लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल, 66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

By भाषा | Published: April 10, 2019 04:52 AM2019-04-10T04:52:13+5:302019-04-10T04:52:13+5:30

पूर्व अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ बताने का भी उदाहरण दिया है। नौकरशाहों ने कहा कि आयोग द्वारा इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत थी लेकिन इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को हल्की फटकार ही लगाई।

Lok Sabha Elections 2019: Questions on EC's credibility, 66 former bureaucrats write to President | लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल, 66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल, 66 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

छियासठ पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोंविद को पत्र लिखकर आचार संहिता के उल्लंघन, खासतौर पर सत्तारूढ़ पार्टी की संलिप्पता वाले, कथित मामलों से निपटने में विफल रहने पर चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और कामकाज पर चिंता जताई है। पूर्व नौकरशाहों ने जिन मामलों का उदाहरण दिया है उनमें, भारत के पहले उपग्रह भेदी मिसाइल (ए-सैट) के कामयाब परीक्षण, ‘मोदी: ए कॉमन मेन्स जर्नी’ वेब सीरीज को रिलीज करना और नमो टीवी चैनल को शुरू करने के संबंध में चुनाव आयोग की कार्रवाई करने में ‘सुस्ती’ के मामले शामिल हैं।

पूर्व अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ बताने का भी उदाहरण दिया है। नौकरशाहों ने कहा कि आयोग द्वारा इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत थी लेकिन इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को हल्की फटकार ही लगाई। पत्र में कहा गया है कि हम अपने इस गहरे रोष को व्यक्त करने के लिए आपको पत्र लिख रहे हैं कि भारत का चुनाव आयोग, जिसका बड़ी चुनौतियों और जटिलताओं के बावजूद स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का एक लंबा और सम्मानजनक रिकॉर्ड रहा है, वह आज विश्वसनीयता के संकट से जूझ रहा है। पत्र में कहा गया है कि समझा जाता है कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और कार्यक्षमता से आज समझौता किया गया है।

इसके कारण चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को खतरा है जो भारतीय लोकतंत्र की नींव है। पत्र में कहा गया है, माननीय राष्ट्रपति जी हम चुनाव आयोग के कमजोर आचरण से बेहद चिंतित हैं जिसने संवैधानिक निकाय की विश्वसनीयता को सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। चुनाव आयोग में लोगों का भरोसा जरा सा भी डिगने के हमारे लोकतंत्र के भविष्य के लिए काफी गंभीर परिणाम होंगे। हम उम्मीद करते हैं कि चुनाव आयोग स्थिति की गंभीरता को समझेगा।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राजस्थान के पूर्व मुख्य सचिव सलाहुद्दीन अहमद, पंजाब के पूर्व महानिदेशक जुलियो रिबेरो, प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग और पुणे पुलिस के पूर्व आयुक्त मीरन भोरवांकर शामिल हैं। मोदी की ओर से ए-सैट परीक्षण की सफलता का ऐलान करने के संबंध में पत्र में लिखा है कि देश तत्काल ऐसे किसी सुरक्षा खतरे का सामना नहीं कर रहा था, जिसके लिए सार्वजनिक घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री को आना पड़े जो खुद एक चुनाव उम्मीदवार हैं। पत्र में कहा गया है कि विशुद्ध रूप से तकनीकी आधार पर यह घोषणा सार्वजनिक प्रसारण सेवा पर नहीं की गई थी।

आयोग ने कहा कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ। हालांकि, हमें लगता है कि चुनाव की घोषणा के बाद सरकार की उपलब्धियों का इस तरह से प्रचार करना, शिष्टाचार के गंभीर उल्लंघन के बराबर है और सत्तारूढ़ पार्टी को अनुचित प्रचार का मौका देता है और चुनाव आयोग का निर्णय निष्पक्षता के अपेक्षित मानकों पर खरा नहीं उतरता है। उन्होंने आंध्र प्रदेश में शीर्ष तीन पुलिस अधिकारियों और मुख्य सचिव तथा पश्चिम बंगाल में चार शीर्ष पुलिस अधिकारियों के तबादले का मामला भी उठाया। पत्र में कहा गया है कि तमिलनाडु में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है, जहां वर्तमान पुलिस महानिदेशक की गुटखा घोटाला मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो जांच कर रहा है जबकि उन्हें पद से हटाने के लिए तमिलनाडु के विपक्षी दल बार-बार अपील कर रहे हैं।

Web Title: Lok Sabha Elections 2019: Questions on EC's credibility, 66 former bureaucrats write to President