Lok Sabha elections 2024: मतदान के दिन पेड लीव क्यों? अगर कंपनी ने नहीं किया ऐसा... यहां पढ़ें
By आकाश चौरसिया | Published: March 17, 2024 12:23 PM2024-03-17T12:23:34+5:302024-03-17T12:52:08+5:30
चुनाव आयोग ने बीते शनिवार यानी 16 मार्च को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर घोषणा की है। इसके साथ ही बताया कि ये चुनाव सात चरणों में 19 अप्रैल से 1 जून के बीच होंगे। ये चुनाव 19, 26 अप्रैल और फिर 7, 13, 20, 25 मई और 1 जून को होंगे।
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने बीते शनिवार यानी 16 मार्च को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर घोषणा की है। इसके साथ ही बताया कि ये चुनाव सात चरणों में 19 अप्रैल से 1 जून के बीच होंगे। ये चुनाव 19, 26 अप्रैल और फिर 7, 13, 20, 25 मई और 1 जून को होने जा रहे हैं।
अब सामने आई डेट में से 25 मई को छोड़कर बाकी सभी दिनों में कार्यदिवस हैं। इससे एक प्रश्न उठता है कि क्या मतदान के दिन कर्मचारियों के लिए वैतनिक अवकाश रहेगा? कानून क्या कहता है? और इसका उल्लंघन करने पर क्या परिणाम होंगे? आइए एक-एक कर जानते हैं। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली को छोड़कर भारत के सभी प्रमुख महानगरों में 25 मई, 2024 यानी शनिवार को मतदान होने की उम्मीद है।
मतदान के दिनों में वैतनिक छुट्टियां क्यों?
वोट देने का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है, इस प्रकार 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति भारत में वोट देने का हकदार है। इस अधिकार का प्रयोग भारत के चुनावी लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए संविधान के अनुसार किसी नागरिक को वोट देने के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसके कारण, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, (आरपी अधिनियम) कहता है कि प्रत्येक उद्यम को अपने क्षेत्र में मतदान के दिन छुट्टी घोषित करनी होगी।
आरपी अधिनियम की धारा 135बी के अनुसार, सभी संगठनों के लिए चुनाव की तारीख पर अपने कर्मचारियों को वैतनिक अवकाश देना अनिवार्य है, चाहे वह केंद्र हो या राज्य सरकार में नौकरी कर रहा हो। ये बात क्रेड ज्यूर के प्रबंध भागीदार अंकुर महिंदरो ने कही।
अधिनियम स्पष्ट करता है कि किसी कर्मचारी को सवैतनिक अवकाश दिया जाना चाहिए और उस दिन का उसका वेतन/वेतन नहीं काटा जा सकता है। आरआर लीगल के पार्टनर अभिषेक अवस्थी ने कहा, नियोक्ता को चुनाव के दिन सभी पात्र कर्मचारियों को सवैतनिक अवकाश देना होगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वेतन में कोई कटौती या कमी न हो।
लॉ के मुताबिक..
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऋिषी सहगल ने कहा कि यह प्रोविजन उन सभी जगह लागू होता है, जो सार्वजनिक और निजी संगठन में कर्मचारी काम कर रहे हैं। कानून के मुताबिक, दैनिक वेतन भोगी मजदूरों और कैजुअल कर्मचारियों को भी वैतनिक छुट्टियां दी जानी चाहिए।
नियम के अंतर्गत वे सभी कर्मचारी भी आते हैं, जो लोकसभा चुनाव के तहत वोट देने के लिए जाते हैं। उदाहरण के जरिए समझिए कि अगर एक वोटर चेन्नई का रहने वाला है और वो दिल्ली में काम कर रहा है, वोटर चेन्नई में वोटिंग डे के दिन छुट्टी का हकदार है।
पेड लीव न देने पर कंपनी पर क्या गिरेगी गाज
यदि कोई नियोक्ता मतदान के दिन सवैतनिक अवकाश नहीं देता है, तो कर्मचारी ईसीआई या उसके द्वारा नामित प्राधिकारी से संपर्क कर सकता है। एसकेवी लॉ ऑफिस के वरिष्ठ सहयोगी अनंत सिंह उबेजा ने कहा, "ऐसे मुद्दों का सामना करने वाले कर्मचारी भारत के चुनाव आयोग या राज्य चुनाव आयोग को उल्लंघन की रिपोर्ट कर सकते हैं।" उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग को मिली शिकायतों के आधार पर जांच करा सकता है और इसके अलावा नियोक्ता पर 500 रुपए पेनाल्टी लगा सकता है।