किसान दिवस 2023: भारत में हर साल 23 दिसंबर का दिन देश के किसानों को समर्पित है। उनके सम्मान में इस दिन किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हमारे देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती मनाने के लिए मनाया गया, जिन्होंने कई कृषि सुधार बिलों के अधिनियमन और मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
किसान दिवस का इतिहास
साल 2001 में तत्कालीन अटल सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर उनकी स्मृति में राष्ट्रीय किसान दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाने की परंपरा जारी है। इस दिन भारत सरकार द्वारा किसानों को जागरुक करने हेतु कार्यक्रम किए जाते हैं।
किसानों की दशा सुधारने में चौधरी चरण सिंह की भूमिका
चौधरी चरण सिंह ने जुलाई 1979 से जनवरी 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई किसान बिलों का मसौदा तैयार किया और उन्हें भारतीय कृषि क्षेत्र में लागू करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूर्व प्रधानमंत्री ने देश को 'जय युवा जय किसान' का नारा दिया था। इसलिए उन्हें किसान नेता के रूप में जाना जाता था।
किसान दिवस का महत्व
भारत में कृषि आय का मुख्य स्रोत और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत की 50% से अधिक आबादी गामीण है। जहां की आमदनी का मुख्य स्रोत खेती-किसानी है। देश की जीडीपी में 14 से 15% का योगदान देती है।
भारतीय किसान हमारे देश की प्रगति में अहम भूमिका निभाते हैं, और वे हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से लेकर शहरों में हमारे द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले कच्चे संसाधनों तक सब कुछ बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। हालांकि इसके बावजूद किसान चुनौतीपूर्ण जीवनयापन का सामना कर रहे हैं।
ऐसे में देश के विकास और अर्थव्यवस्था में किसानों के योगदान के बारे में लोगों को शिक्षित करने एवं देश भर में कृषि के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है।