पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए विभिन्न दलों के नेताओं के साथ कई दफे की गई बैठक का असर अब दिखने लगा है। विपक्षी एकता के क्रम में 12 जून को सभी विपक्षी दल पटना में एक साथ बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें विपक्षी दलों की एकता और उनमें समन्वय को लेकर चर्चा हो सकती है।
इसके लिए किसी वरिष्ठ नेता को संयोजक भी बनाया जा सकता है। इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी चर्चा हो रही है। वहीं इस बैठक में लोकसभा चुनाव में भाजपा के एक प्रत्याशी के खिलाफ विपक्षी दलों को एक प्रत्याशी देने की योजना पर चर्चा हो सकती है। इस योजना की चर्चा नीतीश के साथ ही यूपी के अखिलेश यादव भी कर चुके हैं।
इसके साथ ही अलग अलग राज्यों में अलग अलग दलों के नेतृत्व करने की योजना पर चर्चा हो सकती है। यानी जिस राज्य में कांग्रेस मजूबत स्थिति में है तो वहां कांग्रेस लीडिंग भूमिका में होगी। जबकि जहां क्षेत्रीय दल मजूबत हैं, वहां उनको नेतृत्व करने का मौका दिया जाएगा।
इस योजना के तहत कांग्रेस कर्नाटक,राजस्थान,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, उत्तराखंड, हरियाणा जैसे राज्यों में लीड करते नजर आयेगी। जबकि यूपी में समाजवादी पार्टी, बिहार में राजद एवं जदयू, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडू में डीएमके, झारखंड में झामुमो, महाराष्ट्र में शिवसेना(उद्धव) एवं एनसीपी जैसी राजनीतिक पार्टियां लीड करते नजर आयेगी।
सूत्रों के अनुसार अभी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को लेकर कांग्रेस एकमत नहीं हो पा रही है, क्योंकि कांग्रेस और आप दिल्ली एवं पंजाब में खुद को मजूबत मानती है। ऐसे में सभी दल एकजुट होकर महामंथन किसी निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयास करेंगे।