अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक को शुक्रवार को उस समय हिरासत में ले लिया गया, जब वे नजरबंदी तोड़कर घर से बाहर निकले। जबकि यासीन मलिक को उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे कश्मीर घाटी में नागरिकों के मारे जाने के विरोध में शोपियां में मार्च निकालने की कोशिश कर रहे थे। जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेताओं की गिरफ्तारी के फौरन बाद शोपियां में सुरक्षा बलों और पत्थर फेंक रहे युवाओं के बीच झड़प हुई।
हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक के नेतृत्व वाले अलगाववादी संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) ने शोपियां जिले में बीते कुछ दिनों में मारे गए पांच लोगों के परिवारों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए मार्च निकालने का आह्वान किया था।
प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन को विफल करने के लिए श्रीनगर और शोपियां में प्रतिबंध लगा दिए। रैनावाड़ी, नौहट्टा, एम.आर.गंज, सफाकदाल, खानयार, मैसुमा और क्रालखुद में पांच या उससे ज्यादा की संख्या में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। शोपियां जिले में हिसंक घटनाओं में पांच लोगों के मारे जाने के बाद मार्च आहूत किया गया है।
उमर फारूक नजरबंदी को धता बताते हुए श्रीनगर में अपने निगीन आवास से शोपियां में मार्च में शामिल होने बाहर निकले। पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर पुलिस थाने भेज दिया। गिलानी, जो लगभग एक साल से घर में नजरबंद हैं, वह भी शोपियां मार्च के लिए अपने हैदरपोरा आवास से बाहर निकले।
पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने गिलानी को आगे जाने से रोक दिया। शोपियां जामा मस्जिद में सामूहिक नमाज के बाद मलिक विरोध मार्च का नेतृत्व करने के लिए शोपियां पहुंचने में कामयाब रहे। मस्जिद से कुछ दूरी पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गनौपोरा गांव में 27 जनवरी को उग्र भीड़ द्वारा सेना के काफिले पर हमला किया गया था, जिसके बाद सेना की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई थी।वहीं, 25 जनवरी को शैगाम गांव में मलबा हटाने के दौरान हुए विस्फोट में घायल 10 वर्षीय बच्चे की गुरुवार को अस्पताल में मौत हो गई। 24 जनवरी को शैगाम गांव में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों की मुठभेड़ में एक और नागरिक की मौत हो गई थी।
पुराने शहर क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जम्मू एवं कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में भी सुरक्षा बलों को पर्याप्त संख्या में तैनात किया गया है।
कश्मीरी अलगाववादियों के खिलाफ आतंक के आरोपों को स्वीकारा
जम्मू एवं कश्मीर में आतंक को प्रायोजित करने और उकसाने के आरोपी पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद व सैयद सलाहुदीन और सात अलगाववादी कश्मीरी नेताओं के खिलाफ यहां की एक अदालत ने शुक्रवार को आतंक के आरोप तय करने को स्वीकृति प्रदान कर दी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद, न्यायाधीश तरुण सहरावत ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि वह आरोपियों को आरोप पत्र की प्रतियां दे।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ मार्च को निर्धारित की है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 18 जनवरी को जेल में बंद अलगाववादी नेताओं पर सईद और सलाहुदीन के साथ मिलकर भारत के खिलाफ जंग छेड़ने और जम्मू एवं कश्मीर को अलग करने की कथित साजिश के खिलाफ सख्त आतंकरोधी नियमों के तहत आरोप लगाए थे।
एनआईए ने व्यापारी जाहूर अहमद वताली और दो कथित पत्थरबाज कामरान और जावेद अहमद भट के खिलाफ भी आरोप लगाए हैं। भट जम्मू एवं कश्मीर के कुलगाम जिले और कामरान पुलवामा जिले का रहने वाला है। इन्हें पांच सितंबर को गिरफ्तार किया गया था जबकि वताली को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था।
24 जुलाई 2017 को गिरफ्तार अलगाववादियों में अफताब हिलाली उर्फ शाहिद उल इस्लाम, अयाज अकबर खांदे, फारूख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, नईम खान, अलताफ अहमद शाह, राजा मेहराजुद्दीन कलवल और बशीर अहमद भट उर्फ पीर सैफुल्लाह शामिल हैं।
अलताफ अहमद शाह कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद हैं। गिलानी जम्मू एवं कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की वकालत करते रहे हैं। शाहिद उल इस्लाम नरमपंथी हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक के करीबी है और खांदे, गिलानी के नेतृत्व वाली हुर्रियत के प्रवक्ता हैं।