चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को रांची के विरसा मुंडा जेल में माली का काम मिल गया है। उन्हें जेल की बागबानी संभालनी होगी। इसके एवज में उन्हें रोजाना 93 रुपये का भुगतान भी होगा। लालू प्रसाद यादव लगातार अदालत में यह बात कह रहे थे कि उन्हें जेल में ठंड लगती है और उनके पास कोई काम नहीं है। इस पर जज ने उन्हें तबला-हारमोनिम देने ले लेने के बारे में सलाह दी थी। लेकिन शनिवार को साढ़े तीन साल की सश्रम सजा मिली। इसके बाद जेल प्रशासन ने उन्होंने शुरुआत में बागबानी की देखभाल की जिम्मेदारी मिली है।
यह सातवीं बार होगा जब लालू प्रसाद यादव जेल में कुछ काम करते नजर आएंगे। इससे पहले 30 जुलाई 1997 वह 135 दिन तक जेल में रहे। दूसरी बार वह 28 अक्टूबर 1998 को वह गए। तब वह 73 दिन जेल में रहे। तीसरी बार 5 अप्रैल 2000 को 11 दिन के लिए, चौथी बार 28 नवंबर 2000 को 1 दिन के लिए, पांचवीं बार 26 नवंबर 2000 को 23 दिन के लिए, छठी बार 3 अक्टूबर 2013 को 70 दिन के लिए वह जेल जा चुके हैं।
तो साढ़े तीन साल नहीं चार साल हो सकती है लालू की सजा
सातवीं बार लालू को चारा घोटाले के करीब 89 लाख रुपये की अवैध निकासी मामले में उन्हें साढ़े तीन साल सश्रम सजा मिली है। साथ ही उन पर 10 लाख रुपये के जुर्माना भी लगाया गया है। सजा के तहत अगर लालू यह जुर्माना नहीं भरते हैं तो उनकी सजा में छह माह की अतिरिक्त अवधि जोड़ दी जाएगी।
लालू को जिस मामले में सजा हुई है वह मामला क्या है
पशुओं के लिए दवा और अस्पताल के लिए उपकरण खरीदने के लिए देवघर जिला पशुपालन विभाग से 4.7 लाख रुपये की निकासी बाद में आगे चलकर 89 लाख से ज्यादा रकम हो गई। इस केस की सीबीआई प्राथमिकी 15 मई 1996 को दर्ज कराई गई। पहला आरोप पत्र 28 मई 2004 में दायर हुआ। उस वक्त मामले में मुख्य सीबीआई अधिकारी एके झा थे। मामले में 160 गवाह प्रस्तुत किए। बचाव पक्ष में 16 गवाह प्रस्तुत किए गए। इन सब के बाद छह जनवरी को लालू को सजा सुनाई गई।