नई दिल्ली, 23 अगस्तः वरिष्ठ पत्रकारकुलदीप नैयर नहीं रहे। उन्होंने कई दशकों तक पत्रकारिता और लेखन कार्य किया। उनके निधन पर देशभर से श्रद्धा सुमन अर्पित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करते हुए उन्हें महान बुद्धिजीवी और एक निर्भीक शख्सियत बताया। राजनेता, पत्रकार और फिल्मकारों ने कुलदीप नैयर के निधन पर अपने उद्गार व्यक्त किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'कुलदीप नैयर हमारे समय के बड़े बुद्धिजीवी थे। उनके विचारों में निडरता थी और कई दशकों तक लिखते रहे। आपातकाल के खिलाफ उनका सख्त रवैया रहा। उनके निधन से दुख हुआ। मेरी सहानुभूति परिजनों के साथ है।'
शरद यादव ने कुलदीप नैयर को याद करते हुए लिखा कि मैंने आज एक करीबी दोस्त खो दिया।
अरविंद केजरीवाल ने लिखा कि कुलदीप नैयर को प्रेस की आजादी के प्रबल पैरोकार के रूप में याद रखा जाएगा।
इसके अलावा कई वरिष्ठ पत्रकारों और फिल्मकारों ने भी श्रद्धांजलि दी।
कुलदीप नैयरः सफरनामा
कुलदीप नैयर का जन्म पंजाब के सियालकोट में 14 अगस्त 1923 तो हुआ था। उनके पिता का नाम गुरबख्श सिंह और मां पूरन देवी थी। उन्होंने लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से बीए (ऑनर्स) और लॉ कालेज से एलएलबी की पढ़ाई की। 1952 में उन्होंने नॉर्दवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की। करियर के शुरुआती दिनों में नैयर उर्दू पत्रकारिता करते थे। बाद में उन्होंने अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन का संपादन किया और आपातकाल के दौरान जेल भी गए। उन्होंने 80 से ज्यादा अखबारों के लिए 14 भाषाओं में लेख लिखे हैं।
कुलदीप नैयरः चर्चित पुस्तकें
कुलदीप नैयर ने 'बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' ‘द डे लुक्स ओल्ड' जैसी कई किताबें लिखी थीं। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।