संयुक्त विपक्ष की रूपरेखा लीक, 14 राज्यों में करना चाहते हैं महागठबंधन, 400 सीटों पर है फोकस
By खबरीलाल जनार्दन | Published: July 16, 2018 03:46 PM2018-07-16T15:46:22+5:302018-07-23T01:55:16+5:30
कर्नाटक में कांग्रेस से जेडीएस के गठबंधन का आधार हिल रहा है। ऐसे में क्या महागठबंधन की राह आसान है?
नई दिल्ली, 16 जुलाईः लोकसभा चुनाव 2019 बेहद रोचक होने जा रहे हैं। एक ओर कांग्रेस अपनी एड़ी-चोटी का दम लगाकर इस चुनाव को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बनाम संयुक्त विपक्ष कराना चाहती है, तो दूसरी ओर बीजेपी संपर्क से समर्थन में ऐसे लोगों को साधने में लगी है जो बीजेपी के समर्थन में आ सकते हैं या उदासीन हैं।
इसमें सबसे ज्यादा जिज्ञासा संयुक्त विपक्ष को लेकर बनी हुई है। क्या चुनाव से पहले महागठबंधन होगा? हुआ तो किस राज्य में कौन चुनाव लड़ेगा? महागठबंधन का नेतृत्व कौन सी पार्टी करेगी? क्या कोई इसका नेता होगा? जीतने पर प्रधानमंत्री और हारने पर इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? छन-छन कर अब इन सवालों के जवाब मीडिया में आने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार संयुक्त विपक्ष का कॉन्सेप्ट पूरे भारत में प्रभावी नहीं होगा। संयुक्त विपक्ष के लिए केवल 14 प्रमुख राज्यों में जुगत की जा रही है। इसमें कांग्रेस ही सबसे ज्यादा सक्रिय है। हालांकि राज्यों की कई महत्वपूर्ण पार्टियों से उसे अच्छा सहयोग मिल रहा है। जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा में ही महागठबंधन का नक्शा तैयार किया जा रहा है। बाकी के 15 राज्यों पर संयुक्त विपक्ष फिलहाल रणनीति नहीं बिठा रहा।
प्रदेश | लोकसभा सीटें |
उत्तर प्रदेश | 80 |
महाराष्ट्र | 48 |
पश्चिम बंगाल | 42 |
आंध्र प्रदेश | 42 |
बिहार | 40 |
मध्य प्रदेश | 29 |
कर्नाटक | 28 |
गुजरात | 26 |
राजस्थान | 25 |
झारखंड | 14 |
पंजाब | 13 |
छत्तीसगढ़ | 11 |
हरियाणा | 10 |
उत्तराखंड | 5 |
कांग्रेस व अन्य दल इन्हीं 14 राज्यों और करीब 400 सीटों पर बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की जुगत में है। बाकी के 15 राज्यों और उनकी 143 सीटों पर कांग्रेस व अन्य दल परंपरागत गत तरीके से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
बीजेपी को हो गया है एहसास
बीजेपी की वर्तमान तैयारियों से ऐसा महसूस होता है कि संयुक्त विपक्ष की तैयारियों को बीजेपी भांप गई है। इसलिए बीजेपी पूरे दमखम के साथ पूर्वोत्तर के आठों राज्यों, सिक्कम, असम, अरुणांचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड की 25 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है। क्योंकि संयुक्त विपक्ष यहां जोर-आजमाइश के मूड में नहीं दिख रहा है। हाल ही में त्रिपुरा समेत नॉर्थईस्ट के अन्य राज्यों बीजेपी की जीत को लेकर बीजेपी उत्साहित है।
क्या ये 65 सीटें किसी से शेयर करेंगी कांग्रेस
आज भी भारत के छह प्रमुख राज्य ऐसे हैं जहां बीजेपी कांग्रेस के आलवा कोई दूसरी पार्टी ही नहीं है। मसलन अभी तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान। इन तीनों में ही बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है। बीएसपी और एसपी यहां विधानसभा की एकाध सीटें ही निकाल पाती हैं। जब लोकसभा की बात करते हैं, तो मध्य प्रदेश की 29, छत्तीसगढ़ की 11 और राजस्थान की 25 सीटों पर कांग्रेस नहीं चाहेगी कि कोई संयुक्त विपक्ष से कोई दूसरा दल यहां टिकट मांगे।
यूपी की सबसे बड़ी भूमिका, दीदी भी अभी तैयार नहीं
महागठबंधन में सबसे भूमिका में उत्तर प्रदेश उभर कर सामने आ रहा है। दरअसल, उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों (80 सीट) वाला प्रदेश है। और हाल ही में गोरखपुर, फूलपुर, नूरपुर, कैराना में बीजेपी को हराने का फॉर्मूला भी तैयार हो गया है। इसलिए यहां टिकट बंटवारे को लेकर थोड़ी जद्दोजहद बनी हुई है।
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जानकारी के अनुसार बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और समाजवादी पार्टी (एसपी) 40-40 सीटें चाहते थे। लेकिन पिछले चुनाव में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली थी। जबकि एसपी महज पांच सीटों सिमट गई थी। और कांग्रेस ने भी 2 सीटें जीती थीं। इसलिए कांग्रेस को यूपी से पूरी तरह बाहर नहीं किया जा सकता। सर्वविदित है कि राहुल गांधी की अमेठी और सोनिया गांधी की रायबरेली पेटेंट सीटें हैं। ऐसे में यह फॉर्मूला निकाला जा रहा है समाजवादी पार्टी 30, बहुजन समाज पार्टी 30 कांग्रेस 10 और दूसरे महागठबंधन में आने वाले दलों के लिए 10 सीटें दी जाएंगी।
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इसके अलावा अभी पश्चिम बंगाल को लेकर भी कोई अंतिम फॉर्मूला तय नहीं हो पा रहा है। क्योंकि ममता बनर्जी अभी किसी तीसरे मोर्चा की ताक में हैं। उन्होंने तेलंगना के मुख्यमंत्री से इस बाबत मुलाकात भी की थी। आज भी आंध्र प्रदेश की प्रमुख पार्टी तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) की मुलकाता द्रविण मुणनेत्र कणगम (द्रमुक) व अन्नाद्रमुक और साथ ही जनता दल सेक्यूलर के नेताओं से मुलाकात होने की संभावना है। क्योंकि कर्नाटक में कांग्रेस गठबंधन कुमारस्वामी को रुला दे रहा है।