जानिए कौन हैं एनडी तिवारी, जिन्होंने भारतीय राजनीति में मचा दी थी हलचल
By रामदीप मिश्रा | Published: October 18, 2018 04:24 PM2018-10-18T16:24:27+5:302018-10-18T16:24:27+5:30
एनडी तिवारी के पिता आजादी की लड़ाई में शामिल थे और उन्होंने अपने पिता की तरह की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे।
भारतीय राजनीति में नारायण दत्त तिवारी काफी चर्चित चेहरा रहे हैं। उन्हें लोग अक्सर एनडी तिवारी के नाम से बुलाते हैं। उनका जन्म 1925 में नैनीताल जिले के बलूती गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम पूर्णानंद तिवारी था, जोकि वन विभाग में अधिकारी थे। पिता के अधिकारी होने की वजह से घर की आर्थिक स्थिति अच्छी रही, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अपने भविष्य में आर्थिक संटक का सामना नहीं करना पड़ा।
ब्रिटिश सरकार ने जेल में डाला
बताया जाता है कि एनडी तिवारी के पिता आजादी की लड़ाई में शामिल थे और उन्होंने अपने पिता की तरह की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्हें 1942 में ब्रिटिश सरकार की साम्राज्यवादी नीतियों के खिलाफ काम करने के आरोप गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद जेल भेज दिया गया। यहां उनके पिता पूर्णानंद तिवारी पहले से ही बंद थे। उन्हें ब्रिटिश सरकार ने करीब 15 महीने जेल में रखा और 1944 में वह जेल से बाहर आए।
यहां की एनडी तीवारी ने पढ़ाई शिक्षा
जेल से बाहर आने के बाद एनडी तिवारी अपनी पढ़ाई को आने बढ़ाया। इस दौरान उनके पिता का ट्रांसफर होने की वजह से पढ़ाई में उन्हें थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि एक से दूसरे शहर में रहते हुए उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ी। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय राजनीतिशास्त्र में एमए की। साथ ही साथ एलएलबी की डिग्री भी हासिल की। इसी दौरान 1947 में उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद से ही वह भारतीय राजनीति के सफर पर निकल पड़े। यही उनके जीवन पहली सियासी सीढ़ी मानी जाती है।
एनडी तिवारी का राजनीतिक सफर
एनडी तिवारी पहली बार साल 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर नैनीताल निर्वाचन क्षेत्र से और दूसरी बार 1957 में यहीं से विधायक के रूप में चुने गए। इसके बाद उन्होंने साल 1963 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को चुना और इसमें शामिल हो गए। वह 1965 मेंकाशीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए और उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं, इधर साल 1969-1971 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया था।
तीन बार बने उत्तर प्रदेश के सीएम
एनडी तिवारी जनवरी 1976 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1979-1980 में उन्हें चौधरी चरण सिंह सरकार में वित्त और संसदीय मंत्री बनाया गया। इसके बाद फिर वे अगस्त 1984 में दूसरी बार और 1988 में तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद उन्होंने साल 1994 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया।
उत्तराखंड के भी बनाए गए सीएम
एनडी तिवारी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद 1995 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह के साथ मिलकर स्वयं की पार्टी 'अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस' बनाई। इसके बाद वे 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। हालांकि कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद वे तीन साल बाद फिर वापस कांग्रेस पार्टी में 1997 में लौट आए और 1999 में वह 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद उन्हें साल 2002 में उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया और अगस्त 2007 वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किए गए।
राज्यपाल पद से देना पड़ा था इस्तीफा
एनडी तिवारी का विवादों से गहरा नाता रहा है। इसकी वजह से ही उन्हें दिसंबर 2009 में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उन्हें यह इस्तीफा एक कथित सेक्स सीडी सामने आने के बाद देना पड़ा था। उस सेक्स सीडी ने पूरे देश की राजनीति में हलचल मच दी थी। दावा किया गया था कि सीडी में एनडी तिवारी तीन महिलाओं संग आपत्तिजनक स्थिति में हैं।। इस वीडियो क्लिप को एक तेलुगू चैनल ने प्रसारित किया था।