लोकसभा चुनाव 2019: आसनसोल में फ़िर से कमल खिलाना बाबुल सुप्रियो के लिए कितनी बड़ी चुनौती होगी?

By विकास कुमार | Updated: April 24, 2019 17:07 IST2019-04-24T16:27:21+5:302019-04-24T17:07:19+5:30

मुनमुन सेन और बाबुल सुप्रियो ने अपनी राजनीतिक दक्षता एक साथ और एक ही तरीके से सिद्ध किया था. मुनमुन सेन 2014 में बांकुरा से सांसद चुनी गई थी जहां पिछले 9 बार से लेफ्ट का उम्मीदवार जीत रहा था.

LOK SABHA ELECTION 2019: ASANSOL will be a tough task for babul supriyo because of moon moon sen | लोकसभा चुनाव 2019: आसनसोल में फ़िर से कमल खिलाना बाबुल सुप्रियो के लिए कितनी बड़ी चुनौती होगी?

image source- New Indian Express

Highlightsबाबुल सुप्रियो को 2014 में इस सीट पर 4 लाख 19 हजार 983 वोट मिले थे.टीएमसी ने इस सीट पर मूनमून सेन को चुनावी मैदान में उतारा है जो बंगाल की लीजेंड अभिनेत्री सुचित्रा सेन की बेटी हैं.मोदी सरकार में भारी उद्योग के राज्य मंत्री रहते हुए उन्होंने हिंदुस्तान केबल्स के कर्मचारियों का वर्षों से लटका भुगतान उन्हें दिलवाया है.

1989 के बाद से आसनसोल सीट पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा. लेकिन 2014 के मोदी लहर में लेफ्ट का यह किला ढह गया. आसनसोल में भगवा झंडा लहराने वाले बाबुल सुप्रियो को पार्टी ने एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है.

टीएमसी ने इस सीट पर मुनमुन सेन को चुनावी मैदान में उतारा है जो बंगाल की लीजेंड अभिनेत्री सुचित्रा सेन की बेटी हैं और खुद भी एक जानी-मानी एक्ट्रेस रही हैं. 

मुनमुन सेन और बाबुल सुप्रियो ने अपनी राजनीतिक दक्षता एक साथ और एक ही तरीके से सिद्ध किया था. मुनमुन सेन 2014 में बांकुरा से सांसद चुनी गई थी जहां पिछले 9 बार से लेफ्ट का उम्मीदवार जीत रहा था. टीएमसी ने मुनमुन सेन को इस बार आसनसोल भेजा है ताकि भाजपा के सेलेब्रिटी का मुकाबला उसी अंदाज में किया जा सके.

ऐसे टीएमसी के स्थानीय नेताओं के मुताबिक, मुनमुन सेन की स्थिति इस बार बांकुरा सीट पर ठीक नहीं थी इसलिए उनकी जगह इस बार पार्टी के कद्दावर नेता सुब्रत मुख़र्जी को भेजा गया है. 

क्या थी 2014 में स्थिति 

बाबुल सुप्रियो को 2014 में इस सीट पर 4 लाख 19 हजार 983 वोट मिले थे. दूसरे स्थान पर टीएमसी की उम्मीदवार डोला सेन थीं, जिन्हें 3 लाख 49 हजार वोट प्राप्त हुए थे. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार गोपाल चौधरी को 2 लाख 55 हजार वोट मिला था. आसनसोल झारखंड से सटा हुआ एक औद्योगिक शहर है जहां बिहार और झारखंड के लोगों की एक बड़ी आबादी है. 

उद्योग का कभी था हब 

बाबुल सुप्रियो के मुताबिक, उन्होंने इस सीट पर जीतने के बाद बहुत काम किया है. मोदी सरकार में भारी उद्योग के राज्य मंत्री रहते हुए उन्होंने हिंदुस्तान केबल्स के कर्मचारियों का वर्षों से लटका भुगतान उन्हें दिलवाया है. हिंदुस्तान केबल्स और तमाम बड़े उद्योग लेफ्ट सरकार में एक के बाद एक ध्वस्त होते चले गए.

हुगली मिल्स और हिंदुस्तान केबल्स पर ताला 2002 में लेफ्ट सरकार के रहते ही लगा. धीरे-धीरे आसनसोल की औद्योगिक चमक फीकी होती चली गई. 

बाबुल सुप्रियो और मुनमुन सेन के बीच मुकाबला 

इस बार सीधा मुकाबला बाबुल सुप्रियो और मूनमून सेन के बीच ही कहा जा रहा है. बाबुल सुप्रियो के लिए इस बार चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं क्योंकि मुनमुन सेन भी इस सीट पर एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में नजर आ रही हैं. बाबुल सुप्रियो की आसनसोल में जीत 2014 में इस लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण था क्योंकि बीजेपी दो सीटें जीतने में ही सफल हुई थी. 

तमाम सर्वे के मुताबिक, बंगाल में बीजेपी की स्थिति इस बार मजबूत दिख रही है और पार्टी 10-12 उम्मीदवारों पर जीतती हुई दिख रही है. बाबुल सुप्रियो और मुनमुन सेन के बीच कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि मामला सेलेब्रिटी बनाम सेलेब्रिटी का है. 

Web Title: LOK SABHA ELECTION 2019: ASANSOL will be a tough task for babul supriyo because of moon moon sen