मीडिया से दूर बिहार के गांवों बैठकर तैयार हो रहा है महागबंधन का फार्मूला, ये है NDA के पा‌र्टियों को तोड़ने की रणनीति

By भाषा | Published: July 23, 2018 02:06 PM2018-07-23T14:06:39+5:302018-07-23T14:06:39+5:30

2019 लोकसभा चुनाव में राजग को हराने के लिए महागठबंधन को और भी व्यापक करने की दिशा में कोशिशें जारी हैं।

Lok Sabha Election 2019: United Opposition Farmula Bihar RJD HAM RLSP Congress  | मीडिया से दूर बिहार के गांवों बैठकर तैयार हो रहा है महागबंधन का फार्मूला, ये है NDA के पा‌र्टियों को तोड़ने की रणनीति

मीडिया से दूर बिहार के गांवों बैठकर तैयार हो रहा है महागबंधन का फार्मूला, ये है NDA के पा‌र्टियों को तोड़ने की रणनीति

पटना, 23 जुलाई: लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर एक ओर जहां सभी की निगाहें इस ओर हैं कि राज्य में राजग के घटक दल किस तरह सीट बॅंटवारे पर समझौता करते हैं, वहीं इस बीच महागठबंधन में शामिल घटक दल अपने गठबंधन को और भी व्यापक बनाने के प्रयास में लगे हैं।

राजद, कांग्रेस और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) सेकुलर की ओर से राकांपा, वामपंथी दलों और शरद यादव को अपने साथ लेकर चलने के साथ ही राजग में शामिल रालोसपा को भी अपने गठबंधन में शामिल कर महागठबंधन को और व्यापक बनाने की कोशिश की जा रही है।

महागठबंधन में शामिल राजद, कांग्रेस और ‘हम’ के सूत्रों ने बताया कि मीडिया की चकाचौंध से दूर गठबंधन के घटक दलों के शीर्ष नेताओं के बीच बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से हरेक लोकसभा क्षेत्र में उनकी असली जमीनी ताकत के आधार पर एक राय कायम करने की दिशा में प्रयास जारी हैं। इसके बिहार कुछ गांवों में बैठकर कई नेता रणनीति तैयार कर रहे हैं।

हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने बताया कि उनकी पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी की संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ इस सप्ताह के शुरू में दिल्ली में मुलाकात के दौरान लाभप्रद बातचीत हुई है।

कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने गत 12 जुलाई को राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मुलाकात की थी। लालू के छोटे पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव राहुल गांधी के साथ पूर्व में कई बार मुलाकात कर चुके हैं।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल उपेंद्र कुशवाहा हालांकि महागठबंधन में जाने की चर्चा को लगातार खारिज करते आए हैं, पर राकांपा, वामपंथी दलों और शरद यादव को अपने साथ लेकर चल रहे महागठबंधन सूत्रों का दावा है कि अंतत: वह उनके गठबंधन का हिस्सा होंगे।

बिहार में ऐसा होगा महागठबंधन

महागठबंधन सूत्रों के मुताबिक घटक दलों के बीच अब तक की वार्ता के अनुसार बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से लगभग आधी सीटों पर लालू का राजद लड़ेगा। कांग्रेस को 10, हम और रालोसपा को 4—4 सीटें मिलेंगी, राकांपा और वाम दल को एक—एक सीट मिलने की संभावना के साथ शरद यादव अपने बेटे को राजद के चुनाव चिह्न पर चुनावी मैदान में उतार सकते हैं।

वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में अपने विधायकों की संख्या बढ़ने के मद्देनजर कांग्रेस द्वारा और अधिक लोकसभा सीटों की मांग की जा रही है।

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एच के वर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद और राकांपा के साथ गठबंधन कर लड़ी थी और 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद उनका आधार बढ़ने के मद्देनजर वे इस बार और ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहते हैं।

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हाल में राजग छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुई ‘हम’ पांच सीटें हासिल करने की कोशिश में लगी है। वहीं, वामदल द्वारा पूर्व जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को उनके गृह जिला बेगूसराय निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया जा सकता है, जबकि राकांपा अपने पार्टी महासचिव तारिक अनवर को उनकी कटिहार सीट से दोहरा सकती है।

राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि सीट साझेदारी को लेकर महागबंधन में कोई किचकिच नहीं है। घटक के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इसे हल कर लिया जाएगा।

2014 में ऐसा था सीटों का बंटवारा

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के समय महागठबंधन में शामिल राजद 27 सीटों पर, कांग्रेस 12 और राकांपा ने एक सीट पर आपसी तालमेल के साथ उम्मीदवार खड़े किए थे जिनमें से राजद ने चार सीटों पर और कांग्रेस ने दो सीटों जीत हासिल की थी और राकांपा के तारिक अनवर कटिहार से विजयी रहे थे।

वहीं, राजग में शामिल भाजपा ने 22, लोजपा ने 6 और रालोसपा ने 3 सीटें जीती थीं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू जो अब राजग में शामिल हो गयी है, मात्र दो ही सीट जीत पायी थी।

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सत्ताधारी राजग के बीच सीट बंटवारे को लेकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गत 12 जुलाई के प्रदेश दौरे के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि राजग के घटक दलों के बीच सीट साझा करने का फॉर्मूला चार से पांच सप्ताह के भीतर आ सकता है।

इससे राजग के घटक दलों के बीच सीट बॅंटवारे को लेकर बयानबाजी पर फिलहाल विराम लग गया है, लेकिन सभी की निगाहें इस ओर टिकी हैं कि राजग के घटक दल किस सीट बॅंटवारे पर किस तरह समझौता करते हैं।

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