना पाई है। वैसे कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और इंदौर -1 से कांग्रेस प्रत्याशी अश्विनी के चाचा कमलेश खंडेलवाल को मनाने उनके घर गए हुए थे। इंदौर-1 से टिकट काटे जाने पर बागी हो गई प्रीति अग्निहोत्री के पति गोलू अग्निहोत्री उनके पत्नी का टिकट काटे जाने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं और कह रहे कि मानेंगे नहीं। कुछ इसी तरह छतरपुर जिले के बिजावर से सपा प्रत्याशी के तौर पर खड़े हो गए राजेश शुक्ला उर्फ बबलू को भी मनाने के लिए  नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और दिग्विजय सिंह की तरफ से कोशिशें की जा रही हैं।

मध्यप्रदेश के चुनावी समर में नामांकन वापस लेने के लिए अब बहुत थोड़े दिन ही बचे हैं ऐसे में रूठों को मनाने और खड़ों को बैठाने के लिए सामदाम, दंड भेद का सहारा लिया जा रहा है। बागी हो चुके प्रत्याशियों को भविष्य के सपने दिखाए जा रहे हैं और सत्ता में आने के बाद सम्मानजनक पद देने का वादा भी किया जा रहा है। दरअसल दोनों ही दल अच्छी तरह से जानते हैं इस बार चुनावी मुकाबला काफी कड़ा है। बागी दोनों के लिए मुसाबितें न खड़ी कर दें इसलिए अपनों को मनाने में सभी पार्टियां लगी हैं।
इनके नरम पड़े तेवर

भाजपा में वरिष्ठ नेताओं द्वारा की जा रही चर्चा के बाद गरोठ से विधायक चंदर सिसोदिया, पनागर से पूर्व विधायक नरेन्द्र त्रिपाठी, इछावर से अजय पटेल और आष्टा से उर्मिल मरोठा के तेवर नरम पड़े हैं। इन्होंने नामांकन वापस लेने की बात कही है। वहीं कांग्रेस में आष्टा से घनश्याम जागड़ा, सिहोरा से कौशल्या कोटिया ने नाम वापस लेने की बात कही है। वहीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले एचआर परमाल से जिला अध्यक्ष रतनसिंंह ठाकुर से भी चर्चा चल रही है।
 

Web Title: Madhya Pradesh Elections: Congress-BJP start 'Damage Control System' for rebel candidates impact these assembly seats

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