लोकसभा चुनावः UP में 12 लाख से अधिक वोटर पहली बार करेंगे वोट, मतदाता सूची में जोड़े गए नाम
By भाषा | Published: February 3, 2019 01:36 PM2019-02-03T13:36:21+5:302019-02-03T13:36:21+5:30
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस एप को लांच किया जाएगा। इसके लिए कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल फोन पर इस एप को डाउनलोड कर सकेगा। किसी भी जगह पर आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी गतिविधियों को मोबाइल कैमरे से रिकॉर्ड करने के बाद वह रिकार्डिंग ई-विजिल एप में भेजनी होगी।
लोकसभा के आगामी चुनाव में आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए ‘सी विजिल’ मोबाइल एप्लीकेशन लागू किया जाएगा। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 12,36000 मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल वेंकटेश्वर लू ने बताया कि इस बार कुल 12,36000 नये मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़े गए हैं। वर्तमान में 18-19 वर्ष आयु वर्ग के कुल मतदाताओं की संख्या 16.75 लाख हो गयी है।
उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश में मतदाताओं की कुल संख्या 14 करोड़ 19 लाख थी। सूची के प्रकाशन के बाद यह संख्या बढ़कर यह 14 करोड़ 40 लाख हो गयी है।
इस बीच निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में सी-विजिल मोबाइल एप के प्रयोग के बाद उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों में भी इसे लागू किया जाएगा। इसके जरिये कम से कम समय में जनता द्वारा की जाने वाली आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण किया जा सकेगा।
यह मोबाइल एप एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म वाले मोबाइल पर ही चलेगा। केंद्रीय चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि मोबाइल एप संबन्धी प्रशिक्षण आयोजित कर इसे लागू किया जाए।
आयोग ने कहा है कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में इस मोबाइल एप का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया जिससे आचार संहिता के उल्लंघन संबन्धी शिकायतों के निस्तारण में तेजी आई और आचार संहिता के उल्लंघन की घटनाएं कम हुई हैं।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस एप को लांच किया जाएगा। इसके लिए कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल फोन पर इस एप को डाउनलोड कर सकेगा। किसी भी जगह पर आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी गतिविधियों को मोबाइल कैमरे से रिकॉर्ड करने के बाद वह रिकार्डिंग ई-विजिल एप में भेजनी होगी।
सूत्रों के मुताबिक, यह एप ऑटोमैटिक सिस्टम से शिकायतकर्ता का रियल टाइम लोकेशन जान सकेगा। साथ ही एप में भौगोलिक नक्शा भी देखा जा सकेगा। इससे यह पता चल पाएगा कि आचार संहिता उल्लंघन का स्थान और शिकायतकर्ता का स्थान एक ही है या भिन्न है।
एप की खास बात है कि जियोग्राफिकल इनफॉरमेशन सिस्टम से ऑटोमेटिक लोकेशन शिकायतकर्ता के एप में आ जाएगी। इस प्रक्रिया के बाद शिकायतकर्ता को यूनीक आईडी मिल जाएगा ताकि वह यह पता कर सके कि उसकी शिकायत का निस्तारण हुआ या नहीं।
आईडी पर शिकायतकर्ता को जानकारी मिलती रहेगी कि उसकी शिकायत पर क्या कार्रवाई हो रही है। कंट्रोल यूनिट में शिकायत दर्ज करने पर बीप की आवाज आएगी और शिकायत क्षेत्रीय अधिकारियों के पास भेज दी जाएगी। यह शिकायत चुनाव के दौरान क्षेत्र में तैनात उड़न दस्ता, स्टैटिक सर्विलांस टीम समेत आयोग द्वारा लगाई गई अन्य टीमों तक पहुंचेगी जिनसे शिकायत जुड़ी होगी। प्रत्येक टीम के पास जीआईएस आधारित मोबाइल एप होगा जिसे सी-विजिल डिस्पैचर कहा जाता है। इसके जरिए टीम सीधे आचार संहिता उल्लंघन वाले स्थान पर पहुंच जाएगी। साथ ही त्वरित कार्यवाही हो पाएगी।
एप में जीआईएस सिस्टम इसलिए किया गया है कि ताकि राजनीतिक दल एक दूसरे के खिलाफ शिकायत करने में इस एप का दुरूपयोग ना करने पाएं। इसके अतिरिक्त शिकायत लखनऊ स्थित आयोग द्वारा बनाए जाने वाले कंट्रोल रूम भी पहुंचेगी और फिर वहां से जिलों में नियुक्त नोडल अधिकारियों के पास जाएगी।