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नहीं रहे बिहार के पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन, मध्य प्रदेश में पांच दिन का राजकीय शोक

By एस पी सिन्हा | Updated: July 21, 2020 14:43 IST

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को बिहार का राज्यपाल मनोनीत किया था. 2019 में मध्‍य प्रदेश का राज्‍यपाल बनाए जाने तक बिहार के राज्यपाल रहे लालजी टंडन ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए कई बडे़ फैसले लिए. 

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ठळक मुद्देवे मात्र 331 दिन ही बिहार के राज्यपाल रहे लेकिन अपने सालभर से भी कम के कार्यकाल में उच्च शिक्षा के विकास में कई अहम प्रयास किये. छोटे-बडे़ कई हस्तक्षेपों से उन्होंने बड़ी लकीरें खींचीं. खासतौर से लंबित परीक्षाएं, छात्रहित की अनदेखी और वित्तीय व्यवस्था को दुरुस्त करने पर विशेष तवज्जो रहा.राज्यपाल के तौर पर लालजी टंडन ने राज्य के विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह नियमित करने पर जोर दिया.

पटना/लखनऊः बिहार के तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर बिहार के राज्‍यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई मंत्रियों व नेताओं ने शोक व्यक्त किया है.

बिहार के 39वें राज्यपाल के रूप में लालजी टंडन ने 23 अगस्त 2018 को शपथ ली थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को बिहार का राज्यपाल मनोनीत किया था. 2019 में मध्‍य प्रदेश का राज्‍यपाल बनाए जाने तक बिहार के राज्यपाल रहे लालजी टंडन ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए कई बडे़ फैसले लिए. 

हालांकि वे मात्र 331 दिन ही बिहार के राज्यपाल रहे लेकिन अपने सालभर से भी कम के कार्यकाल में उच्च शिक्षा के विकास में कई अहम प्रयास किये. छोटे-बडे़ कई हस्तक्षेपों से उन्होंने बड़ी लकीरें खींचीं. खासतौर से लंबित परीक्षाएं, छात्रहित की अनदेखी और वित्तीय व्यवस्था को दुरुस्त करने पर विशेष तवज्जो रहा.

राज्यपाल के रूप में उनके 300 दिन पूरा करने पर राजभवन ने एक पुस्तिका का भी प्रकाशन किया था. राज्यपाल के तौर पर लालजी टंडन ने राज्य के विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह नियमित करने पर जोर दिया. उन्होंने अपने कार्यकाल में ही बिहार में दीक्षांत समारोह में भारतीय परिधानों का चलन शुरू कराया.

अकादमिक तथा परीक्षा कैलेंडर के नियमित करने पर उन्होंने विशेष जोर दिया. इस कड़ी में कई विश्वविद्यालयों में लंबित परीक्षाएं उनकी पहल से ही ली गईं. विश्वविद्यालयों की तमाम योजनाओं में छात्रहित को सर्वोपरि रखने की हिदायत हमेशा देते रहे. राजभवन में धन्वंतरी तथा नक्षत्र वाटिकाएं स्थापित करवाईं. विश्वविद्यालयों में इसी साल से यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (यूएमआईएस) लागू कराया.  

लालजी टंडन ने राजभवन को शैक्षिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया. इस कडी में जो सबसे बडी कार्यशाला हुई, वह उच्च शिक्षा के विकास के ब्लूप्रिंट निर्माण को लेकर हुई. इसपर काम अंतिम चरण में है. नैक मान्यता, डिजिटाइजेशन और शोध को लेकर अन्य तीन महती कार्यशालाएं हुईं. इन चारों कार्यशालाओं में देश के चर्चित शिक्षाविद आए और बिहार के विश्वविद्यालयों का मार्गदर्शन किया.

53 शहीदों की पत्नियों को 51-51 हजार का सम्मान, संगीतज्ञों को सम्मान आदि इनके महत्वपूर्ण कार्य रहे

गांधी दर्शन पर सेमिनार, 53 शहीदों की पत्नियों को 51-51 हजार का सम्मान, संगीतज्ञों को सम्मान आदि इनके महत्वपूर्ण कार्य रहे. लालजी टंडन के निधन पर बिहार के राज्‍यपाल फागू चौहान ने शोक व्‍यक्‍त किया है. उन्‍होंने कहा है कि लालजी टंडन ने बिहार में उच्‍च शिक्षा के विकास को गति प्रदान की वे लोकप्रिय राजनेता, कुशल प्रशासक और विद्वान लेखक थे. उनके निधन से भारतीय सामाजिक-राजनीतिक जीवन को अपूरणीय क्षति हुई है.

बिहार के पूर्व राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के अलावा प्रदेश भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय में भी टंडन के निधन पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि टंडन ने बिहार के उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कई अहम निर्णय कर नई दिशा देने का काम किया था.

राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर मध्य प्रदेश में पांच दिन का राजकीय शोक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर राज्य में सरकार ने पांच दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है और इस दौरान कोई मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जायेंगे और राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

चौहान ने बताया कि दिवंगत राज्यपाल के सम्मान में मध्य प्रदेश सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों समेत सभी शासकीय कार्यालय एवं शिक्षण संस्थाएं आज मंगलवार को बंद रहेंगे। उन्होंने बताया कि उनके निधन पर मध्य प्रदेश में 21 जुलाई से 25 जुलाई तक पांच दिन का राजकीय शोक रहेगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि राजकीय शोक की अवधि में प्रदेश में कोई आधिकारिक तथा मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जायेंगे और इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। उन्होंने कहा कि टंडन का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जायेगा।

आज मंत्रिपरिषद की बैठक में मुख्यमंत्री और समस्त मंत्रिपरिषद ने खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा और टण्डन को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि के बाद मंत्रिपरिषद की बैठक की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश की जनता की ओर से दिवंगत टंडन को श्रद्धांजलि देने के लिए वह लखनऊ जा रहे हैं। टंडन 29 जुलाई 2019 को मध्य प्रदेश के राज्यपाल बने थे। उनका मंगलवार सुबह उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे।

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