पुलवामा आतंकी हमला और फिर इसी हफ्ते आर्टिकल 35A पर संभावित सुनवाई को देखते हुए पिछले 48 घंटों में कश्मीर घाटी में तेजी से घटनाक्रम बदले हैं। 35A पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है और इस बीच अतिरिक्त अर्ध-सैनिक बलों की तैनाती ने कई कयासों को जन्म दे दिया है। साथ ही यासिन मलिक सहित कई अलगाववादियों को हिरासत में लिये जाने के बाद घाटी में स्थिति लगातार तनाव वाली बनी हुई है।
इस बीच अलगाववादी नेताओं ने घाटी में रविवार को बंद बुलाया है। नाजुक हालात को देखते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भी आम लोगों को किसी तरह दिक्कत नहीं हो, इसके लिए दवा और राशन का पर्याप्त स्टॉक करने को कहा है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।
क्यों हुई सुरक्षा इतनी चाक-चौबंद
पुलिस या संबंधिक अधिकारियों की ओर से इस संबंध में फिलहाल कुछ नहीं बताया गया है। हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर में यह कयास लगाये जा रहे हैं कि केंद्र सरकार राज्य से आर्टिकल 35A को हटाने के लिए के लिए अध्यादेश ला सकती है। बता दें कि इस संविधान के इस आर्टिकल की बदौलत जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार मिले है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोग यहां संपत्ति खरीद या बेच नहीं सकते। साथ ही वे राज्य प्रायोजित योजनाओं का लाभ भी नहीं ले सकते।
जवानों की छुट्टियां रद्द
कश्मीर में मौजूद सभी जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं है। सूत्रों के अनुसार रिजर्व सैनिकों को अल्प नोटिस पर कूच करने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद गार्ड की भूमिका में लगे सीआरपीएफ के अलावा इस काम में बीएसएफ, आईटीबीपी को भी लगाया गया है। अधिकारियों के अनुसार चूंकि अधिकतर जवानों को लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी में लगाया गया है ऐसे में इसमें फेरबदल किया जा रहा है।
14 साल बाद श्रीनगर में BSF
पुलवामा हमले के बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को श्रीनगर में तैनात किया गया है। करीब 14 साल बाद यह पहला मौका है जब बीएसएफ को यहां बुलाया गया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ की श्रीनगर में चार और बडगाम जिले में एक जगह तैनात की गई है। सीआरपीएफ की जगह बीएसएफ की तैनाती हुई है। अधिकारियों के अनुसार इस कदम का मकसद घाटी में कानून-व्यवस्था दुरुस्त करना है।
अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती केवल चुनाव पूर्व अभ्यास का हिस्सा!
गृह मंत्रालय सूत्रों ने शनिवार को जानकारी दी कि जम्मू कश्मीर में 10,000 अतिरिक्त अर्द्धसैनिक कर्मियों की तैनाती लोकसभा चुनाव से पहले एक नियमित चुनाव पूर्व अभ्यास है। हालांकि, जिस तेजी से अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां (प्रत्येक कंपनी में 100 कर्मी होते हैं) कश्मीर घाटी में फौरी आधार पर केंद्र द्वारा भेजे गये और अलगाववादियों पर कार्रवाई शुरू हुई, इससे अटकलें तेज हो गई है। बता दें कि सीआरपीएफ की 45, बीएसएफ की 35, एसएसबी की 10 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां को शुक्रवार शाम जम्मू-कश्मीर भेजा गया।
खुफिया एजेंसियों को है ये अंदेशा
खुफिया एजेंसियों के अनुसार ताजा हालात में पूरी घाटी में अफवाहें फैलाकर भी अशांति फैलाने की कोशिश की जा सकती है। सरकार ने खुफिया एजेंसियों को सतर्क रहते हुए सुरक्षा बलों से लगातार संपर्कमें रहने को कहा है। वहीं, कूटनीतिक स्तर पर भी भारत का पाकिस्तान को घेरने का सिलिसला जारी है। मुस्लिम बहुल देशों के शक्तिशाली संगठन ओआईसी के विदेश मंत्रियों के उद्घाटन सत्र में भारत को आमंत्रित किया गया है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अगले महीने अबू धाबी में इसमें 'गेस्ट ऑफ ऑनर' के तौर पर शरीक होंगी।
कश्मीरी नेताओं ने कहा- इस तरह और खराब होंगे हालात, राज्यपाल का इंकार
इन पूरी कवायद के बीच राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने अपना विरोध जताया है। महबूबा ने शनिवार को कहा है कि हुर्रियत नेताओं और जमात संगठनों के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाना उनकी समझ के परे है। महबूबा के अनुसार ऐसे कदम से स्थितियां और बिगड़ेंगी।
वहीं, उमर अब्दुल्ला ने कुछ सरकारी आदेश से खलबली मची है और लोगों को लग रहा है कि कोई कठिन समय आने वाला है। लोग इंधन और खान जमा कर रहे हैं।
इन सबके बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है और चुनाव से पहले ऐसी तैयारियां आम हैं। मलिक के अनुसार 35A पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जाने वाला है और सब कुछ चुनाव से पहले की कवायद भर है।
(भाषा इनपुट के साथ)