श्रीनगर में मस्जिदों की सूची मांगी गई, पूर्व सीएम अब्दुल्ला ने पूछा, सरकार चुप क्यों

By भाषा | Published: July 29, 2019 05:48 PM2019-07-29T17:48:44+5:302019-07-29T17:48:44+5:30

श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा रविवार रात जोनल पुलिस अधीक्षकों को जारी किये गए आदेश के मुताबिक, “कृपया दिये गए प्रारूप में अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली मस्जिदों और प्रबंध समितियों के बारे में विवरण इस कार्यालय को तत्काल उपलब्ध कराएं जिससे उसे उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया जा सके।”

List of mosques in Srinagar sought, former CM Abdullah asked, why the government silence | श्रीनगर में मस्जिदों की सूची मांगी गई, पूर्व सीएम अब्दुल्ला ने पूछा, सरकार चुप क्यों

अब्दुल्ला ने पूछा, “घाटी के लोगों पर डर फैलाने का आरोप लगाना आसान है।

Highlightsअर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को घाटी में भेजे जाने के बाद कश्मीर में ऐसी अटकलों का दौर शुरू हो गया है।नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ऐसे संदेश के पीछे मकसद की जानकारी चाही।

कश्मीर में किसी बड़े फैसले की सुगबुगाहट के बीच एक आदेश में श्रीनगर के पांच जोनल पुलिस अधीक्षकों से शहर में स्थित मस्जिदों और उनकी प्रबंध समितियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा गया है।

इससे एक बार फिर ये कयास तेज हो गए हैं कि आने वाले समय में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के संदर्भ में कुछ बड़े फैसले किये जा सकते हैं। श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा रविवार रात जोनल पुलिस अधीक्षकों को जारी किये गए आदेश के मुताबिक, “कृपया दिये गए प्रारूप में अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली मस्जिदों और प्रबंध समितियों के बारे में विवरण इस कार्यालय को तत्काल उपलब्ध कराएं जिससे उसे उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया जा सके।”

सोशल मीडिया पर प्रचारित हो रहे इस आदेश के बाद, उन अटकलों को बल मिला है कि केंद्र की योजना अनुच्छेद 35ए को खत्म करने की हो सकती है, जिसके तहत राज्य के निवासियों को सरकारी नौकरियों और जमीन संबंधी मामलों में खास अधिकार मिले हुए हैं।

केंद्र द्वारा अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों को घाटी में भेजे जाने के बाद कश्मीर में ऐसी अटकलों का दौर शुरू हो गया है। मुख्यधारा के दलों ने कश्मीर को मिले विशेष दर्जे से किसी तरह की छेड़छाड़ के विरोध का आह्वान किया है।

इससे पहले शनिवार को बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक अधिकारी ने अपने कर्मचारियों से कहा था कि कश्मीर घाटी में “लंबे समय के लिये हालात खराब होने के पूर्वानुमान” को देखते हुए वो कम से कम चार महीने के लिए अपने घरों में राशन का भंडारण कर लें और दूसरे कदम उठा लें।

इससे भी इन चर्चाओं को बल मिला। बडगाम में आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त सुदेश नुग्याल द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है, “विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और एसएसपी/जीआरपी/एसआईएनए (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सरकारी रेलवे पुलिस, श्रीनगर) द्वारा कश्मीर घाटी में हालात बिगड़ने की आशंका के संबंध में मिली जानकारी, और लंबे समय तक कानून-व्यवस्था की स्थिति बने रहने को लेकर 27 जुलाई को एक एहतियाती सुरक्षा बैठक हुई थी।”

अधिकारी ने कर्मचारियों से घाटी में “हालात खराब होने की आशंका” को देखते हुए सात दिनों तक के लिये पीने का पानी भरकर रखने और गाड़ियों को कानून-व्यवस्था से निपटने के लिये तैयार रखने को कहा है। रेलवे ने हालांकि स्पष्ट किया कि इस पत्र का कोई आधार नहीं है और किसी अधिकारी को इसे जारी करने का अधिकार नहीं है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ऐसे संदेश के पीछे मकसद की जानकारी चाही। अब्दुल्ला ने पूछा, “घाटी के लोगों पर डर फैलाने का आरोप लगाना आसान है लेकिन ऐसे आधिकारिक आदेश जो घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका जताते हों और गड़बड़ी के लंबे समय तक बने रहने का पूर्वानुमान देते हों उनका क्या? सरकार चुप क्यों है?”

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी संविधान के अनुच्छेद 35 ए को रद्द करने को लेकर केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा कि राज्य के विशेष दर्जे या पहचान से किसी तरह की छेड़छाड़ बारुद को आग दिखाने जैसा होगा।

मुफ्ती ने रविवार को अपनी पार्टी के स्थापना दिवस पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “अगर कोई हाथ अनुच्छेद 35-ए को छूने की कोशिश करेगा तो सिर्फ हाथ ही नहीं बल्कि पूरा शरीर खाक हो जाएगा।” भाजपा के उपाध्यक्ष और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को अब्दुल्ला और मुफ्ती पर घाटी में अतिरिक्त बलों की तैनाती को लेकर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि तैनाती एक सामान्य प्रक्रिया और “नियमित” कवायद है।

Web Title: List of mosques in Srinagar sought, former CM Abdullah asked, why the government silence

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