लखनऊः उत्तर प्रदेश (यूपी) के मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट पर हो रहा उपचुनाव बेहद रोचक हो गया है. हेट स्पीच मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक विक्रम सैनी को सजा मिली, जिससे यह सीट खाली हुई. भाजपा ने विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी को चुनाव मैदान में उतारा है तो राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने मदन भैया पर दांव लगाया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रालोद के मुखिया जयंत चौधरी आमने-सामने
रालोद को समाजवादी (सपा) का समर्थन है. बीते विधान सभा चुनावों में यहां बहुजन समाज पार्टी (बसपा) तीसरे स्थान पर रही थी, पर इस बार चुनाव मैदान में नहीं है. ऐसे में अब यहां मुकाबला आमने-सामने का है. और इस सीट पर अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रालोद के मुखिया जयंत चौधरी आमने-सामने हो गए हैं.
कुल मिलाकर खतौली विधान सभा क्षेत्र में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है. भाजपा और रालोद के बीच छिड़ी सीधी लड़ाई में यहां दलित वोट निर्णायक बन गया है. बसपा के चुनावी मैदान से दूर रहने से भाजपा और रालोद ने दलित वोटरों की चौखट पर डेरा डाल दिया है.
मंत्री असीम अरुण को खतौली में उतार दिया
अब खतौली में जीत की चाबी दलित वोटों के हाथ में बताई जा रही है, जिसे साधने के लिए संविधान दिवस पर जयंत चौधरी ने युवा दलित चेहरा चंद्रशेखर आजाद के साथ मंच साझा किया. युवा चन्द्रशेखर इलाके में लोकप्रिय हैं. उनके जयंत के साथ होने से रालोद का लाभ है. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्री असीम अरुण को खतौली में उतार दिया है.
इलाके के लोगों का कहना है कि इस सीट पर भाजपा या रालोद जिसका भी प्रत्याशी जीतेगा, उस दल का ही समूचे पश्चिम यूपी में डंका बजेगा. इस चुनाव को कई मायनों में पश्चिम उप्र में 2024 का सेमीफाइनल भी कहा जा रहा है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद राजकुमारी सैनी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने पहुंचे.
सपा सरकार में हुए कवाल कांड का जिक्र किया
उन्होंने बिना किसी का नाम हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार यहाँ गुंडागर्दी पनपने नहीं देगी. मुख्यमंत्री का इशारा रालोद प्रत्याशी मदन भैया की तरफ था, जिसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं. मुख्यमंत्री ने जाट मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए सपा सरकार में हुए कवाल कांड का जिक्र किया.
उन्होंने कहा सपा के लिए कवाल का बवाल कलंक है. कवाल में हुई गौरव और सचिन की निर्मम हत्या विस्मृत नहीं हो सकती हैं. इस हत्याकांड को उठाकर योगी हिंदू वोटों को भाजपा के पक्ष में एकजुट करने का प्रयास किया. तो दूसरी तरफ जयंत चौधरी योगी सरकार से खफा किसानों और दलित मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए गांव गांव घूम रहे हैं.
जिसके चलते खतौली में यह कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय है, वहीं रालोद मुखिया जयंत चौधरी के पास निकाय चुनावों की जमीन तैयार करने का बड़ा अवसर है. जिसके चलते अब योगी और जयंत अपने प्रत्याशियों को चुनाव जीतने के लिए आमने सामने आ गए है.