मुस्लिम कपल को हाईकोर्ट ने दी लिव-इन में रहने की इजाजत, कहा- लड़की की मर्जी वह किसके साथ रहे
By पल्लवी कुमारी | Published: June 2, 2018 04:19 PM2018-06-02T16:19:17+5:302018-06-02T16:23:16+5:30
कोर्ट ने कहा- कानून इस बात को नजर अंदाज नहीं कर सकता कि अभी के समाज में लिव इन रिलेशनशिप बहुत तेजी से विकसित हो रहा है।
तिरुवनंतपुरम, 2 जून: केरल हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक मुस्लिम कपल को लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने का इजाजत दिया है। कोर्ट ने कहा इस मामले में 18 वर्षीय एक युवक और 19 वर्षीय युवती को साथ रहने का आदेश दे दिया है।
युवती के पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जरिए बेटी को अदालत में पेश करने की अर्जी लगाई थी। लेकिन केरल हाई कोर्ट ने यह करते हुए याचिका खारिज कर दी कि कानून इस बात को नजर अंदाज नहीं कर सकता कि अभी के समाज में लिव इन रिलेशनशिप बहुत तेजी से विकसित कर रहा है, इसलिए कपल्स को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जरिए अलग नहीं किया जा सकता है।
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जस्टिस वी चितम्बरेश और जस्टिस केपी ज्योतिन्द्रनाथ की एक खंडपीठ ने इस पर फैसला सुनाया। इस खंडपीठ ने युवती के पिता की याचिका को खारिज करते हुए बात कही है। कोर्ट ने कहा कि एक बालिग कपल को शादी के बिना भी साथ रहने का हक है। युवती के पिता का आरोप था कि युवक ने उसे जबरस्ती अपने साथ रखा है। कोर्ट ने कहा, युवती या युवक का फैसला है कि वह किसके साथ रहती है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये कपल केरल के अलप्पुझा जिले के मुस्लिम परिवार से हैं। पिता ने यह भी दलील दी थी कि देश में शादी के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। इस पर कोर्ट ने हाल के फैसले का उदारहण देते हुए कहा, लड़का और लड़की शादी के लिए अनिवार्य उम्र नहीं रखते हैं और वे वयस्क हो चुके हैं तो उन्हें लिव इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकार है।
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