1975 के बाद पहली बार भारत-चीन के बीच खूनी झड़प, जानें लद्दाख बॉर्डर पर पिछले 40 दिनों में क्या-क्या हुआ
By निखिल वर्मा | Published: June 17, 2020 08:27 AM2020-06-17T08:27:18+5:302020-06-17T08:28:59+5:30
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के कुल 20 सैनिक शहीद हो गए, जबकि भारतीय सेना के पलटवार में 43 चीनी सैनिक मारे गए था घायल हो गए.
भारत और चीन के बीच 45 वर्षों के बाद सोमवार रात पहला घातक संघर्ष हुआ है। इस खूनी संघर्ष में कर्नल सहित 20 भारतीय जवानों की शहादत हुई है जबकि चीनी पक्ष के 43 लोग भी हताहत हुए हैं। परमाणु शक्ति संपन्न दोनों देशों के बीच इतने खराब हालात 1975 के बाद हुए हैं।
आइये जानतें है लद्दाख सीमा पर भारत-चीन के बीच कैसे बिगड़ गए हालात:
5-6 मई: लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर भारतीय और चीनी गश्ती दल के बीच हिंसक झड़प. पत्थरबाजी में दोनों पक्षों के 250 लोग घायल.
9 मई: पूर्वी क्षेत्र में तनाव फैल गया। उत्तर सिक्किम के नाकु ला क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव. दोनों पक्षों के 150 सैनिकों के बीच झड़प में चार भारतीय और सात चीनी सैनिक घायल.
10 मई: सेना ने नाकु ला में फेस-ऑफ की पुष्टि करते हुए बयान जारी किया. सैनिकों के आक्रामक व्यवहार से दोनों पक्षों के लोगों को चोट लगी. सेना के अधिकारियों ने भी पैंगोंग त्सो झड़प की पुष्टि की.
12 मई: गलवान घाटी में तनाव बढ़ने की खबरें सामने आईं। एक बयान में सेना ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर आक्रामक व्यवहार सीमा विवाद नहीं सुलझाया जा सकता.
19 मई: पैंगोंग त्सो, गलवान वैली में तनाव के बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि भारतीय सैनिक एलएसी पर ज्यादती कर रहे हैं. भारतीय सैनिकों द्वारा चीनी सैनिकों के सामान्य गश्त में बाधा डालने के बाद बीजिंग को "आवश्यक प्रतिवाद" लेना पड़ा.
21 मई: भारत ने चीन के इस तर्क का दृढ़ता से खंडन किया कि लद्दाख और सिक्किम सेक्टरों में तनाव भारतीय सैनिकों द्वारा शुरू किया गया था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि एलएसी पर गतिविधियां पूरी तरह से भारतीय पक्ष के अनुसार है. भारत की सामान्य गश्त में चीन बाधा डाल रहा है.
22 मई: सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने संवेदनशील क्षेत्र की सुरक्षा समीक्षा के लिए लेह स्थित 14 कोर मुख्यालय का दौरा किया.
25 मई: चीन ने लद्दाख सेक्टर में विवादित सीमा पर 5,000 सैनिकों की तैनाती की. भारत ने भी सैन्य टुकड़ियां भेजी.
27 मई: सेना के शीर्ष अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रही सीमा रेखा सहित सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की.
30 मई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन गतिरोध को हल करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर एक दूसरे से बात कर रहे हैं. उन्होंने देश को भरोसा दिलाते हुए कहा कि भारत की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचने देगी।
2 जून: सीमा पर चीन के टुकड़ियों की मौजदूगी को स्वीकारते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सेना चीनी सैनिकों के गतिविधियों पर नजर रख रही है.
6 जून: शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक. लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी पक्ष से तिब्बत सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल लिऊ लिन के बीच वार्ता हुई.
9 जून: सेना के अधिकारियों ने बताया कि चीन ने एलएसी के साथ तीन हॉटस्पॉट से अपने सैनिकों को वापस लेना शुरू कर दिया है. भारत ने भी उन क्षेत्रों से अपनी सेनाओं को पीछे लिया. सैनिकों की कटौती गलवान घाटी, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्पिंग्स में हुई.
10 जून: मेजर जनरल-रैंक के अधिकारियों के नेतृत्व में भारतीय और चीनी प्रतिनिधिमंडल गलवान घाटी क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट 14 में मिलते हैं. गतिरोध को तोड़ने के लिए दो-स्टार जनरलों के बीच बातचीत का चौथा दौर.
12 जून: मेजर जनरल रैंक के अधिकारी पांचवीं बार डी-एस्केलेशन योजना पर चर्चा करने और सीमा तनाव को कम करने के लिए मिलते हैं. चीन ने एलएलसी के नजदीक 8000 से अधिक सैनिक, टैंक, आर्टिलरी गन, फाइटर बॉम्बर, रॉकेट फोर्स और एयर डिफेंस रडार की तैनाती की.
13 जून: सेना प्रमुख का कहना है कि चीन के साथ एलएसी के साथ "चरणबद्ध तरीके" से भारतीय और चीनी सेनाएं पीछे हट रही हैं और स्थिति नियंत्रण में है.
15 जून: भारत और चीन के सेना के प्रतिनिधिमंडलों ने फिर से चर्चा की. एलएसी के साथ दो स्थानों पर वार्ता होती है. ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी गलवान घाटी में मिलते हैं और कर्नल रैंक वाले अधिकारी हॉट स्प्रिंग्स में मिलते हैं. दोनों पक्षों के बीच झड़प उसी शाम होती है।