केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, दामाद को ससुर की संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहीं, जानें कारण

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 4, 2021 20:08 IST2021-10-04T20:04:16+5:302021-10-04T20:08:12+5:30

केरल हाईकोर्ट ने माना है कि दामाद अपने ससुर की संपत्ति और भवन में किसी भी कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।

Kerala High Court Son-in-law has no legal right in father-in-law's property rules | केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, दामाद को ससुर की संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहीं, जानें कारण

अदालत ने कहा, "दामाद के लिए यह दलील देना शर्मनाक है कि उसे परिवार के सदस्य के रूप में गोद लिया गया था।"

Highlightsन्यायमूर्ति एन अनिल कुमार ने कन्नूर के तलीपरंबा के डेविस राफेल द्वारा दायर अपील को खारिज की।परिवार के सदस्य के रूप में अपनाया गया था। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि दामाद को परिवार का सदस्य मानना ​​मुश्किल है।

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने कहा कि दामाद का अपने ससुर की संपत्ति और भवन में कोई कानूनी अधिकार नहीं हो सकता, भले ही उसने भवन के निर्माण के लिए कुछ राशि खर्च की हो।

न्यायमूर्ति एन अनिल कुमार ने कन्नूर के तलीपरंबा के डेविस राफेल द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए आदेश जारी किया है। ससुर हेंड्री थॉमस ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक मुकदमा दायर किया। पैसे से पक्का मकान बनाया है और वह अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। दामाद का संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है।

न्यायमूर्ति एन. अनिल कुमार की पीठ ने जुर्माना लगाते हुए दूसरी अपील को खारिज कर दिया और कहा कि, ''जब संपत्ति वादी के कब्जे में है, तो प्रतिवादी दामाद यह दलील नहीं दे सकता है कि उसे वादी की बेटी के साथ विवाह के बाद परिवार के सदस्य के रूप में अपनाया गया था और संपत्ति में उसका अधिकार है।

अगर दामाद का कोई निवास, यदि वादी के भवन में है तो वह प्रकृति में केवल अनुज्ञात्मक है। इसलिए, दामाद का अपने ससुर की संपत्ति और भवन पर कोई कानूनी अधिकार नहीं हो सकता है, भले ही उसने भवन के निर्माण पर कुछ राशि खर्च की हो।

दामाद ने तर्क दिया कि उन्होंने हेंड्री की इकलौती बेटी से शादी की थी। परिवार के सदस्य के रूप में अपनाया गया था। इसलिए उन्हें घर में रहने का अधिकार है। निचली अदालत ने माना था कि दामाद का संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि दामाद को परिवार का सदस्य मानना ​​मुश्किल है। अदालत ने कहा, "दामाद के लिए यह दलील देना शर्मनाक है कि उसे परिवार के सदस्य के रूप में गोद लिया गया था।"

Web Title: Kerala High Court Son-in-law has no legal right in father-in-law's property rules

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