मध्य प्रदेश: प्रधानमंत्री के चार घंटे के दौरे पर 23 करोड़ रुपये खर्च करेगी राज्य सरकार, रैली में शामिल वाहनों को मिलेगी रोड टैक्स से छूट
By विशाल कुमार | Published: November 13, 2021 01:48 PM2021-11-13T13:48:11+5:302021-11-13T13:53:16+5:30
मध्य प्रदेश में 15 नवंबर को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा. इसमें 52 जिलों से आने वाले लोगों के आवागमन, खाने और रहने के लिए 12 करोड़ रुपये. गुंबदों, टेंट, सजालवट औऱ प्रचार के लिए 9 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
भोपाल: अगले हफ्ते मध्य प्रदेश में आदिवासी योद्धाओं के सम्मान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार घंटे के दौरे के लिए राज्य सरकार 23 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इसमें से 12 करोड़ रुपये केवल जंबोरी मैदान में होने वाले कार्यक्रम में लोगों को लाने-लेजाने का लिए किया जाएगा.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, 52 जिलों से आने वाले लोगों के आवागमन, खाने और रहने के लिए 12 करोड़ रुपये. गुंबदों, टेंट, सजालवट औऱ प्रचार के लिए 9 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
जंबोरी मैदान में प्रदेशभर से कुल दो लाख आदिवासी इकट्ठा होंगे. वहां पांच बड़े गुंबदनुमा पांडाल बनाए गए हैं. पूरे कार्यक्रम स्थल पर आदिवासी कलाओं के साथ आदिवासी योद्धाओं की तस्वीरें बनाने के लिए एक हफ्ते से 300 कारीगर लगे हैं.
दरअसल, 15 नवंबर को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाएगा. इस दौरान प्रधानमंत्री निजी-सार्वजनिक भागीदारी वाले हबीबगंज रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे.
प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने वाले वाहनों को रोड टैक्स से छूट
मध्य प्रदेश सरकार ने जनजातीय गौरव दिवस में शामिल होने वाले वाहनों को टोल टैक्स देने से छूट देने का ऐलान किया है. इसके साथ ही रास्ते में मैकेनिक्श का भी इंतजाम किया जाएगा ताकि रास्ते में बस खराब होने पर उन्हें तत्काल सही किया जा सके.
हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम आदिवासी नेता के नाम पर रखने की सिफारिश
भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित कई भाजपा नेताओं ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने की मांग की थी. लेकिन राज्य सरकार ने आदिवासी समुदाय से आने वाले गोंड शासक रानी कमलापति के नाम का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है.
सबसे अधिक आदिवासी आबादी वाला राज्य है मध्य प्रदेश
देशभर में मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय की संख्या सबसे अधिक है. राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं. 2008 में भाजपा ने 29 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2013 में यह संख्या 31 थी लेकिन 2018 में भाजपा को 47 में से केवल 16 सीटें मिली थीं.
दो सालों में 28 फीसदी बढ़े अत्याचार के मामले
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जातियों के खिलाफ 2020 में 2401, 2019 में 1922 और 2018 में 1868 अत्याचार के मामले दर्ज हुए. इस तरह, पिछले दो सालों के दौरान इसमें 28 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.