लोकसभा चुनाव 2019ः जींद-रामगढ़ के नतीजे सपा-बसपा के लिए सियासी चेतावनी हैं!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 1, 2019 05:21 AM2019-02-01T05:21:44+5:302019-02-01T05:21:44+5:30
जींद के चुनाव में बीजेपी को 50566, जेजेपी को 37681 और कांग्रेस को 22740 वोट मिले. बीजेपी के कृष्ण मिढ्डा ने जींद उपचुनाव में 12935 वोटों से जीत दर्ज की.
राजस्थान की रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल कर ली है तो हरियाणा की जींद सीट बीजेपी ने जीत ली है. इन दोनों नतीजों को गहराई से देखे तो ये परिणाम यूपी में सपा-बसपा को चेतावनी देते नजर आ रहे हैं, कि यदि गैर भाजपाई वोटों का बिखराव नहीं रोका गया तो बीजेपी को केन्द्र में सरकार बनाने से रोकना आसान नहीं होगा. इस वक्त की राजनीतिक गणित एकदम साफ है, एक- बीजेपी अपने प्रभाव क्षेत्र वाले राज्यों में 40 प्रतिशत तक वोट जुटा सकती है, दो- कांग्रेस 2014 जैसी कमजोर नहीं है, और तीन- यदि गैर भाजपाई वोटों का बिखराव नहीं रूकता है तो 2019 में बीजेपी को मात देना आसान नहीं है.
राजस्थान में कांग्रेस की उम्मीदवार साफिया जुबैर खान को 83,311 वोट मिले, बीजेपी को 71,083 वोट मिले तो बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार जगत सिंह को 24,156 वोट ही मिले. कांग्रेस को 44.8 प्रतिशत, दूसरे नंबर पर रही भाजपा को 38.2 प्रतिशत और तीसरे नंबर पर रही बसपा को 13.4 फीसदी वोट मिले.
उल्लेखनीय है कि पिछली 7 दिसम्बर को राजस्थान विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के बसपा प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था. बहुजन समाजवादी पार्टी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री नटवर सिंह के पुत्र जगत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वे कोई करिश्मा नहीं दिखा पाएं.
उधर, जींद के चुनाव में बीजेपी को 50566, जेजेपी को 37681 और कांग्रेस को 22740 वोट मिले. बीजेपी के कृष्ण मिढ्डा ने जींद उपचुनाव में 12935 वोटों से जीत दर्ज की.
ये नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस 2014 जितनी कमजोर नहीं है. कांग्रेस को जहां हिन्दू वोट मिल रहे हैं, वहीं मुस्लिम और दलित वोट भी कांग्रेस की ओर जा रहे हैं. रामगढ़ की सियासी हवा यूपी के संकेत भी दे रही है.
यूपी में कांग्रेस की बढ़ती ताकत के तीन नतीजे आ सकते हैं, एक- सपा और बसपा गठबंधन से कांग्रेस को दूर रखने के कारण विपक्षी वोटों के बिखराव के नतीजे में बीजेपी कई सीटें बचा ले जाए, दो- सपा और बसपा, एक-दूजे को वोट ट्रांसफर नहीं कर पाए तो ये वोट कांग्रेस को मिलेंगे और कांग्रेस यूपी में नई ताकत बन कर उभर सकती है, और तीन- यदि त्रिकोणात्मक संघर्ष प्रभावी रहा तो यूपी की सारी सीटें बीजेपी, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन में बंट जाएं!
यह नई सियासी समीकरण सपा को भी समझ में आ रही है, और यही वजह है कि अखिलेश यादव, कांग्रेस को लेकर नरम रुख अपनाए हुए हैं, वे कह रहे हैं कि- अगर कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ना चाहती है तो उसे उत्तर प्रदेश में बने सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन करना चाहिए.
यदि आज के सियासी समीकरण में यूपी में चुनाव होते हैं तो सबसे ज्यादा फायदे में रहेगी बीजेपी, कांग्रेस बेहतर स्थिति में आएगी तो सपा-बसपा गठबंधन के लाभ में कमी आएगी. किसे, कितना, फायदा-नुकसान होगा, यह तो चुनावी नतीजों में ही साफ होगा.