लुलु मॉल के वायरल वीडियो में नमाज पढ़ने वाले हिन्दू नहीं थे, कुछ लोग फैला रहे हैं भ्रामक खबर, यूपी पुलिस ने जारी किया स्पष्टीकरण
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 18, 2022 06:00 PM2022-07-18T18:00:33+5:302022-07-18T18:56:00+5:30
लुलु मॉल विवाद में यूपी पुलिस ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि वहां पर किसी तरह से धार्मिक सद्भाव को चोट पहुंचाने की कोशिश नहीं की जा रही है। कुछ मीडिया संस्थान माहौल खराब करने के लिए जानबूझकर भ्रामक खबरें चला रहा है।
लखनऊ:उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पुलिस ने सोमवार को स्पष्टीकरण जारी करते हुए उन खबरों को भ्रामक बताया जिनमें लुलु मॉल नमाज विवाद में गिरफ्तार लोगों के नाम के आधार पर यह दावा किया जा रहा था कि नमाज पढ़ने वाले हिन्दू थे। पुलिस ने इस तरह की खबरों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।
पुलिस ने बताया कि बिना आज्ञा के नमाज पढ़ने के मामले अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिक शिकायत (FIR) दर्ज की गयी है लेकिन उस मामले से जुड़े किसी व्यक्ति की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है। जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है उन्हें अलग मामले में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में तीन (सरोज नाथ योगी, कृष्ण कुमार पाठक और गौरव गोस्वामी) को मॉल में हनुमान चालिसा पढ़ने और एक (अरशद अली) को नमाज पढ़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यूपी में सार्वजनिक स्थल पर धार्मिक गतिविधियों पर रोक है। किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि निर्धारित स्थल पर ही की जा सकती है।
यूपी पुलिस की तरफ से जारी बयान के अनुसार 12 जुलाई को लुलु मॉल में नमाज पढ़ने के वीडियो के वायरल होने के बाद सम्बन्धित थाने में 14 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज की गयी। 15 जुलाई को इन चार आरोपियों पर कार्रवाई की गयी। 16 जुलाई को शांति व्यवस्था भंग करने के आरोप में 18 अन्य लोगों पर कार्रवाई की गयी। 16 जुलाई को ही लुलु मॉल के चारदिवारी के करीब पूजापाठ, नारेबाजी और अमनचैन बिगाड़ने के प्रयास के आरोप में कार्रवाई की गयी।
सोशल मीडिया पर लू-लू मॉल प्रकरण के सम्बन्ध में कुछ युवकों का नाम लेकर भ्रामक खबरें प्रसारित की जा रही है, जो कि पूर्णतया असत्य है ।
— POLICE COMMISSIONERATE LUCKNOW (@lkopolice) July 18, 2022
लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस इस भ्रामक खबर का पूर्ण रूप से खण्डन करती है।@Uppolicepic.twitter.com/KREhWwnAZu
यूपी पुलिस ने 15 जुलाई को अपने ट्वीट में लिखा था कि लुलु मॉल में 'धार्मिक गतिविधियों' के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तर किया गया है। पुलिस के ट्वीट में चारों आरोपियों के नाम भी थे। नाम के आधार पर मीडिया का एक तबके अनुमान लगा लिया कि आरोपी वायरल नमाज वीडियो के मामले में गिरफ्तार किये गये हैं।
So it turns out that those offering the namaaz at Lulu mall in Lucknow were actors who probably wanted to create social unrest. But what does it say about us, the majority, that these actors knew that people would get triggered at the sight of someone praying. Reflect.
— Rohini Singh (@rohini_sgh) July 18, 2022
लुलु मॉल में नमाज का वीडियो वायरल होने के बाद सोशलमीडिया पर यह अफवाह भी उड़ायी गयी कि इस मॉल के 90 फीसदी पुरुष कर्मचारी मुस्लिम हैं और महिला कर्मचारी हिन्दू हैं। इस अफवाह का खण्डन करते हुए लुलु मॉल, लखनऊ के क्षेत्रीय निदेशक जयकुमार गंगाधर ने रविवार को बयान जारी करके स्पष्ट किया कि मॉल में काम करने वाले 80 प्रतिशत कर्मचारी यूपी के हैं और सभी धर्मों एवं जातियों के हैं।
लुलु मॉल भारतीय मूल के कारोबारी युसूफ अली द्वारा स्थापित लुलु इंटरनेशनल कारोबारी समूह द्वारा संचालित किया जाता है। यूसुफ अली मूलतः केरल करे रहने वाले थे। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में उन्होने लुलु मॉल की शुरुआत की और इसकी शाखाएं पूरी दुनिया में फैलायीं।
लुलु मॉल को यूपी का सबसे बड़ा मॉल माना जाता है। लुलु समूह में करीब 57 हजार लोग काम करते हैं और इसका कुल सालाना कारोबार सात अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का है। लुलु समूह ने लखनऊ के अलावा कश्मीर में भी खाद्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की है।