वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, "नाबालिग महिला पहलवान बृजभूषण के खिलाफ नहीं 'वापस' ले सकती शिकायत"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 7, 2023 10:22 IST2023-06-07T10:13:23+5:302023-06-07T10:22:01+5:30

सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ महिला वकील वृंदा ग्रोवर ने नाबालिग महिला पहलवान द्वारा बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिये बयान वापसी पर कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता और 164 का बयान मजिस्ट्रेट के सामने और नाबालिग महिला पहलवान के हस्ताक्षर से दर्ज हुआ है और मामले का फैसला कोर्ट ही करेगी।

Lawyer Vrinda Grover said, "Minor woman cannot 'withdraw' complaint against wrestler Brij Bhushan" | वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, "नाबालिग महिला पहलवान बृजभूषण के खिलाफ नहीं 'वापस' ले सकती शिकायत"

वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, "नाबालिग महिला पहलवान बृजभूषण के खिलाफ नहीं 'वापस' ले सकती शिकायत"

Highlightsवकील वृंदा ग्रोवर ने नाबालिग महिला पहलवान द्वारा बयान वापसी को भ्रामक बताया ग्रोवर ने कहा कि मजिस्ट्रेट के सामने दिया 164 का बयान कोर्ट के सामने पेश होगा मीडिया बयान वापसी का भ्रम फैला रहा है, स्थिति अब भी वैसी ही है और नाबालिग का बयान कायम है

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने नाबालिग महिला पहलवान द्वारा कुश्ती संघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर लगाये गये यौन उत्पीड़न के बयान को वापस लेने पर कहा कि भले ही नाबालिग ने मजिस्ट्रेट को एक और बयान दिया हो, लेकिन उसे आरोपों या शिकायत की "वापसी" कहना कानूनी भ्रम है। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि मीडिया का एक बड़ा वर्ग ऐसी खबरें बता रहा है ताकि लोगों के मन में भ्रम पैदा हो सके।

वकील ग्रोवर ने कहा, “शिकायतकर्ता यौन उत्पीड़न की शिकायत में चाहे कितने ही बयान दे, उसे अदालत के सामने आना ही होगा और शपथ लेकर सत्य बोलना होगा। चूंकि यहां शिकायतकर्ता नाबालिग है, उसे आवश्यक गोपनीयता और गवाह सुरक्षा दी जाएगी और उनके दिये बयान की वैधता की परख अदालत के सामने होगी। इसलिए नाालिग द्वारा नया बयान दिया जाना आरोपी की बेगुनाही नहीं है और न ही इसे शिकायत की "वापसी" कहा जाना चाहिए। एक बार किसी भी आपराधिक मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद, उसे अदालत द्वारा ही सुना जा सकता है।”

समाचार वेबसाइट द न्यूज मिनट के अनुसार वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, "नाबालिग महिला पहलवान के बयानों को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने लिया गया है। 164 के बयान का इसलिए महत्व है क्योंकि वे सीधे मजिस्ट्रेट के सामने बयान देने वाले हस्ताक्षर पर दर्ज होते हैं। लेकिन इस तरह के बयानों की सत्यता परखने के लिए अभी भी एक फौजदारी अदालत के समक्ष जांच होती है। कोई भी शिकायतकर्ता केवल अपने पिछले बयान का खंडन करते हुए नया बयान नहीं दे सकता है और अपनी शिकायत या आरोप वापस नहीं ले सकता है। मीडिया द्वारा इस तरह की रिपोर्ट करना न केवल कानून की गलत व्याख्या है बल्कि भ्रमित करने वाला भी है।

मालूम हो कि नाबालिग महिला पहलवान द्वारा बृजभूषण सिंह पर लगाये आरोपों को वापस लिये जाने की खबर 6 जून को समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस ने उजागर की थी। एक्सप्रेस की खबर में बताया गया था कि नाबालिग महिला पहलवान ने कुश्ती महासंघ के प्रमुख और यूपी के कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाये गये अपने आरोपों को वापस ले लिया है। हालांकि, इसके उलट एक अन्य समाचार वेबसाइट द प्रिंट ने अपनी खबर में बताया कि नाबालिग महिला पहलवान के पिता ने बयान वापसी के खबर को फर्जी बताते हुए फोन पर कहा कि उन्होंने बृजभूषण शिंह के खिलाफ की गई शिकायत वापस नहीं ली है।

बृजभूषण के खिलाफ नाबालिग महिला पहलवान सहित छह अन्य पहलवानों ने 28 अप्रैल 2023 को दिल्ली पुलिस के सामने एफआईआर दर्ज कराई थी। कुल दो एफआईआर दर्ज हुए थे और इनमें कुल मिलाकर यौन उत्पीड़न के 12 मामलों के अलावा अन्य आरोप भी शामिल थे।

आरोपी बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश से छह बार के सांसद हैं और साथ ही कुश्ती संघ के प्रमुख हैं, जिन पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं और बच्चों के संरक्षण की धारा 10 (नाबालिग पर यौन उत्पीड़न-पॉक्सो) के तहत आरोप लगाए गए हैं। अपने खिलाफ केस दर्ज होने के बाद बचाव करते हुए बृजभूषण ने दावा किया था कि नाबालिग महिला पहलवान द्वारा पॉक्सो एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है और इसमें संशोधन होना चाहिए।

Web Title: Lawyer Vrinda Grover said, "Minor woman cannot 'withdraw' complaint against wrestler Brij Bhushan"

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