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आडवाणी, जोशी और जसवंत सिंह के लुटियन दिल्ली स्थित सरकारी बंगले रहेंगे बरकरार, मोदी सरकार ने लिया फैसला

By भाषा | Updated: October 15, 2019 05:52 IST

कानून के तहत भूतपूर्व सांसद को नयी लोकसभा के गठन के एक महीने के भीतर सरकारी आवास छोड़ना अनिवार्य है। 17वीं लोकसभा के गठन के लगभग पांच महीने बीतने के बाद भी लगभग 35 पूर्व सांसदों ने अभी तक बंगला खाली नहीं किया है।

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ठळक मुद्देभाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और जसवंत सिंह के लुटियन दिल्ली स्थित सरकारी बंगलों का आवंटन विभिन्न आधार पर बरकरार रखने का सरकार ने फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि तीनों नेता अब संसद सदस्य नहीं हैं। आडवाणी और जोशी ने 17वीं लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था और सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और जसवंत सिंह के लुटियन दिल्ली स्थित सरकारी बंगलों का आवंटन विभिन्न आधार पर बरकरार रखने का सरकार ने फैसला किया है। सरकारी संपत्ति से अनधिकृत कब्जों की बेदखली के लिये हाल ही में संसद द्वारा पारित कठोर प्रावधानों वाले सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम 2019 के तहत आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा पूर्व सांसदों के बंगले खाली कराये जाने की प्रक्रिया के बीच आडवाणी और जोशी को सुरक्षा कारणों से और सिंह के बंगले का आवंटन स्वास्थ्य कारणों से बरकरार रखा जायेगा।

उल्लेखनीय है कि तीनों नेता अब संसद सदस्य नहीं हैं। आडवाणी और जोशी ने 17वीं लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था और सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। मंत्रालय के संपदा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि संशोधित कानून के तहत सभी भूतपूर्व सांसदों के बंगलों का आवंटन रद्द कर बंगले खाली कराने की प्रकिया को तेजी से पूरा किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि आडवाणी और जोशी के बंगले का आवंटन सुरक्षा कारणों से और सिंह के बंगले का आवंटन स्वास्थ्य कारणों से बरकरार रहेगा। उल्लेखनीय है कि 91 वर्षीय आडवाणी को पृथ्वीराज रोड और 85 वर्षीय जोशी को रायसीना रोड स्थित बंगला अवंटित हैं जबकि पूर्व रक्षामंत्री जसवंत सिंह को तीन मूर्ति लेन में सरकारी आवास आवंटित है।

सरकारी संपत्ति से अनधिकृत कब्जों की बेदखली के लिये हाल ही में संसद द्वारा पारित कठोर प्रावधानों वाले सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम 2019 को मंत्रालय द्वारा 12 सितंबर को लागू किये जाने के बाद संपदा निदेशालय ने लुटियन दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में रहने की पात्रता गंवा चुके पूर्व सांसदों और सांसदों के अतिथियों से आवास खाली कराने की कार्रवाई तेज कर दी है।

कानून के तहत भूतपूर्व सांसद को नयी लोकसभा के गठन के एक महीने के भीतर सरकारी आवास छोड़ना अनिवार्य है। 17वीं लोकसभा के गठन के लगभग पांच महीने बीतने के बाद भी लगभग 35 पूर्व सांसदों ने अभी तक बंगला खाली नहीं किया है। संपदा निदेशालय ने पुलिस की मदद से बलपूर्वक बंगले खाली कराने के लिये कार्रवाई तेज कर दी है। इसके तहत अभी तक छह पूर्व सांसदों के बंगले बलपूर्वक खाली कराये जा चुके हैं। भाषा निर्मल नरेश नरेश

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