Lok Sabha Elections 2024: "वे मुझे 'पाकिस्तानी', 'खालिस्तानी' और 'अमेरिकी एजेंट' बोलते हैं लेकिन...", फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर की शांति के लिए भारत-पाक वार्ता को जरूरी बताते हुए कहा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: May 31, 2024 10:32 IST2024-05-31T10:29:32+5:302024-05-31T10:32:27+5:30

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भले ही उन्हें पाकिस्तानी, खालिस्तानी और अमेरिकी एजेंट कहा जाता हो लेकिन वो दो पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के बारे में बात करना बंद नहीं करेंगे।

Lok Sabha Elections 2024: "They call me 'Pakistani', 'Khalistani' and 'American agent' but...", Farooq Abdullah said, calling India-Pakistan talks necessary for the peace of Kashmir | Lok Sabha Elections 2024: "वे मुझे 'पाकिस्तानी', 'खालिस्तानी' और 'अमेरिकी एजेंट' बोलते हैं लेकिन...", फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर की शांति के लिए भारत-पाक वार्ता को जरूरी बताते हुए कहा

फाइल फोटो

Highlightsफारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें पाकिस्तानी, खालिस्तानी और अमेरिकी एजेंट कहा जाता है उन्होंने कहा कि इन आरोपों के बावजूद वो भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की बात करते रहेंगेअब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में शांति का रास्ता पाकिस्तान के साथ बातचीत पर ही निर्भर है

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि अपने बयानों के लिए बार-बार आलोचना का शिकार होने बावजू, वह इस बात पर कायम हैं कि जम्मू-कश्मीर में शांति का रास्ता पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ बातचीत पर ही निर्भर है।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि लोकसभा के नतीजे घोषित होने के बाद केंद्र की सत्ता में बदलाव होगा और नई सरकार पाकिस्तान के साथ बातचीत का रास्ता अपनाएगी।

अब्दुल्ला ने कहा कि भले ही उन्हें पाकिस्तानी, खालिस्तानी और अमेरिकी एजेंट कहा जाता हो लेकिन वो दो पड़ोसी देशों भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के बारे में बात करना बंद नहीं करेंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा वक्त में पाकिस्तान में उनके साथ बातचीत के लिए माहौल अनुकूल है, अब्दुल्ला ने कहा, ''जब मैं भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के बारे में बात करता हूं, तो वे मुझे पाकिस्तानी खालिस्तानी और अमेरिकी एजेंट कहते हैं लेकिन मैं अपनी आवाज नहीं रोकूंगा। मैं प्रार्थना करता हूं कि हम दिल्ली में नई सरकार के आने और मौजूदा मोदी सरकार के सत्ता से बाहर होने के अनुरूप चुनावी परिणाम आयें फिर हम उन्हें यह बताने की कोशिश करेंगे कि शांति का एकमात्र रास्ता केवल बातचीत ही है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो परिणाम केवल बर्बादी होगा।''

उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर तब तक ठीक नहीं होगा जब तक ये दो बड़े देश यह नहीं समझ लेते कि युद्ध कभी भी शांति का रास्ता नहीं हो सकता है।"

पिछले हफ्ते की शुरुआत में शोपियां और अनंतनाग में गोलीबारी की घटनाओं के मद्देनजर फारूक अब्दुल्ला ने हत्याओं की अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी।

उन्होंने कहा, "मैंने कहा था कि जब तक आतंकवाद नहीं रुकेगा, हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। हमें उनसे सहयोग की ज़रूरत है। हमें उस व्यक्ति की पहचान करने की ज़रूरत है जो यहां आ रहा है और निर्दोषों को मार रहा है। अंतर्राष्ट्रीय दबाव होना चाहिए बनाया गया है और अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों को मामले की जांच करनी चाहिए।"

इसके अलावा, अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होते देखने की इच्छा व्यक्त की। नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख ने कहा, "जब यहां संसदीय चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से कराए जा सकते हैं, तो फिर विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए जा सकते? मुझे लगता है कि इस साल अमरनाथ यात्रा समाप्त होने के बाद विधानसभा चुनाव होंगे।"

बीजेपी की आलोचना करते हुए अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि वे फिर से सत्ता पाकर संविधान को बदलने का इरादा रखते हैं।

उन्होंने कहा, "मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि भाजपा चुनाव आयोग का मालिक हो गया है। उनके पास सारा प्रशासन है। वे दावा करते हैं कि संविधान नहीं बदलेंगे, लेकिन वे कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं। वे यकीनन संविधान को बदलने का इरादा रखते हैं।"

विपक्षी गठबंधन इंडिया के सवाल पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई कुर्सी के लिए नहीं है बल्कि इसका इस्तेमाल लोगों के मुद्दों पर काम करने के लिए है। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि लोग समझेंगे कि हमारा मकसद क्या है और हम क्यों लड़ रहे हैं। हमारी लड़ाई कुर्सी के लिए नहीं है, बल्कि उस कुर्सी का इस्तेमाल गरीबी मिटाने और महंगाई और बेरोजगारी पर काम करने के लिए है।"

इससे पहले 6 मई को फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई थी कि भारत और पाकिस्तान दोनों सरकारें बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए ऐसा माहौल बनाएंगी।

एक सवाल का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा था, ''नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हमेशा कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मामले बातचीत के जरिए हल किए जाएंगे। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने क्या कहा था, 'हम अपने दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन हम पड़ोसी नहीं बदल सकते। पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है और रहेगा। हमें बातचीत के लिए माहौल बनाना होगा।''

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