बिहार: जमीन दाखिल खारिज के मुद्दे को लेकर विधानसभा में हुआ जमकर हंगामा, भाजपा ने उठाया भ्रष्टाचार का मामला
By एस पी सिन्हा | Published: March 23, 2023 05:50 PM2023-03-23T17:50:46+5:302023-03-23T17:58:39+5:30
जमीन दाखिल खारिज के मुद्दे पर बोलते हुए भाजपा विधायक ने बिहार विधानसभा में कहा है कि जो लोग इसके लिए पैसे नहीं दे रहे हैं उनका आवेदन खारिज कर दिया जा रहा है और जो दाखिल खारिज कराने के एवज में पैसे दे रहे हैं, उनका आसानी से हो जा रहा है।
पटना:बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही गुरूवार को भाजपा ने अपराध और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार बनाने का संकल्प सदन से पारित कराने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने सदन में कहा कि बिहार दिवस पर कार्यक्रम किये जा रहे हैं। ऐसे में एक अप्रैल से चौथे कृषि रोड मैप की शुरूआत हो रही है। लेकिन इसके पहले के कृषि रोड मैप में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है।
पूर्व कृषि मंत्री ने भी इस पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं भाजपा विधायक अरूण शंकर प्रसाद ने दाखिल खारिज में भारी गड़बड़ी और रिश्वतखोरी का सवाल उठाया है। इस पर सदन में काफी शोरगुल हुआ है।
दाखिल- खारिज के मुद्दे को लेकर सदन में उठा सवाल
अरुण शंकर प्रसाद ने दाखिल- खारिज की सुस्ती से जुड़ा मामला उठाते हुए सदन को बताया कि जिस हिसाब से दाखिल खारिज के लिए आवेदन आ रहे हैं, उस मुकाबले में मामलों का निपटारा नहीं किया जा रहा है। भाजपा विधायक ने कहा कि ऑनलाइन माध्यम से 99 लाख से अधिक दाखिल खारिज के आवेदन आए उसमें से 36 लाख से अधिक आवेदनों को खारिज कर दिया गया है।
मामले में भाजपा विधायक ने आगे कहा है कि जो लोग इसके लिए पैसे नहीं दे रहे हैं उनका आवेदन खारिज कर दिया जा रहा है और जो दाखिल खारिज कराने के एवज में पैसे दे रहे हैं, उनका आसानी से हो जा रहा है। अभी भी करीब 10 लाख मामले लंबित हैं। इस पर अरूण शंकर प्रसाद ने आगे कहा है कि जयनगर अंचल में जांच करा लीजिए। वहां पर 10 से लेकर 20 लाख रुपए लेकर दाखिल किया जा रहा है।
विपक्ष के सवालों को दिया गया जवाब
इस पर मंत्री ने कहा कि अफवाह पर मत जायें बल्कि ठोस सबूत दें, कार्रवाई करेंगे। ऐसे में दाखिल-खारिज में रिश्वत पर सत्ता पक्ष के कई सदस्य सदन में खड़े हो गए। इस पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दाखिल खारिज पूरे बिहार की समस्या है। इसमें रिश्वतखोरी से पूरा बिहार परेशान हैं।
ऐसे में विधानसभा के अध्यक्ष से यह मांग किया कि विधानसभा की एक कमिटी बनाकर इसकी जांच कराइए। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि चढ़ावा नहीं चढ़ाने वाले का दाखिल-खारिज कैंसिल हो जाता है। इस पूरे मामले में मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि पहले भी समय सीमा निर्धारित थी लेकिन कभी समय सीमा पर काम नहीं हुआ अब हो रहा है। अब तीन महीने में पेंडिंग काम खत्म करने का निर्देश दिया गया है। इसपर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंत्री हवाबाजी का बयान दे रहे हैं।