लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में बीजेपी-जदयू गठबंधन को रोकने के लिए विपक्ष का महागठबंधन बनने से पहले ही बिखरता हुआ नजर आ रहा है. कांग्रेस ने 11 सीटों की मांग की है. जिसके लिए राजद तैयार नहीं है. तेजस्वी यादव ने बीते दिन ही ट्वीट कर कांग्रेस को अहंकारी बताया है.
जीतन राम माझी ने भी कहा है कि अगर उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो वो और भी विकल्प तलाश सकते हैं. उपेन्द्र कुशवाहा भी अपनी पार्टी के लिए 5 सीटों की मांग कर रहे हैं. इसी बीच खबर है कि बिहार में महागठबंधन में चल रहे घमासान के बीच वाम दल अकेले चुनाव लड़ सकते हैं.
महागठबंधन में पार्टियों का मकसद साफ है लेकिन बात जब सीटों के बंटवारे को लेकर हो रही है तो कोई भी पार्टी समझौता करती हुई नहीं दिख रही है. राजद का मानना है कि कांग्रेस का बिहार में पिछले दो दशक से जनाधार नहीं रहा है तो फिर 11 सीटें मांगने का नैतिक अधिकार उन्हें नहीं है. वहीं कांग्रेस सीटों को लेकर कोई ख़ास समझौता करते हुए नहीं दिख रही है. उत्तर प्रदेश इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रतीत होता है.
तेजस्वी यादव ने एक ट्वीट में कहा, "संविधान और देश पर अभूतपूर्व संकट है. अगर अबकी बार विपक्ष से कोई रणनीतिक चुक हुई तो फिर देश में आम चुनाव होंगे या नहीं, कोई नहीं जानता? अगर अपनी चंद सीटें बढ़ाने और सहयोगियों की घटाने के लिए अहंकार नहीं छोड़ा तो संविधान में आस्था रखने वाले न्यायप्रिय देशवासी माफ़ नहीं करेंगे."
बीच में ऐसी भी ख़बरें आई थी कि खुद लालू यादव सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस से बातचीत कर सकते हैं, लेकिन तमाम मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आ रही है कि कांग्रेस 15 सीटों से कम पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती है. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं.