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लालू परिवार में दो फाड़ तो कैसे होगी चुनावी नैया पार!

By एस पी सिन्हा | Updated: March 29, 2019 08:19 IST

तेजप्रताप यादव ने कहा कि मैं अपने छोटे भाई से ये अपेक्षा रखता हूं कि वो मेरे दिए गए दोनों नामों पर अपनी मुहर लगाएंगे. कोई नई पार्टी बनाने की मेरी मंशा नहीं है बल्कि मैं राजद का ही सिपाही हूं.

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बिहार में महागठबंधन में जारी सियासी उठापटक के बीच अब खुद राजद में भी खींचतान की खबरें आने लगी हैं. पार्टी के नेता और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने न केवल दो सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया बल्किप्रत्याशियों के नाम की भी घोषणा कर दी. तेजप्रताप ने बातचीत के दौरान कहा कि जहानाबाद से चंद्रप्रकाश तो शिवहर सीट से अंगेश सिंह राजद के उम्मीदवार होंगे.

बताया जाता है कि शिवहर से अंगेश सिंह जो जाति से राजपूत हैं और लंबे समय से राजद से जुड़े हैं तो जहानाबाद से चंद्रप्रकाश यादव हैं जो शिक्षा व्यवसाय से जुड़े हैं. इनके पिता चंद्रक यादव भी जानेमाने शिक्षा व्यवसायी हैं. ऐसे में तेजप्रताप के इस ऐलान के साथ ही लालू प्रसाद यादव के परिवार में फिर से घमासान मचने की आशंका पैदा हो गई है. पहले से ही लालू के दोनों बेटों की राजनीति अलग-अलग दिशा में चल रही है. इस कड़ी में तेजप्रताप का ये फैसला काफी हैरत भरा है.

तेजप्रताप ने इसके साथ यह भी कहा कि वह अपने छोटे भाई के साथ हैं. उन्होंने कहा, ''मैं अपने छोटे भाई से ये अपेक्षा रखता हूं कि वो मेरे दिए गए दोनों नामों पर अपनी मुहर लगाएंगे. कोई नई पार्टी बनाने की मेरी मंशा नहीं है बल्कि मैं राजद का ही सिपाही हूं.'' तेजप्रताप ने कहा कि मैंने ऐसे दो नाम सुझाए हैं जो कि पार्टी के सच्चे सिपाही हैं. यहां उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा रहा है. इसकी झलक कई बार देखने को मिल चुकी है. सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में आई दरार खत्म होने का नाम नहीं ले रही है

लालू के बगैर चढ़ नहीं रहा चुनावी रंग

बिहार में लोकसभा चुनाव की गहमागहमी तो चरम पर है, लेकिन महागठबंधन की महागांठ खुलती नजर आने लगी है. ऐसे में लालू की कमी सभी को खलने लगी है. वैसे रांची के रिम्स में भर्ती लालू प्रसाद यादव भले ही प्रत्यक्ष तौर पर चुनाव से दूर हैं. लेकिन, इस शख्सियत की अहमियत 2019 के लोकसभा चुनाव में और भी ज्यादा बढ़ गई है. महागठबंधन में मुख्य दल के तौर पर राजद शामिल है. इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करना और राजग को पटखनी देना महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती है.

कहा जा रहा है कि लालू जेल से ही से कई बार नेताओं को हड़काते भी हैं तो कई को एकजुट होकर राजग को मात देने की सीख भी देते हैं. वहीं, लालू की जमानत का महागठबंधन में शामिल दल भी इंतजार कर रहे हैं क्योंकि लालू के बगैर चुनावी रंग पकड़ नहीं पा रहा है. हालांकि कई मामलों में उन्हें जमानत मिलनी है और अगर उन्हें जमानत नहीं भी मिलती है तो भी वह राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं. भाजपा की धर्म की राजनीति को वे जाति की राजनीति से काट सकते हैं. ऐसे में अब यह कहा जाने लगा है कि तो क्या इस बार भी लालू जेल से किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे? वहीं, राजद पहली बार लालू के बगैर चुनावी समर में उतर रहा है.

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