(लक्ष्मी गोपालकृष्णन)
तिरुवनंतपुरम, 25 नवंबर जन्म के महज तीन दिन के बाद ही अपने बच्चे से अलग कर दी गई अनुपमा एस चंद्रन अपने जिगर के टुकड़े को दोबारा हासिल करने के लिए न तो रोई और न ही किसी के सामने दया की भीख मांगी, बल्कि वह अपनी लड़ाई को लेकर स्पष्ट थीं।
अनुपमा की उम्र महज 22 साल है लेकिन वह बहादुरी के साथ बारिश और खराब मौसम की परवाह किए बिना केरल राज्य बाल कल्याण केंद्र परिषद (केएससीसीडब्ल्यू) के सामने करीब एक पखवाड़े तक धरना देती रहीं और इस दौरान अपने बच्चे को पाने के लिए उन्हें साइबर मंच पर प्रताड़ना का सामना भी करना पड़ा। दूसरे राज्य में गोद लेने वाले के पास से अपने बच्चे को वापस पाने के लिए लेकिन वह लगातार संघर्ष करती रहीं।
अनुपमा के संघर्ष का सुखद अंत बुधवार को तब हुआ जब पारिवारिक अदालत ने अंतत: बच्चे को उन्हें सौंपा। वह अपने बच्चे को गोद में लिए अदालत कक्ष से बाहर आईं। वह जब अदालत से बाहर निकलीं तो उनकी आंखों में चमक थी लेकिन भावकुता की वजह से गला रूंधा हुआ था। वह मीडिया कर्मियों की नजर से अपने बच्चे को बचाने की कोशिश करती दिखीं जो इस मामले को कवर करने के लिए वहां मौजूद थे।
अनुपमा ने बाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वह अंतत: अपने बेटे को पाने की लड़ाई जीत चुकी हैं जिसे पिछले साल जबरन उनके माता-पिता द्वारा ले लिया गया था।
अनुपमा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा बच्चा इतनी जल्दी मुझे मिल जाएगा। यहां तक कि जब मैं सरकारी बाल कल्याण परिषद जाती थी तो अधिकारी कहता था कि मुझे मेरा बच्चा कभी नहीं मिलेगा क्योंकि उसे गोद दे दिया गया है। लेकिन आज वह मेरे साथ है।’’
उन्होंने कहा कि वह बच्चे के लिए कुछ नए कपड़े और खिलौने खरीदना चाहती हैं और अधिकतम समय उसके साथ बिताना चाहती हैं। अनुपमा ने कहा,‘‘मैं इसका नाम एडेन अनु अजित रखना चाहती हूं...यही नाम मैंने इसके लिए गर्भवस्था के दौरान चुना था। सभी कहते हैं कि यह मेरी तरह दिखता है...उसका गाल, आंखे और रंग...सबकुछ।’’
सत्तारूढ़ माकपा की छात्र इकाई स्टुडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की पूर्व कार्यकर्ता अनुपमा ने कहा कि वह केएससीसीडब्ल्यू के बाल कल्याण केंद्र के अधिकारी के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगी जिसने यह जानते हुए बच्चे को आंध्र प्रदेश की दंपति को गोद दिया कि वह उसकी तलाश कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं केएससीसीडब्ल्यू कार्यालय के बाहर अपना प्रदर्शन जारी नहीं रख सकती क्योंकि मुझे अपने बेटे की देखभाल करनी है और उसे प्यार देना है जो उसे अबतक नहीं मिला है। लेकिन मैं यथासंभव प्रयास करूंगी कि कोई और बच्चा या मां इस सरकारी एजेंसी के धोखे का शिकार नहीं हो।’’
अनुपमा ने आरोप ने लगाया कि उनके पिता और माकपा के स्थानीय नेता जयचंद्रन ने जबरन उनके बेटे को उनसे छिन लिया और उसे केएससीसीडब्ल्यू को दे दिया।
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