कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के दावों के बावजूद गिरफ्तार किए जाने वालों की लगातार बढ़ रही संख्या

By सुरेश डुग्गर | Updated: September 3, 2019 19:25 IST2019-09-03T19:25:41+5:302019-09-03T19:25:41+5:30

जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 370ः जिन लोगों का 5 अगस्त से पहले तथा बाद में हिरासत में लिया गया है उनमें से 90 प्रतिशत पर पीएसए अर्थात जन सुरक्षा अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं।

kashmir situation: number of arrested people, article 370 | कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के दावों के बावजूद गिरफ्तार किए जाने वालों की लगातार बढ़ रही संख्या

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Highlightsएक महीने से कश्मीर उन प्रतिबंधों के दौर से गुजर रहा है जिनके प्रति दावे प्रतिदिन किए जा रहे हैं कि प्रतिबंध हटा लिए गए हैं, पर बावजूद स्थिति के सामान्य होने के दावों के बीच गिरफ्तार किए जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। गैर सरकारी तौर पर गिरफ्तार किए गए राजनीतिज्ञों, व्यापारियों, वकीलों आदि की संख्या अब 7 हजार को पार कर गई है। सरकारी तौर पर हिरासत में लिए जाने वालों का कोई आंकड़ा फिलहाल नहीं दिया गया है। प्रतिदिन होने वाली प्रेस ब्रीफिंग में सरकारी प्रवक्ता हमेशा अन्य सवालों की तरह इस सवाल को भी टाल देते हैं।

एक महीने से कश्मीर उन प्रतिबंधों के दौर से गुजर रहा है जिनके प्रति दावे प्रतिदिन किए जा रहे हैं कि प्रतिबंध हटा लिए गए हैं, पर बावजूद स्थिति के सामान्य होने के दावों के बीच गिरफ्तार किए जाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। इनमें वे भी शामिल हैं जिन पर पत्थरबाजी का आरोप है और वे भी हैं जिन्हें खुद नहीं पता उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया है।

गैर सरकारी तौर पर गिरफ्तार किए गए राजनीतिज्ञों, व्यापारियों, वकीलों आदि की संख्या अब 7 हजार को पार कर गई है। इसी तरह से गैर सरकारी आंकड़े कहते हैं कि अन्य करीब 8 से 10 हजार नागरिकों को भी हिरासत में लिया गया है जिनके प्रति शंका यह है कि वे शांति भंग कर सकते हैं। जबकि पत्थरबाजी के शक में प्रतिदिन 30 से 50 युवकों को हिरासत में लिया जा रहा है।

सरकारी तौर पर हिरासत में लिए जाने वालों का कोई आंकड़ा फिलहाल नहीं दिया गया है। प्रतिदिन होने वाली प्रेस ब्रीफिंग में सरकारी प्रवक्ता हमेशा अन्य सवालों की तरह इस सवाल को भी टाल देते हैं। डेली प्रेस ब्रीफिंग का एक हास्यास्पद पहलू यह रहा है पिछले एक माह से कि सरकारी प्रवक्ता सिर्फ लिखा हुआ वक्तव्य पढ़ कर इतिश्री कर देते हैं।

जिन लोगों का 5 अगस्त से पहले तथा बाद में हिरासत में लिया गया है उनमें से 90 प्रतिशत पर पीएसए अर्थात जन सुरक्षा अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं। दरअसल, पीएसए वह कानून है जिसे तत्कालीन शेख अब्दुल्ला सरकार ने 1978 में लकड़ी के तस्करों की नकेल कसने के लिए बनाया था और आतंकवाद आरंभ होने के बाद से इसका खुल कर नहीं बल्कि जमकर इस्तेमाल कश्मीर में कियागया। यह बात अलग है कि इन 30 सालों में जितने भी लोगों के खिलाफ पीएसए लगाया गया उनमें से 60 परसेंट से अधिक को कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस कानून के तहत सरकार किसी को भी 2 साल के लिए जेल में डाल सकती है।

ऐसे में सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या जम्मू कश्मीर के वे राजनीतिज्ञ, व्यापारी, वकील आदि अपराधी हैं जिन पर पीएसए लगा कर उन्हें स्थाई व अस्थाई जेलों में रखा गया है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद गनी लोन आदि राजनीतिज्ञ भी हैं और कई गणमान्य व्यक्ति भी। इनकी गिरफ्तारियो के प्रति सरकारी प्रवक्ता बस एक ही शब्द कहते हैं कि यह सब एहतिहातन किया गया है।

पर अब जबकि सरकार खुद दावा कर रही है कि जम्मू कश्मीर के 93 परसेंट इलाकों से प्रतिबंधों को हटा दिया गया है, जिन्दगी पटरी पर लौट रही है, स्कूल कालेज और बाजार खुल रहे हैं, तो अभी भी ऐसे लोगों की गिरफ्तारियां बदस्तूर क्यों जारी हैं। पत्थरबाजी में लिप्त होने की शंका के आधार पर गिरफ्तारियों को जायज तो ठहराया जा सकता था पर ऐसे लोगों को जेल में ठूंसने को कश्मीरी अब 'आपातकाल' का नाम देने लगे हैं जिनके प्रति कोई केस तक कभी दर्ज नहीं हुआ है।

Web Title: kashmir situation: number of arrested people, article 370

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