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लोकसभा चुनाव 2019: चुनावी समर से बाहर हुए कई दिग्गज, इस बार संसद में नहीं दिखेंगे ये नेता

By स्वाति सिंह | Updated: April 15, 2019 19:49 IST

लोकसभा चुनाव 2019: लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, रमेश बैस, बी.सी. खंडूरी, राजेन गोहेन और बिजॉय चक्रवर्ती पार्टी के उन दिग्गजों में शुमार हैं, जिन्हें भाजपा ने इस महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव में नहीं उतारा है, जबकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और फायरब्रांड नेता उमा भारती ने इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है।

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ठळक मुद्दे इन सबके बीच कई दिग्गज नेताओं ने इस लोकसभा चुनाव से दूरी बना ली है।किसी ने इसके लिए अपनी उम्र तो किसी ने स्वास्थ्य को वजह बताया है। कुछ दिग्गज नेताओं को तेजी से बदल रहे चुनावी समीकरणों में हार का डर भी सता रहा है।

लोकसभा चुनाव चरम पर है। सभी दल के नेता प्रचार में जोर लगा रहे हैं। इस बार चुनाव 7 चरणों में संपन्न होगा। 23 मई को नतीजे घोषित होंगे। 17वीं लोकसभा में कई दिग्गज नेता संसद में नहीं दिखाई देंगे। संसद में कई वरिष्ठ नेताओं की आवाज नहीं सुनाई देगी। करीब दो दर्जन नेता या तो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं या पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया है।

कई दिग्गज नेताओं ने चुनाव से बना ली दूरी 

टिकट को लेकर जोड़-तोड़ जारी है। इन सबके बीच कई दिग्गज नेताओं ने इस लोकसभा चुनाव से दूरी बना ली है। किसी ने इसके लिए अपनी उम्र तो किसी ने स्वास्थ्य को वजह बताया है। चर्चा है कि कुछ दिग्गज नेताओं को तेजी से बदल रहे चुनावी समीकरणों में हार का डर भी सता रहा है। बीते कुछ दशकों से वे संसद के निचले सदन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख चेहरे रहे और उनकी आवाजें हमें सुनाई देती रहीं, लेकिन 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद गठित होने वाली 17वीं लोकसभा में न तो उनके चेहरे अब दिखाई देंगे और न ही उनकी आवाजें सदन में सुनाई देंगी।

आडवाणी, जोशी, सुषमा, पासवान, कलराज खंडूरी प्रमुख नाम

लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, रमेश बैस, बी.सी. खंडूरी, राजेन गोहेन और बिजॉय चक्रवर्ती पार्टी के उन दिग्गजों में शुमार हैं, जिन्हें भाजपा ने इस महत्वपूर्ण लोकसभा चुनाव में नहीं उतारा है, जबकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और फायरब्रांड नेता उमा भारती ने इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। इस घटनाक्रम का अपना महत्व है, क्योंकि इसका उद्देश्य सत्तारूढ़ पार्टी में एक पीढ़ीगत बदलाव लाना है। यह वहीं पार्टी है, जो अपने लंबे सफर के दौरान ज्यादातर समय विपक्ष में रही। भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक और 11 बार सांसद रहे आडवाणी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। आडवाणी ने पार्टी की राजनीतिक जड़ों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 1990 के दशक में आडवाणी के रथ यात्रा निकालने के बाद भाजपा के आकार में वृद्धि हुई। यह यात्रा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने के लिए निकाली गई थी। आडवाणी चार बार राज्यसभा के लिए और सात बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए।

शांता कुमार, कोशयारी भी नहीं दिखेंगेआडवाणी के अलावा पार्टी के दिग्गज नेता शांता कुमार, कलराज मिश्र और भगत सिंह कोशयारी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। कानपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले मुरली मनोहर जोशी को भी टिकट नहीं दिया गया है। 2014 में कानपुर से जीत दर्ज करा चुके जोशी 1991 से 1993 के बीच भाजपा अध्यक्ष रहे थे और उन्होंने संसद में इलाहाबाद व वाराणसी का भी प्रतिनिधित्व किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद आडवाणी और जोशी को भाजपा के शीर्ष नेताओं में शुमार किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में पार्टी का जनाधार बढ़ाने में मदद करने वाले शांता कुमार पहाड़ी राज्य के कांगड़ा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

हुकुमदेव, मुंडा और बैस भी नहीं

वर्तमान में उत्तर प्रदेश की देवरिया संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे कलराज मिश्र भी भाजपा के प्रमुख चेहरों में शामिल हैं। उनके अलावा बिहार के मधुबनी का प्रतिनिधित्व करने वाले हुकुमदेव नारायाण यादव, झारखंड के भाजपा नेता करिया मुंडा, छत्तीसगढ़ से आने वाले बैस, उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने वाले कोशयारी जैसे दिग्गज चेहरे संसद में दिखाई नहीं देंगे। वहीं बिजॉय चक्रवर्ती और राजन गोहेन असम से भाजपा के प्रमुख चेहरे रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के दिग्गज नेता रामविलास पासवान इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खराब स्वास्थ्य की वजह से आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। वह 2009 में संसद में विपक्ष की नेता और 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।

मराठवाड़ा क्षत्रप पवार नहीं दिखेंगेराष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार ने 11 मार्च 2019 को आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की है। शरद कभी कांग्रेस में थे। सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर उन्होंने महाराष्ट्र में अपनी अलग पार्टी बनाई थी। वह तीन बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। फिलहाल वह राज्यसभा सांसद हैं। उन्होंने 2014 में भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के संस्थापक एचडी देवगौड़ा कर्नाटक की हासन लोकसभा सीट से सांसद है। इस सीट से उनके पोते प्रज्वल रेवन्ना लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। मायावती, बसपा प्रमुख, गठबंधन के उम्मीदवारों में उनका नाम नहीं है।

टॅग्स :लोकसभा चुनावएल के अडवाणीसुषमा स्वराजभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कांग्रेस
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