Bihar Politics: लालू यादव चक्रव्यूह में फंसे नीतीश कुमार!, 18 साल से बिहार सियासत में ध्रुवी बने एनडीए के सहारे पार लगाना चाहते हैं चुनावी नैया
By एस पी सिन्हा | Published: January 20, 2024 04:09 PM2024-01-20T16:09:09+5:302024-01-20T16:11:33+5:30
Lok Sabha Elections 2024 Bihar Politics: नीतीश कुमार ने अपनी सियासत की शुरुआत ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ की रही है।
Lok Sabha Elections 2024 Bihar Politics: बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के द्वारा महागठबंधन की सरकार में 'ऑल इज वेल' होने का दावा भले ही किया जा रहा हो, लेकिन बढी सियासी गतिविधियों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार इस वक्त तलवार की नोक पर है। कभी भी सियासी झंझावात के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
दरअसल, नीतीश कुमार ने अपनी सियासत की शुरुआत ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ की रही है। यही कारण है कि नीतीश कुमार पिछले 18 साल से बिहार की सियासत के ध्रुवी बने हुए हैं। यह नीतीश की ’पॉलिटिकल ट्रीक’ ही है कि विधायक भले ही कम जीत पाते हो और सहयोगी कोई भी हो, मुख्यमंत्री हमेशा नीतीश कुमार ही बनते हैं।
इन सबके बीच सियासत के जानकारों का कहना है कि जिस पार्टी का गठन ही राजद के विरोध में हुआ हो, उसके साथ दोस्ती कितनी दिन चलेगी? नीतीश कुमार ही बिहार को लालू के जंगलराज वाले दौर से बाहर निकाल पाए। यही वजह है कि वह अक्सर मंचों से लालू के जंगलराज पर हमला करते रहते हैं।
कई बार तो ऐसा हुआ है कि मंच पर तेजस्वी यादव भी बैठे थे और नीतीश ने लालू-राबड़ी शासनकाल की चर्चा छेड़ दिया करते हैं। दरअसल, नीतीश कुमार दिल से राजद के साथ जुड़ ही नहीं सकते हैं। भले ही सत्ता में साथ रहें, लेकिन दिल मिलन कठिन है। उसी तरह से लालू यादव भी नीतीश कुमार को कभी दिल से नही अपना पाए हैं।
जानकारों का कहना है कि लालू ने नीतीश से समझौता सिर्फ अपने बेटों को जगह पर स्थापित करने के लिए किया है। लालू अपने छोटे बेटे तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और इसके लिए वह नीतीश के खिलाफ षड़यंत्र रच रहे थे। उन्होंने नीतीश को पीएम बनाने का सपना दिखाकर भाजपा से दूसरी बार अलग किया और विपक्षी गठबंधन में खेला कर दिया।
इंडी गठबंधन में उन्होंने नीतीश की मेहनत को कांग्रेस के खाते में डाल दिया और ललन सिंह के सहारे जदयू को तोड़ने की रणनीति बना ली। हालांकि, समय रहते नीतीश कुमार को इसका पता चल गया और ललन सिंह पर गाज गिर गई। इसके बाद से नीतीश को लालू भी खटक रहे हैं। उधर, नीतीश कुमार की नाराजगी के कारण सियासत तेज हो गई है।
चर्चा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदलकर एनडीए के साथ जाने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा के चुनावी चाणक्य समझे जाने वाले अमित शाह की ओर से ही हरी झंडी मिल चुकी है। इस बीच लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने राम मंदिर को लेकर देश में माहौल बना दिया है।
बिहार में राजद का भी वोट बैंक भी खिसक रहा है। कारण कि राजद नेताओं के सनातन विरोधी बयानबाजी भी यादवों के एक बड़े तबके को पसंद नहीं आ रहा है। वहीं मुस्लिम वोट भी राजद से खिसक रहा है। नीतीश कुमार ने इस माहौल को अच्छे से भांप लिया है कि अगर वह भी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा रहे तो उनको भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ऐसे में अपनी पार्टी के वजूद को बचाने की कवायद में उन्हें एनडीए के सहारे की आवश्यकता महसूस होने लगी है। शायद यही कारण है कि नीतीश कुमार का मन एक बार फिर से डोलने लगा है। लेकिन अभी कुछ शर्तों पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से मिलन में देरी होने की संभावना जताई जा रही है।