लोकसभा चुनावः सियासत में आगे बढ़ना है तो गुटबाजी से पीछे हटना होगा!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: April 7, 2019 03:28 PM2019-04-07T15:28:51+5:302019-04-07T15:28:51+5:30

हर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं तथा इन विधानसभा क्षेत्रों में मिले वोटों के आधार पर ही लोस चुनाव में हार-जीत तय होगी. यदि इन विस क्षेत्रों में कांग्रेस को ताजा विस चुनाव से कम वोट मिलते हैं, तो उस क्षेत्र के नेताओं के लिए आगे बढ़ने की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा.

Lok Sabha elections: If you want to move forward in politics, you will have to withdraw from factionalism! | लोकसभा चुनावः सियासत में आगे बढ़ना है तो गुटबाजी से पीछे हटना होगा!

हर जिले में एकाधिक प्रमुख और प्रभावी नेता हैं, जो स्वयं तो आगे बढ़ना चाहते हैं, किन्तु औरों को आगे आने देना नहीं चाहते हैं. इसी के नतीजे में गुटबाजी पनपती रही है.

Highlightsमुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट संयुक्त रूप से चुनाव प्रचार करके कांग्रेस में एकजुटता का संदेश दे रहे हैं.कांग्रेस नेतृत्व की ओर से यह साफ संदेश दिया जा रहा है कि- सियासत में आगे बढ़ना है, तो गुटबाजी से पीछे हटना होगा!

कांग्रेस का चुनावी इतिहास रहा है कि गुटबाजी के कारण अक्सर असली ताकत से कम सीटें जीतती रही है, लेकिन इस बार राजस्थान में गुटबाजी के मुद्दे पर कांग्रेस में सख्ती नजर आ रही है. 

खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट संयुक्त रूप से चुनाव प्रचार करके कांग्रेस में एकजुटता का संदेश दे रहे हैं.

कांग्रेस नेतृत्व की ओर से यह साफ संदेश दिया जा रहा है कि- सियासत में आगे बढ़ना है, तो गुटबाजी से पीछे हटना होगा!

विभिन्न नेताओं की चुनाव में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने में सक्रियता और गुटबाजी से दूरी की रिपोर्ट के बाद ही चुनाव के नतीजों के आधार पर कई नेताओं को भविष्य में मंत्री पद और ऐसे ही प्रमुख पद मिल सकते हैं.

कांग्रेस में गुटबाजी के दो असर सामने आते रहे हैं, एक तो भितरघात और दूसरा- चुनाव प्रचार में उदासीनता. इनके कारण जहां कांटे की टक्कर होती है, वहां जीत की संभावना ही खत्म हो जाती है.

दरअसल, हर जिले में एकाधिक प्रमुख और प्रभावी नेता हैं, जो स्वयं तो आगे बढ़ना चाहते हैं, किन्तु औरों को आगे आने देना नहीं चाहते हैं. इसी के नतीजे में गुटबाजी पनपती रही है. परन्तु इस बार कांग्रेस में इसको लेकर प्रदेश में सख्ती दिखाई जा रही है. 

राजस्थान विस चुनाव में जहां कांग्रेस ने 39 प्रतिशत से ज्यादा वोट प्राप्त किए थे, वहीं बीजेपी कोे 38 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे, मतलब- जनसमर्थन के नजरिए से दोनों ही प्रमुख दल लगभग बराबरी पर हैं. जाहिर है, मिशन- 25 के लिए करीब एक दर्जन सीटें जीतना तो कांग्रेस के लिए संभव है, किन्तु इससे ज्यादा सीटें जीतने के लिए जहां स्थानीय नेताओं का सक्रिय समर्थन जरूरी है, वहीं भितरघात पर भी नियंत्रण आवश्यक है.

हर लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं तथा इन विधानसभा क्षेत्रों में मिले वोटों के आधार पर ही लोस चुनाव में हार-जीत तय होगी. यदि इन विस क्षेत्रों में कांग्रेस को ताजा विस चुनाव से कम वोट मिलते हैं, तो उस क्षेत्र के नेताओं के लिए आगे बढ़ने की संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा.

देखना दिलचस्प होगा कि अब भी लोस चुनाव में गुटबाजी असरदार रहती है या कांग्रेस नेतृत्व की सख्ती रंग दिखाती है?

Web Title: Lok Sabha elections: If you want to move forward in politics, you will have to withdraw from factionalism!



Get the latest Election News, Key Candidates, Key Constituencies live updates and Election Schedule for Lok Sabha Elections 2019 on www.lokmatnews.in/elections/lok-sabha-elections. Keep yourself updated with updates on Rajasthan Loksabha Elections 2019, phases, constituencies, candidates on www.lokmatnews.in/elections/lok-sabha-elections/rajasthan.