केरल चुनाव: हागिया सोफिया गिरजाघर को मस्जिद में बदलना, ‘लव जिहाद’ होंगे मुख्य मुद्दे
By भाषा | Published: April 4, 2021 03:09 PM2021-04-04T15:09:31+5:302021-04-04T15:09:31+5:30
(टी जी बीजू)
कोच्चि, चार अप्रैल तुर्की में प्राचीन हागिया सोफिया गिरजाघर को मस्जिद में बदलने, ‘लव जिहाद’ की घटनाएं और उत्तर प्रदेश में चलती ट्रेन में दो नन का ‘‘उत्पीड़न’’ जैसे मामले छह अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा होंगे। यह बात इसाई बहुल मध्य केरल के निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं ने कही।
एर्नाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम और त्रिशूर में फैले इन निर्वाचन क्षेत्रों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी, माकपा नीत एलडीएफ के अहम सहयोगी केरल कांग्रेस (एम) के नेता जोस के मणि और राज्यसभा में भाजपा के सदस्य के जे अल्फोंस एवं सुरेश गोपी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
मध्य केरल को कांग्रेस नीत यूडीएफ का गढ़ माना जाता है, लेकिन एलडीएफ ने दिसंबर 2020 में निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था और कई सीटों पर जीत हासिल की थी।
भाजपा नीत राजग भी ‘लव जिहाद’ और ‘हागिया सोफिया’ जैसे मामले उठाकर कैथोलिक चर्च तक पहुंच बनाकर इन इलाकों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय मंत्रियों समेत वरिष्ठ भाजपा नेताओं को इस मामले पर चर्च के दृष्टिकोण का समर्थन करते देखा गया है।
एलडीएफ और यूडीएफ इन मामलों को लेकर भाजपा की चर्च के साथ बढ़ती नजदीकियों को लेकर चिंतित हैं, लेकिन वे चुनावों में मुसलमानों का समर्थन खोने के डर से इन मामलों पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनकी प्रचार मुहिम भाजपा शासन में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के खिलाफ कथित हमलों पर केंद्रित है।
माकपा और कांग्रेस दोनों दल ननों के कथित उत्पीड़न को लेकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पिछले सप्ताह त्रिशूर में एक चुनावी रैली के दौरान इस मामले पर ‘‘चुप्पी’’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी।
पाला में कैथोलिक चर्च से जुड़े एम अलेक्जेंडर ने कहा कि चर्च में निष्ठा रखने वालों के ‘लव जिहाद’, तुर्की में हागिया सोफिया चर्च को मस्जिद में बदलने और ननों के संघ परिवार के कार्यकर्ताओं द्वारा कथित उत्पीड़न की घटना को लेकर बहुत कड़े विचार हैं।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लोग इन मामलों पर विभिन्न मंचों पर बात कर रहे हैं, लेकिन हमें यह नहीं पता कि इन चुनावों में ये मुद्दे कितनी अहम भूमिका निभाएंगे।’’
एर्नाकुल जिले के गिरजाघर में नियमित रूप से जाने वाले टोनी पी एमैनुएल ने कहा कि ‘लव जिहाद’ को लेकर यूडीएफ और एलडीएफ जैसे राजनीतिक दलों के रुख के खिलाफ असंतोष है।
एमैनुएल ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के बेटे चांडी ओमन के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने हागिया सोफिया को मस्जिद में बदलने के कदम को कथित रूप से उचित बताया था।
उन्होंने कहा कि उन्हें एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के बेटे से इस प्रकार के बयान की उम्मीद नहीं थी।
‘केरल कैथोलिक बिशप्स कौंसिल’ ने भी चांडी ओमन के बयान की निंदा की।
चांडी ओमन ने कहा था कि हजारों गिरजाघरों को ‘बार’ में बदल दिया गया और किसी को इससे कोई समस्या नहीं हुई।
पाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे मणि ने ‘लव जिहाद’ का मुद्दा उठाते हुए कहा था “ यदि जनता में इसको लेकर आशंका है तो इसका समाधान किया जाना चाहिए।”
मणि के इस बयान का केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (केसीबीसी) ने समर्थन किया था। बहरहाल, मणि ने बाद में इस मुद्दे पर अपने कदम पीछे खींच लिए क्योंकि उन्हें लगा कि भाकपा और माकपा समेत एलडीएफ के अन्य घटक दलों को यह पसंद नहीं आएगा।
यूडीएफ और एलडीएफ ने ‘लव जिहाद’ के मामले पर चुप्पी साध रखी है, जबकि भाजपा प्रदेश महासचिव जॉर्ज कुरियन ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और यदि उनकी पार्टी चुनाव जीत जाती है, तो इसके खिलाफ निश्चित ही कानून लाया जाएगा।
भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद चर्च का समर्थन हासिल करने की उसकी कोशिशों के अभी इच्छित परिणाम नहीं मिले हैं। चर्च ने एक लेख में भाजपा की आलोचना करते हुए लिखा था कि कुछ दल भारत को धर्म पर आधारित देश बनाना चाहते हैं। उसने मतदाताओं से ऐसे लोगों से सावधान रहने को कहा, जो धार्मिक मुद्दे उठाकर मत मांग रहे हैं। लेख में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को लेकर एलडीएफ पर भी निशाना साधा गया है, लेकिन इसमें यूडीएफ का जिक्र नहीं किया गया।
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