लोकमत समूह के चेयरमैन विजय दर्डा ने 'बाबूजी' के अद्भुत जीवन को याद किया, कहा- 'हमेशा आम लोगों के अधिकार के लिए लड़े'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 4, 2023 04:56 PM2023-12-04T16:56:38+5:302023-12-04T16:58:02+5:30

लोकमत के संस्थापक श्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी' के अद्भुत जीवन को याद करते हुए विजय दर्डा ने कहा कि वह अद्भुत व्यक्तित्व के मालिक थे। 'बाबूजी' को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में वह दो बार जेल गए।

Lokmat Group Chairman Vijay Darda remembered the amazing life of Jawaharlal Darda 'Babuji' | लोकमत समूह के चेयरमैन विजय दर्डा ने 'बाबूजी' के अद्भुत जीवन को याद किया, कहा- 'हमेशा आम लोगों के अधिकार के लिए लड़े'

लोकमत समूह के चेयरमैन विजय दर्डा

Highlightsलोकमत समूह के चेयरमैन विजय दर्डा ने अतिथियों का स्वागत कियाश्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी' के अद्भुत जीवन को याद कियाकहा- वह जाति-पाति धर्म से बहुत आगे देखते थे और मानते थे कि सबके विचारों का सम्मान होना चाहिए

Book launch 'Jawahar' based on senior freedom fighter Jawaharlal Darda: लोकमत के संस्थापक, वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनीतिक-सामाजिक नेता श्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी'  के अद्भुत प्रेरणादायी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित पुस्तक ‘जवाहर’ के विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अतिथि गण लोकेश मुनि, गुलाम नबी आजाद, अधीर रंजन चौधरी, मुकुल वासनिक, रामदास आठावले, आलोक मेहता. कांग्रेस नेता जर्नादन द्विवेदी, विनोद तावड़े दिल्ली पहुंचे। 

लोकमत समूह के चेयरमैन विजय दर्डा ने अतिथियों का स्वागत किया। लोकमत के संस्थापक  श्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी'  के अद्भुत जीवन को याद करते हुए विजय दर्डा ने कहा कि वह अद्भुत व्यक्तित्व के मालिक थे। 'बाबूजी' को याद करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में वह दो बार जेल गए। विजय दर्डा ने कहा कि श्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी' ने हमेशा इस बात की लड़ाई लड़ी कि आजादी के बाद मिले अधिकार आम लोगों तक पहुंचें। 

विजय दर्डा ने कहा कि  'बाबूजी' ने माना कि लोगों को उनका अधिकार दिलाने की लड़ाई में सबसे अहम हथियार अगर कोई है तो वह है अखबार। 1952 में वीकली के रूप में लोकमत का जन्म हुआ। 1971 में नागपुर से दैनिक के रूप में प्रकाशित होने लगा। विजय दर्डा ने कहा कि  श्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी' की सोच बहुत साफ थी। उनका मानना था कि राजनीति और पत्रकारिता हमेशा अलग होनी चाहिए। वह जाति-पाति धर्म से बहुत आगे देखते थे और मानते थे कि सबके विचारों का सम्मान होना चाहिए। 

विजय दर्डा ने कहा कि इमरजेंसी के समय जब जार्ज फर्नांडिज भूमिगत हुए थे तब वह तीन दिन तक हमारे घर रहे थे। श्री जवाहरलाल दर्डा 'बाबूजी'  के अद्भुत जीवन को याद करते हुए विजय दर्डा ने कहा कि वह रिश्तों की अहमियत समझते थे और दिन में जिसका विरोध करते थे रात में उनके साथ भोजन भी करते थे। विजय दर्डा ने कहा कि इस किताब ‘जवाहर’ के माध्यम से समाज और आज की पीढ़ी को एक संदेश मिलेगा। 

बता दें कि देश की आजादी के लिए संघर्ष से लेकर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री तक की यात्रा के दौरान आए अनेक पड़ावों, संघर्षों और नैतिक मूल्यों से भरी उनकी जीवन यात्रा को पुस्तक में संजोया गया है। श्री जवाहरलाल दर्डा जैसे व्यक्ति का जन्म कई सौ वर्षों में एक बार होता है। उनका सम्पूर्ण जीवन समाज और देश के लिए प्रेरणादायी था। उन्होंने अद्भुत साहस, नेतृत्व, कौशल और नैतिक मूल्यों के साथ भारत को महान बनाने के लिए कठिन प्रयास किया. उनके विचार और कार्य हम सभी को आगे बढ़ने की सदा प्रेरणा देते हैं।

Web Title: Lokmat Group Chairman Vijay Darda remembered the amazing life of Jawaharlal Darda 'Babuji'

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