पूर्वी चंपारण लोक सभा सीटः विकास के नाम पर वोट मांगने वाली BJP की जीत इस पर होगी निर्भर
By एस पी सिन्हा | Published: March 8, 2019 06:19 PM2019-03-08T18:19:33+5:302019-03-08T18:19:33+5:30
पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट चंपारण की धरती का सबसे अहम संसदीय सीट और बिहार की सियासत में काफी अहम माना जाता है. 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में अलग से ये सीट भी अस्तित्व में आया. यहां से वर्तमान सांसद हैं केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह. 2009 और 2014 में राधामोहन सिंह ने इस सीट से चुनाव जीता.
बिहार को ऊपर वाले ने अभूतपूर्व प्राकृतिक सुंदरता के भंडार से नवाजा है, बावजूद इसके यहां विकास की गति काफी धीमी है, पूर्वी चंपारण भी इससे अछूता नहीं है. पूर्वी चंपारण बिहार के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है. इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मोतिहारी समेत 6 विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है. 1971 में चंपारण को विभाजित कर बनाए गए पूर्वी चंपारण का मुख्यालय मोतिहारी है.
पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट चंपारण की धरती का सबसे अहम संसदीय सीट और बिहार की सियासत में काफी अहम माना जाता है. 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में अलग से ये सीट भी अस्तित्व में आया. यहां से वर्तमान सांसद हैं केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह. 2009 और 2014 में राधामोहन सिंह ने इस सीट से चुनाव जीता.
इससे पहले भी वे इस सीट से 2 बार सांसद रह चुके हैं. बावजूद इसके यहां के किसान आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो वहीं युवागण रोजगार के लिए तरस रहा है. ऐसे में विकास के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा की यहां पर जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि यहां की जनता अपने सांसद राधामोहन सिंह से किस हद तक संतुष्ट है. इस सीट में नीतीश कुमार फैक्टर भी शामिल होगा क्योंकि राज्य में उनकी सरकार है और वह भाजपा के साथ हैं।
यहां आपको यह भी बताते चलें कि बिहार एनडीए में सीटों को लेकर बंटवारा हो चुका है, जिसके तहत इस बार 40 लोकसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा 17, जदयू 17 और लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लडेगी. पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटों में से 3 भाजपा, 2 राजद और एक सीट पर लोजपा का कब्जा है.
भाजपा के पास विधानसभा की मोतिहारी, कल्याणपुर और पिपरा सीट है. जबकि हरसिद्धि और केसरिया की सीट पर राजद का कब्जा है. वहीं, गोविंदगंज सीट पर लोजपा ने जीत का परचम लहराया था. मोतिहारी लोकसभा क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद पूर्वी चंपारण हो गया. इस लोकसभा क्षेत्र को नया नाम मिलने के बाद से यहां से सांसद राधामोहन सिंह हैं. इस क्षेत्र की सीमाएं नेपाल से जुडती हैं.
आजादी के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का बर्चस्व रहा था. लेकिन 1977 में जनता पार्टी उम्मीदवार ने पहली बार इस सीट पर कब्जा जमाया. उसके बाद इस सीट से 5 बार भाजपा जीती. अगले दो चुनाव 2009 और 2014 के दो चुनावों में राधामोहन सिंह को जीत हासिल हुई. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के राधामोहन सिंह ने राजद के विनोद कुमार श्रीवास्तव को हराया. सांसद राधामोहन सिंह को मोदी सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्रालय का जिम्मा मिला.
1 सितंबर 1949 को जन्में राधा मोहन सिंह युवा काल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड गए थे. 1967-68 में राधा मोहन सिंह मोतिहारी में एबीवीपी के नगर प्रमुख बने. छात्र राजनीति के बाद वे जनसंघ और बाद में भाजपा से जुडे. भाजपा किसान मोर्चे से भी वे जुडे रहे और कई किसान समितियों में शामिल हैं.
राधामोहन सिंह 2006 से 2009 के बीच बिहार भाजपा के अध्यक्ष रहे. फिर वे 11वीं, 13वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के सदस्य चुने गए. इसबार भी राधामोहन सिंह का चुनाव मैदान में उतरना तो तय माना जा रहा है, लेकिन महागठबंधन से किस दल के जिम्मे यह सीट जायेगा, अभी यह तस्वीर साफ नही है. इससे अभी ऊहापोह की स्थिती बनी हुई है.
1952 में देश में हुए पहले चुनाव से ही इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहराया. 1971 तक इस सीट से पांच बार कांग्रेस के विभूति मिश्रा विजयी रहे थे. लेकिन इमरजेंसी के बाद हुए 1977 के चुनाव में यहां का गणित बदला. जनता पार्टी के ठाकुर रामापति सिंह चुनाव जीते और कांग्रेस का बर्चस्व खत्म हुआ. 1980 में यहां से सीपीआई के कमला मिश्र मधुकर जीते. 1984 में कांग्रेस की प्रभावति गुप्ता जीतीं. 1989 में यहां से भाजपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संध से जुडे राधामोहन सिंह को उतारा.
राधामोहन सिंह चुनाव जीत गए. 1991 में फिर सीपीआई के टिकट पर कमला मिश्र मधुकर चुनाव जीते. लेकिन 1996 का चुनाव जीतकर फिर राधामोहन सिंह ने अपना परचम लहराया. 1998 के चुनाव में राधामोहन सिंह चुनाव हार गए और राजद की रमा देवी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं. लेकिन 1999 में अटल लहर में भाजपा के टिकट पर राधामोहन जीत हासिल करने में कामयाब रहे. 2004 में फिर इस सीट पर सियासत ने पलटी मारी और भाजपा को हार का सामना करना पडा. राजद के ज्ञानेंद्र कुमार जीतने में कामयाब रहे.
पुराण में वर्णित है कि राजा उत्तानपाद के पुत्र भक्त ध्रुव ने यहां के तपोवन नामक स्थान पर ज्ञान प्राप्ति के लिए घोर तपस्या की थी. यह क्षेत्र देवी सीता की शरणस्थली भी रहा है. यहां भगवान बुद्ध ने लोगों को उपदेश दिए और विश्राम किया. यहां कई बौद्ध स्तूप भी हैं. आजादी की लडाई में नील आंदोलन समेत कई प्रमुख आंदोलनों को महात्मा गांधी ने यहीं से शुरू किया था.
इस क्षेत्र में प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वेविद्यालय, मोतिहारी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग शामिल हैं. चंपारण का नाम 'चंपा + अरण्य' से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है 'चंपा के पेडों से आच्छादित जंगल'. एक ओर चंपारण की भूमि मां सीता की शरणस्थली होने से पवित्र है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक भारत में गांधीजी का चंपारण सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास का अमूल्य पन्ना है, जिस पर हर भारतीय को नाज है.